भारतीय संस्कृति से जुड़ी है लाल मिट्टी की कुश्ती
हिंद केसरी जगदीश कालीरमण के विचारः श्री समर्थ विष्णुदास वारकरी कुश्ती महावीर प्रतियोगिता का उद्घाटन
पंढरपुर महाराष्ट्र: मल्ल शब्द का प्रयोग रामायण और महाभारत में मिलता है. इसीलिए लाल मिट्टी की कुश्ती भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई है. खेल आपको दिखाता है कि ताकत और बुद्धि का उपयोग कैसे किया जाता है. ऐसे विचार हिंद केसरी जगदीश कालीरमण ने व्यक्त किए.
विश्व शांति केन्द्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी, पुणे, भारत, श्री क्षेत्र आलंदी-देहू-पंढरपुर परिसर विकास समिति, पुणे और महाराष्ट्र राज्य कुस्तीगीर परिषद के संयुक्त तत्वावधान में वाखरी, पंढरपुर में विश्वशांति गुरुकुल परिसर में वारकरी भक्तों के लिए आषाढी वारी के अवसर पर आयोजित श्री समर्थ विष्णुदास वारकरी कुश्ती महावीर प्रतियोगिता के उद्घाटन मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस मौके पर हिंद केसरी दिनानाथ सिंह, महाराष्ट्र केसरी आप्पसाहब कदम और पहलवान विष्णुतात्या जोशीलकर सम्माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
साथ ही विश्व शांति केन्द्र(आलंदी),माईर्स एमआईटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा.कराड, माईर्स एमआयटी शिक्षण संस्था समूह के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, माईर्स एमआईटी शिक्षा समुह के प्रबंधकीय समिति के अध्यक्ष प्रो.डॉ. मंगेश तु. कराड, प्रगतिशील किसान काशीराम दा. कराड, पंडित वसंतराव गाडगीळ,नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.एस.एन.पठाण, बिहार के केशव झा, पुजेरी एवं वारकरी कुश्ती महावीर प्रतियोगिता के आयोजन समिति के सचिव विलास कथूरे उपस्थित थे.
कालीरमण ने कहा, महाराष्ट्र की धरती से इस देश ने कुश्ती में पहला पदक जीता दिया है. इसलिए यहां के वारकरी पहलवानों को इस तरह कुश्ती का समर्थन करते रहना चाहिए. हर साल लगभग ७ लाख वारकरी भक्त पंढरपुर आते हैं. यह पालकी समारोह मन और हृदय को प्रसन्न करता है. इसलिए यहां आनेवाले हर भक्त को तीर्थस्थल पर आने का अहसास होता है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, वारकरी संप्रदाय दुनिया को सुख, संतोष और शांति का मार्ग दिखाएंगा. आज यहां भक्ति और शक्ति का संगम देखने को मिलता है. नई पीढ़ी को बुरी आदतों से रोकने के लिए कुश्ती का आयोजन किया जा रहा है. राजबाग में बने गुंबद के कारण संत ज्ञानेश्वर और जगद्गुरू तुकाराम महाराज का नाम पूरी दुनिया में फैला है. आज दुनिया के नेताओं की नजर वारकरी संप्रदाय पर है.
पहलवान दीनानाथ सिंह ने कहा, लाला मिट्टी की कुश्ती को बचाने के लिए डॉ. विश्वनाथ कराड अथक प्रयास कर रहे है. उन्होंने ज्ञान सागर के साथ साथ शक्ति की पूजा की है. यहां आए वारकरी पहलवानों की वजह से इस लाल मिट्टी की खूबसूरती और बढ़ गई है.
डॉ. एस.एन. पठाण ने कहा, विश्व शांति के सुख, समाधान और शांति के लिए जीवन व्यतीत करनेवाले डॉ. कराड ने वैष्णवों के सम्मेलन में कुश्ती का अखाड़ा भरा दिया है. यहां भक्ति और शक्ति का आदर्श दिखाई देता है. पैदल वारी यह मन शुध्दि के लिए होती है. इसलिए कर्म करते हुए मन से सेवा करनी चाहिए. जब तक वारी चलेंगी तब तक वारकरियों का यह जमावड़ा यू ही चलता रहेगा.
कार्यक्रम की प्रस्तावना विलास कथुरे ने की. प्रा.डॉ. पी.जी.धनवे ने कुश्ती स्पर्धा का नियोजन किया.