पूणे

मानव केंद्रित, सकारात्मक और सहायक पत्रकारिता की आवश्यकता

मानव केंद्रित, सकारात्मक और सहायक पत्रकारिता की आवश्यकता
विजय कुवलेकर द्वारा प्रतिपादन; महावीर भाई जोंधले की आत्मकथा ‘गवतात उगवलेली अक्षरे’ का प्रकाशन

पुणे: “मानवतावाद पत्रकारिता का मूल होना चाहिए। हालांकि, आज बाजारीकरण और छिछलेपन को अधिक महत्व दिया जा रहा है। परिणामस्वरूप, मीडिया पर का विश्वास कम हो रहा है। मीडिया को आम आदमी, पीड़ित, मेहनती के लिए दया रखनी चाहिए। मानव-केंद्रित, सकारात्मक और सहायक पत्रकारिता की आवश्यकता है,” ऐसा प्रतिपादन अनुभवी पत्रकार और लेखक विजय कुवलेकर ने किया।

मनोविकास प्रकाशन द्वारा वरिष्ठ लेखक और पत्रकार महावीर भाई जोंधले की आत्मकथा ‘गवतात उगवलेली अक्षरे’ का प्रकाशन कुवळेकर के हाथों हुआ।तिलक रोड स्थित मराठा चैंबर ऑफ कॉमर्स के पद्मजी हॉल में आयोजित इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक अरविंद गोखले, पत्रकार विजय चोरमारे, मनोविकास प्रकाशन के अरविंद पाटकर, श्रीमती. इंदुमती जोंधले आदि मौजूद थें।

विजय कुवलेकर ने कहा, “एक पत्रकार को लेखक होना चाहिए। यदि आपको ललित लेखन करने का शौक हो तो आप अपनी नौकरी से बाहर के विषयों को प्रस्तुत कर सकते हैं। आप किसी व्यक्ति को पुरोगामी व प्रतिगामी के रूप में लेबल करके कभी नहीं समझ सकते। विचार की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। नैतिकता को कायम रखते हुए पत्रकारिता निष्पक्ष और मनोरंजक होनी चाहिए। संघर्ष की भावना को त्यागे बिना नए से अच्छाई लेकर समाज के कल्याण के लिए इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है, पत्रकारों और लेखकों को इस बारे में सोचना चाहिए।”

महावीर जोंधळे ने कहा, ”अलग-अलग मत के लोगों के बीच संवाद जरूरी है. महाराष्ट्र में यात्रा के दौरान बुजुर्गों से बात करते हुए प्यार बांटने की जरूरत है. नफरत की राजनीति, जाति और धार्मिक मतभेदों ने समाज को बांट दिया है. नफरत, दुश्मनी, ईर्ष्या को खत्म करने के लिए प्यार, स्नेह की भावना पैदा करने की जरूरत है। पत्रकार के पास एक विचार होना चाहिए। पत्रकारों को जनता के सवालों के आईने की तरह काम करना चाहिए। हमें निराशावाद से परे जाकर काम करना होगा। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के युग में, हमें जिम्मेदारी की भावना बनाए रखनी चाहिए।”

विजय चोरमारे ने कहा, “पत्रकारिता पूंजीवादी हो गई है। सैद्धांतिक पत्रकारिता को संग्रहालय में रखा जाना चाहिए, ऐसी आज की स्थिति यह है। हाल के दिनों में संपादकों के लिए बाजार व्यवस्था के साथ समझौता करने का समय आ गया है। मीडिया शिक्षा का काम करता है या मार्केटिंग का, यहीं पता नहीं चलता। आज जब संचार की कीमत खत्म हो चुकी है, ऐसे समय में छोटे लोगों को बड़ा दिखाया जा रहा है। पत्रकारिता में उद्यमिता का व्यवसायीकरण दुर्भाग्यपूर्ण है। जोंधले की किताब ने पत्रकारिता के इतिहास को उसकी खूबियों और कमियों के साथ उजागर किया है।”

अरविंद गोखले ने कहा, “पत्रकारिता ‘गिव्ह ऍण्ड टेक’ की आदी हो गई है। स्पष्ट लिखने वाले पत्रकारों की कमी है। समाज के हित के लिए अच्छा और स्पष्ट लिखने की आवश्यकता है। कटुता के डर से कई लोग लिखने से बचते हैं। ”

अरविंद पाटकर ने स्वागत और परिचय दिया। संचालन आसावरी कुलकर्णी ने किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button