हल्दी ने हरीश के जीवन में किया बदलाव
रीवा एमपी: सेमरिया के ग्राम बरौ के हरीश पटेल कभी पारंपरिक खेती कर अपने परिवार का गुजर बसर कर लिया करते थे। खेती से उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया था जबकि उनके पास खेती की 5 एकड़ जमीन थी। हरीश ने कहा कि हर वर्ष 5 एकड़ जमीन में धान और गेंहू बोता था उत्पादन भी भरपूर हुआ लेकिन अपने उपयोग के अलावा समिति में समर्थन मूल्य पर फसल बेचने पर भी कोई लाभ नहीं हुआ। इसी बीच आत्मा परियोजना की श्रीमती आभा गौर ने लीक से हटकर व्यावसायिक खेती करने की सलाह दी। मैने गेंहू का रकवा कम कर 3 एकड़ में केवल हल्दी का उत्पादन लिया। पहली बार ही 40 Ïक्वटल हल्दी का उत्पादन लिया। हल्दी को सुखाकर चक्की में उसकी पिसाई की पिसी हल्दी हाथों-हाथ 120 रूपये Ïक्वटल के भाव से 4.80 लाख रूपये की बाजार में बेची। व्यावसायिक खेती करने पर मैं लखपति बन गया। अब मेरी हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की योजना है। जैसे ही बैंक के अधिकारी हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिये मेरा ऋण प्रकरण स्वीकृत एवं वितरित कर देंगे मैं हल्दी की प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर व्यावसायिक खेती ही करने लगूगा।