आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ नया उद्यमी सफल होगा
‘राइड इनोवेशन कॉन्क्लेव’ के समापन पर लेफ्टिनेंट जनरल ए.अरूण के विचार,एमआईटी डब्ल्यूपीयू में एक्सेलेरेटर सेंटर का उद्धाटन
पुणे : कोई भी नवोदित उद्यमी आत्म विश्वास, कार्य ऊर्जा, शक्ति, समर्पण और जुनुन के साथ सफल हो सकता है. अनुसंधान और नेतृत्व आपके खून में होना चाहिए. इसके अलावा आपको हर दिन खुद को सुधारना चाहिए. ऐसे विचार लेफ्टिनेंट जनरल ए.अरूण ने व्यक्त किए.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के इनोवेशन कॉन्क्लेव द्वारा रिसर्च, इनोवेशन, डिजाइन एंड एंटप्रेन्योरशिप विषय पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम राइड इनोवेशन कॉन्क्लेव २०२२ के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वे बोल रहे थे.
इस मौके पर महिंद्रा राइस के इलेक्ट्रिकल व्हीकल डिवीजन के बिजनेस हेड आशितोष दुग्गल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड ऑनलाइन थे.
साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, प्र कुलपति डॉ. तपन पांडा, सेंटर फॉर इंडस्ट्री एकेडेमिया पार्टनरशिप के वरिष्ठ निदेशक प्रवीण पाटिल और डॉ. प्रसाद खांडेकर उपस्थित थे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में नए से खुले एक्सेलेटर सेंटर (सेंटर फॉर बिजनेस इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप)का उद्घाटन डॉ. विश्वनाथ दा. कराड और लेफ्टिनेंट जनरल ए. अरूण ने किया.
लेफ्टिनेंट जनरल ए. अरूण ने कहा, अगर नए उद्यमी हमेशा अपने चेहेरे पर मुस्कान रखते है, तो व्यवसाय को सफल होने में देर नहीं लगेली. कोई कारण बताकर अपने लक्ष्य, निर्धारित गोल और से विचलित न हों. ज्ञान की शक्ति सबसे अच्छी है और छात्रों को इस पर ध्यान देना चाहिए. पेशेवर नेतृत्व के लिए नेताओं को अपनी भावनाओं को टीम मे ंसंप्रेषित करने की आवश्यकता होती है.
हर किसी के जीवन में खुशियों की चाबी उसके अपने हाथों में होती है. इसलिए २४ घंटे काम करने के बजाय आप अपनी पसंद, समाज सेवा, धार्मिक कार्यों को प्राथमिकता दें. इस देश का उज्ज्वल भविष्य युवाओं के हाथों में है.
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, विद्यार्थियों को स्वधर्म, स्वमान और स्वत्व का स्मरण करना चाहिए. भारतीय परंपरा हमें मातृदेव, पितृदेव और आचार्य देव भव सिखाता है. किसी भी क्षेत्र में शोध का बहुत महत्व होता है. इसी शोध से दुनिया का सबसे बडा गुंबद बनाया गया है. यह पूरी दुनिया को शांति का संदेश दे रहा है. जैसा कि स्वामी विवेकांनद ने कहा था, भारत २१वीं सदीं मे ंज्ञान का दालन बनकर उभरेगा.
आशितोष दुग्गल ने कहा, यह संस्था स्वामी विवेकानंद के तत्वों पर आधारीत है. इसलिए यहां पर सतत शोध करना चाहिए जो मानव कल्याण के लिए होगा.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, पिछले पांच दिनों से यहां विचारों का अनूठा आदान प्रदान हुआ है. सतत विकास नवाचार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के बल पर देखा जाता है. इस देश में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. इनका समाधान शोध के माध्यम से किया जाना चाहिए. वर्तमान समय में सभी को औपनिवेशिक मानसिकात को स्वीकार कर इंडिया को भारत कहना चाहिए. इसलिए देश में एक नए आंदोलन को उभरने में देर नहीं लगेगी.
प्रो.डॉ. आर.एम.चिटनीस ने प्रस्तावना रखी. डॉ. तपन पांडा ने कार्यक्रम की पृष्टभूमि बताई. प्रवीण पाटिल ने पूरे कार्यक्रम के उद्देश्य और अवलोकन के बारे में बताया.
प्रो. डॉ. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया. प्रो.डॉ. मिलिंद पांडे ने सभी का आभार माना.