सागर माला गतिविधि रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण है:-केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद नाइक की राय
पुणे : – प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत सरकार ने अपनी 7,517 किलोमीटर लंबी तटरेखा की विशाल क्षमता का दोहन करने के लिए सागर माला पहल की शुरुआत की है. इस पहल का उद्देश्य तटीय बंदरगाहों और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास से रोजगार के अवसर पैदा करना और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है, ऐसा मत एमआईटी महाराष्ट्र अकादमी ऑफ नेवल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग द्वारा आयोजित एचआर मीट 2023 में केंद्रीय पर्यटन और बंदरगाहों, नौवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने व्यक्त किया.
केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा, सागर माला पहल से देश के युवाओं को रोजगार मिला है. देश के विकास और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समुद्र तट की विशाल क्षमता का उपयोग किया जा रहा है. “सागर माला पहल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम चेंजर है. हमारी तटरेखा में रोजगार पैदा करने और आर्थिक विकास को गति देने की अपार क्षमता है. यह पहल न केवल नई नौकरियां पैदा करेगी बल्कि शिपिंग और समुद्री उद्योगों को भी बढ़ावा देगी.
नौवहन महानिदेशक श्री अमिताभ कुमार ने कहा कि नौवहन के क्षेत्र में अध्ययन कर रहे छात्रों के लिए कैरियर के कई अवसर उपलब्ध हैं. छात्रों को केवल नौकरी के लिए ही नहीं बल्कि उद्योग और करियर विकल्पों के लिए भी खरीदारी के क्षेत्र को देखना चाहिए.
एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्यकारी अध्यक्ष एवं कुलपति प्रो. डॉ. मंगेश कराड ने कहा, हमने छात्रों के सर्वांगीण विकास के साथ शिपिंग से जुड़ा कोर्स तैयार किया है. नई तकनीक को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्र भविष्य के लिए तैयार होंगे. बड़ी संख्या में छात्र मर्चेंट नेवी के शानदार करियर को चुन रहे हैं.
हाल ही में एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के मॅनेट पुणे द्वारा एक उद्योग-अकादमी मीट “MILU-23” का आयोजन किया गया था. भारतीय समुद्री क्षेत्र के इतिहास में पहली बार पेशेवरों, मंत्रियों, उद्योग प्रतिनिधियों और शैक्षणिक संस्थानों को एक मंच पर एक साथ लाया गया. केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद नाइक, जहाजरानी महानिदेशक श्री अमिताभ कुमार, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कुलपति और कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. मंगेश कराड, मैनेट के प्राचार्य कैप्टन अमोल अथालय, उप प्राचार्य श्रीकांत गुंजाल, मॅनेट के प्रशिक्षण प्रमुख श्री. काशीकर और भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कंपनियों से संबंधित लगभग 175 उद्योग प्रतिनिधि उपस्थित थे.