पूणे

मन शांति से उत्पन्न होगी आत्म शांति ग्लोबल बिजनेस कंसल्टेंट्स प्रा.राम चरण की रायः विश्वशांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी द्वारा २७ वें दार्शनिक संतश्री संतश्री ज्ञानेश्वर-तुकाराम मेमोरियल लेक्चर सीरीज का उद्घाटन

मन शांति से उत्पन्न होगी आत्म शांति
ग्लोबल बिजनेस कंसल्टेंट्स प्रा.राम चरण की रायः
विश्वशांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी द्वारा २७ वें दार्शनिक संतश्री संतश्री ज्ञानेश्वर-तुकाराम मेमोरियल लेक्चर सीरीज का उद्घाटन

पुणे : सृष्टि की ऊर्जा पर शक्तिशाली देशों के बीच चल रहे विवाद के कारण मानव जाति को असंतुष्ट कर रहा है. एक ओर यह भी देखा जा रहा है कि देश ओर परिवार में कलह बढता ही जा रहा है. ऐसे समय में मन को शांत रखना, अपने जीवन काल को कैसे व्यक्त करे और सार्वभौमिक सत्यों का पालन करना हमारा कर्तव्य है, ऐसे तीन सत्य नियम ही सृष्टि पर शांति ला सकता है. यह राय अमेरिकी प्रसिद्ध लेखक और ग्लोबल बिजनेस सलाहकार प्रो.राम चरण ने रखी.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, विश्वशांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी, पुणे, भारत और संतश्री ज्ञानेश्वर-संतश्री तुकाराम महाराज स्मृती व्याख्यानमाला न्यास के संयुक्त तत्वावधान में यूनेस्को अध्ययन के तहत आयोजित २७ वे दार्शनिक संतश्री ज्ञानेश्वर तुकाराम स्मृति व्याख्यानमाला तहत बतौर मुख्य अतिथि के रूप मेंं बोल रहे थे.
इस समारोह के लिए अनाम वैदिक आश्रम के आध्यात्मिक गुरू स्वामी आशुतोष स्ट्रोबेल, रामकृष्ण मिशन के स्वामी संम्पूर्णानंदजी, विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. अशोक जोशी और ग्लोबल मार्केटिंग वाइस प्रेसिंडेंट संजय कामटेकर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, विश्वशांति केंद्र (आलंदी) के संस्थापक अध्यक्ष और यूनेस्को अध्ययन के प्रमुख प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड उपस्थित थे.
साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस,डॉ. संजय उपाध्ये और व्याख्यान के समन्वयक डॉ. मिलिंद पांडे उपस्थित थे.
डॉ. रामचरण ने कहा, इस प्रतिस्पर्धा के दौर में हर इंसान को चाहिए कि वह अपने दिमाग को शांत रखें और काम करे, दैनिक जीवन में मानसिक संतुष्टि और खुशी पाने का यही एकमात्र तरीका है. वर्तमान में यूक्रेन, रूस, तुर्की, सीरिया में विद्रोही स्थिति मानवता को दुख के गर्त में धकेल रही है.
भय, क्रोध, आलस्य, अहंकार, अकारण महत्वाकांक्षा और लालसा ये सभी मानव दुख के कारण हैं. एक दूसरे के प्रति अविश्वास ही संघर्ष का मुख्य कारण है. आध्यात्मिक खुशी के लिए मानवजाति को प्रतिदिन नई चीजें सीखने की जरूरत है. साथ ही अपने दिमाग को शांत रखने के लिए अपने दैनिक जीवन में इन चीजों की आदत डालें. साथ ही एक दूसरे पर भरोसा करने, सकारात्मक सोच रखने और भारतीय संस्कृति का पालन करने से इंसान को फायदा होगा.
स्वामी सम्पूर्णानंद ने कहा, ज्ञान में शक्ति होती है. इसलिए स्वामी विवेकानंद ने विज्ञान का दामन पकडकर अध्यात्म और ध्यान के मार्ग पर चलने की बात कही. महाराष्ट्र के संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम महाराज जैसे संतों की भूमि है. यदि आप उनके द्वारा बताए गए सत्य के ज्ञान का पालन करते हैं, तो आपको जीवन में सच्चा सुख मिलेगा. ध्यान और समाधि की प्राप्ति के लिए शांति सबसे जरूरी है. एकम सत विप्रा बहुधा अर्थात सत्य एक है. स्वामी जी के वचन का पालन करते हुए डॉ. विश्वनाथ कराड सही मायने में कर्मयोगी हैं.
स्वामी आशुतोष स्ट्रोबेल ने कहा, ब्रह्मांड में हर प्राणी को शांति की जरूरत है. यदि ५ प्रतिशत जनसंख्या प्रतिदिन योग और ध्यान का अभ्यास करती है, तो उसकी शक्तियों का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पडेगा. इस संबंध में अमेरिका, चीन और अन्य देशों में इस तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. इसका सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है. जीवन को बेहतर बनाने के लिए खुशी सबसे महत्वपूर्ण चीज हैं.
प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक शक्ति है. तत्वों की पूजा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है. जीवन में सभी चीजों का अनुभव करने के लिए आध्यात्मिकता को समझने की जरूरत है. यह व्याख्यान श्रृंखला केवल चर्चा नहीं बल्कि हृदय से प्रतिबिम्ब हैं. इसके द्वारा ही हमें मन के हृदय की खोज करनी होती है. त्याग, समर्पण और प्रेम जीवन के सच्चे सिद्धांत हैं.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, इस व्याख्यान श्रृंखला के माध्यम से विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से समग्र विकास प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है. जीवन को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए.
संजय कामटेकर तथा डॉ. संजय उपाध्ये ने अपने विचार रखें.
प्रो. डॉ. मिलिंद पांडे ने प्रस्तावना रखीं. प्रो.डॉ. मिलिंद पात्रे ने सूत्रसंचालन किया.
डॉ. आर.एम.चिटणीस ने आभार माना.

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