रीवा

लम्पी रोग से बचाव के उपाय

लम्पी रोग से बचाव के उपाय

रीवा एमपी: गौ एवं भैंस वंशीय पशुओं में होने वाली विषाणु जनित लम्पी स्किन बीमारी की पुष्टि राज्य के कुछ जिलों में हुई है। रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियान एवं रीवा विकासखण्ड में भी इस बीमारी की रिपोटिंग हुई है। विषाणु जनित यह बीमारी संक्रमित गाय अथवा भैंस के संपर्क में आने से, मच्छर, मक्खी अथवा किलनी के काटने से तेजी से फैलती है। इस बीमारी में पशु को तेज बुखार आता है। इस बीमारी से ग्रसित पशु दाना पानी छोड़ देता है। दुग्ध उत्पादन क्षमता में कमी होने के साथ-साथ गर्भपात, बांझपन एवं कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है। पशु की चमड़ी पर छोटे छोटी गांठे बन जाती है जिनके फूटने पर कभी-कभी घाव बन जाते हैं तथा मुंह गले तथा श्वास नली तक फैल जाते हैं। इस बीमारी में मृत्यु दर दस प्रतिशत तक होती है। अधिकतर संक्रमित पशु 2 से 3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।

उप संचालक पशुपालन विभाग डॉ. राजेश मिश्रा ने इस बीमारी से बचाव के उपाय बताते हुए कहा है कि स्वस्थ पशुओं को बीमारी से ग्रसित पशुओं से दूर बांध कर रखना चाहिए। संक्रमित पशु का संक्रमित दाना, भूसा, पानी आदि स्वस्थ पशु को नहीं खिलाना चाहिए। पशु के बाड़े में मच्छर, मक्खी एवं किलनी के प्रभाव को कम करने हेतु नीम एवं करंज की पत्तियों का धुआ करना चाहिए एवं कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। किसी भी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी पशु औषधालय या पशु चिकित्सालय में संपर्क करना चाहिए। बीमारी के प्रकोप के थमने तक पशुपालन पशुओं का क्रय विक्रय न करें। अति संवेदनशील पशुओं के साथ-साथ 4 माह से अधिक उम्र के सभी पशुओं को शीघ्र बीमारी से बचाव हेतु टीकाकरण अवश्य कराएं। प्रभावित पशुओं का टीकाकरण नहीं किया जाना चाहिए। जो गाय बच्चा देने वाली हो उसे तथा अन्य गायों को भी यह टीका लगाया जाना चाहिए। यह टीका एक वर्ष में एक बार लगाया जाना चाहिए। अगर पशु पूर्व से टीकाकृत है तो पुन: एक वर्ष के पश्चात यह टीका लगने की आवश्यकता होती है।
उप संचालक ने बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जिले में टीकाद्रव्य उपलबध कराया गया है जो इस बीमारी से बचाव हेतु इच्छुक पशुपालक अपने पशुओं में लगवा सकते है। टीकाकरण हेतु पशुपालक अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय अथवा पशु औषधालय में संपर्क करें। इसके अलावा प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर एवं जिला स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम बनाई गई है जो प्रभावित पशुओं के उपचार एवं टीकाकरण हेतु कार्यरत रहेगी। पशुपालक बीमारी से संबंधित किसी भी तरह की मदद एवं जानकारी के लिए नजदीकी अस्पताल औषधालय में संपर्क कर सकते हैं।

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