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प्लान में कामयाब हुए योगी!: मुर्मू के भोज में पहुंच अखिलेश के ‘शिव’ और ‘ओम’ ने सबको चौंकाया, जानिए क्या बोले राजा भैया

प्लान में कामयाब हुए योगी!: मुर्मू के भोज में पहुंच अखिलेश के ‘शिव’ और ‘ओम’ ने सबको चौंकाया, जानिए क्या बोले राजा भैया

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में मुख्यमंत्री आवास पर शुक्रवार को आयोजित रात्रि भोज में समाजवादी कुनबा बिखर गया। इस भोज में पहुंचकर सपा विधायक शिवपाल यादव और गठबंधन के सहयोगी सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने न सिर्फ चौंका दिया बल्कि भविष्य के गठबंधन की नई सियासत के भी संकेत दे दिए। साथ ही ‘शिव'(शिवपाल) और ‘ओम'(ओम प्रकाश राजभर) की जोड़ी ने सपा को तगड़ा झटका देने का काम किया है। उधर, जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना अहम बात है। इसके लिए पीएम मोदी को धन्यवाद करता हूं। इसी वजह से भाजपा के साथी दल और जो दल साथ नहीं हैं, वह समर्थन कर रहे हैं। जनसत्ता दल द्रौपदी मुर्मू जी का समर्थन करेगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से आयोजित इस भोज में भाजपा के सहयोगी अपना दल एस के आशीष पटेल, निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मौजूदगी पहले से ही अपेक्षित थी। मगर, भोज में पहुंचकर चौंकाया शिवपाल यादव, ओमप्रकाश राजभर और बसपा के उमाशंकर सिंह

वैसे, सपा व सुभासपा के साथ न चलते के संकेत तभी मिल गए थे जब राजभर ने शुक्रवार सुबह ही मऊ में कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले अपने चाचा शिवपाल का वोट राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को दिलाकर दिखाएं। अखिलेश को केवल मुसलमान और यादव ही दिखते हैं।

दरअसल, बृहस्पतिवार को यशवंत सिन्हा के समर्थन में हुई सपा की बैठक में शिवपाल व राजभर को नहीं बुलाया गया था। बीते कुछ दिनों से राजभर की बयानबाजी से नाराज अखिलेश ने उन्हें न बुलाकर एक तरह से गठबंधन तोड़ने के संकेत दे दिए थे। स्थिति को भांपते हुए भाजपा ने भी शिवपाल व राजभर से संपर्क करना शुरू कर दिया था, जिसका नतीजा शुक्रवार को देखने को मिला।

सीएम ने लगाई विपक्ष में सेंध

राष्ट्रपति चुनाव केलिए यूपी में सर्वाधिक वोट होने के कारण सीएम योगी ने एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में बड़ी रणनीति तैयार की थी। उनके प्रयास से दलीय सीमाएं टूट गईं और विपक्षी खेमे के बड़े दल भी मुर्मू के समर्थन में आ गए।

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