पूणे

समावेशी विकास को बढ़ावा दे रही है भारत की राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना

समावेशी विकास को बढ़ावा दे रही है भारत की राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना

 

 

पुणे:भारत में राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) के द्वारा कौशल विकास की पहुँच में एक उल्लेखनीय परिवर्तन दिखाई दे रहा है। अगस्त 2016 में शुरू की गई यह महत्वाकांक्षी पहल, एक गेम-चेंजर के रूप में उभर कर सामने आई है। यह युवाओं की बेरोज़गारी और अल्परोज़गार के गंभीर मुद्दों की बात करते हुए, औपचारिक शिक्षा और उद्योग की मांगों के बीच गैप को कम कर रही है।

पिछले कुछ वर्षों में अप्रेन्टिसों के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में, नामांकित अप्रेन्टिसों की कुल संख्या 35,333 थी। हालाँकि, चालू वित्तीय वर्ष, 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 931,406 हो गया है। यह आश्चर्यजनक वृद्धि बताती है कि पांच साल की अवधि में महत्वपूर्ण चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 74.76% रही है।

पिछले वित्तीय वर्ष, 2022-23 की तुलना में, चालू वर्ष के नामांकन में साल-दर-साल 26.08% की पर्याप्त वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में पंजीकृत अप्रेन्टिसों की कुल संख्या 738,704 थी, जबकि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 931,406 तक पहुंच गया है।

यह उछाल जिन राज्यों में आया है उनमें महाराष्ट्र (263,239), तमिलनाडु (101,519), गुजरात (83,611), कर्नाटक (78,497), और उत्तर प्रदेश (71,378) जैसे राज्य अग्रणी हैं। ये राज्य पूरे देश में इस योजना के व्यापक प्रभाव को दर्शाते हैं।

एनएपीएस पहल पारस्परिक रूप से एक लाभकारी कार्यक्रम साबित हुई है। इसने एक ओर व्यवसायों के भीतर विकास और इनोवेशन को बढ़ावा दिया है, तो दूसरी ओर महत्वाकांक्षी प्रोफेशनल्स के लिए ऑन-द-जॉब प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और अनेक अवसर दिए हैं। यह आपसी संबंध, समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है, विविध पृष्ठभूमि के लोगों को सशक्त बना रहा है और सभी सेक्टरों में व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा दे रहा है।

एनएपीएस की परिवर्तनकारी ताकत को इसके लाभार्थियों की प्रेरक कहानियों के माध्यम से सबसे अच्छे उदाहरण के रूप में समझा जा सकता है। मध्य प्रदेश के सतना की एक गृहिणी, रंजना ने लैब-टेक्नोलॉजी में अप्रेन्टिसशिप शुरू की। रंजना को न केवल अप्रेन्टिसशिप ट्रेनिंग के बाद रोजगार मिला, बल्कि वह अपने परिवार के लिए कमाने वाली मुख्य सदस्य भी बन गईं। रंजना ने पारंपरिक जेन्डर रोल को चुनौती देते हुए अपनी वित्तीय आज़ादी का रास्ता खुद बनाया।

इसी तरह, उत्तर प्रदेश की एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले विशाल ने अप्रेन्टिसशिप के एक अवसर का लाभ उठाया। आर्थिक बाधाओं के बावजूद, असेंबली लाइन ऑपरेटर के रूप में विशाल के समर्पण और नई विशेषज्ञता ने उन्हें गरीबी के चक्र को तोड़ने में मदद की और वह एक नौकरी पाने और अपने परिवार का आगे बढ़ाने में सक्षम हुए।

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से लेकर औरंगाबाद स्थित ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग कंपनी में ऑटोमोटिव सीएनसी मशीनिंग टेकनीशियन बनने तक शिवम की यात्रा एनएपीएस के परिवर्तनकारी प्रभाव का एक और प्रमाण है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता का सामना करते हुए, शिवम ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के माध्यम से एक ऑटोमोटिव कोर्स में दाखिला लिया। शिवम की अप्रेन्टिसशिप ने न केवल उन्हें जरूरी स्किल्स सिखाईं बल्कि अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग देने के लिए भी सशक्त बनाया।

ये सफलता की कहानियाँ, विभिन्न कंपनियों में अनगिनत अन्य कहानियों के साथ बताती हैं कि कैसे एनएपीएस बाधाओं को पार करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में लोगों की सहायता कर रहा है।

एनएपीएस का लक्ष्य स्टाइपेन्ड सपोर्ट करना, क्षमता को बढ़ाना और तेजी से विकास की बात करते हुए देश भर में अप्रेन्टिसशिप ट्रेनिंग को बढ़ावा देना है। इसके उद्देश्यों में कुशल जनशक्ति को बढ़ावा देना, इस्टेब्लिशमेंट की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, अपस्किलिंग बढ़ाने के अवसरों को सुविधाजनक बनाना और छोटे उद्यमों एवं वंचित क्षेत्रों में अप्रेंटिसशिप नामांकन को प्रोत्साहित करना शामिल है। इससे समावेशी आर्थिक विकास में योगदान दिया जा सकेगा और देश में स्किलिंग गैप को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकेगा।

राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना-2 (एनएपीएस-2), पहले की एनएपीएस पहल का विस्तार और परवर्ती है। यह पूरे भारत में अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग प्रदान करते हुए 1500 रुपये प्रति माह के डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से 1961 के अप्रेंटिस एक्ट के तहत लगे अप्रेंटिस को आंशिक स्टाइपेंड सपोर्ट प्रदान करके, इस प्रतिबद्धता को और अधिक मजबूत करती है। इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करके और स्टेकहोल्डर्स को एडवोकेसी सहायता प्रदान करके अप्रेंटिसशिप इकोसिस्टम को बढ़ाना है।

देश में अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम के प्रबंधन में, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अप्रेंटिसशिप पोर्टल के संचालन की देखरेख करता है, जो नामांकन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, एनएसडीसी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) मैकेनिज्म के माध्यम से, निर्दिष्ट और वैकल्पिक दोनों ट्रेडों के लिए अप्रेंटिस को आंशिक स्टाइपेंड सपोर्ट प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है। इसके अलावा, एनएसडीसी अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम में शामिल स्टेकहोल्डर्स के लिए क्षमता निर्माण पहल भी करता है। इसमें कार्यक्रम को बढ़ावा देने और विभिन्न प्रतिभागियों के साथ जुड़ने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान, ट्रेड फेयर (मेला), वर्कशॉप, सेमिनार और अन्य कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।

इसके अलावा, एनएसडीसी एडवोकेसी और प्रचार गतिविधियों के माध्यम से अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम के एक एडवोकेट और प्रमोटर के रूप में कार्य करता है। ये प्रयास कार्यक्रम के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उद्योगों, नियोक्ताओं और संभावित अप्रेंटिसों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

जैसे-जैसे भारत एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, एनएपीएस परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले के रूप में हमारे सामने है। यह देश के लिए एक उज्जवल और अधिक समृद्ध भविष्य का रास्ता बना रहा है। समावेशी कौशल विकास को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसर पैदा करके, यह अग्रणी योजना न केवल लोगों को सशक्त बना रही है बल्कि एक ऐसे कार्यबल का भी सृजन कर रही है जो भविष्य के लिए तैयार होने के साथ ही उद्योग की लगातार बढ़ती मांगों के अनुकूल है।

FY Apprentices Enrolled
FY-18-19 35333
FY-19-20 206903
FY-20-21 307742
FY-21-22 590189
FY-22-23 738704
FY-23-24 931406
Grand Total 2810277

 

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