सुलग रहा महाराष्ट्र, शिंदे-फडणवीस सरकार आने के बाद बढ़े दंगे’, ‘सामना’ में उद्धव गुट ने किया दावा
Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के अकोला और अहमदनगर में हुई हिंसा को लेकर उद्धव ठाकरे गुट ने मुखपत्र ‘सामना’ में हमला बोला है. एकनाथ शिंदे और फडणवीस पर कई आरोप भी लगाए गए हैं.
Saamana Editorial Today: महाराष्ट्र में पहले अकोला और फिर अहमदनगर में हिंसा देखने को मिली. इसे लेकर उद्धव ठाकरे गुट ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला बोला है और कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. सामना के संपादकीय में लिखा है, महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस की सरकार आने के बाद से जातीय और धार्मिक दंगों की संख्या बढ़ गई है.
मुख्यमंत्री शिंदे हवा में हैं और गृहमंत्री फडणवीस केवल नाममात्र के हैं, ऐसा ही कुल दिखाई दे रहा है. दंगे भड़का कर राजनीतिक रोटियां सेंकना बीजेपी का पीढ़ियों से चला आ रहा धंधा है और चुनाव नजदीक आते ही इस धंधे के निवेश में बढ़ोतरी की जाती है.
महाराष्ट्र में हिंसा
विदर्भ के अकोला में शनिवार को दो गुटों में दंगा भड़क उठा. मामूली विवाद से मारपीट और उससे दंगे की आग भड़क गई. इस दंगे को काबू में करने में पुलिस कम पड़ गई. सोशल मीडिया पर एक विवादित पोस्ट वायरल हुई और उससे विवाद की शुरुआत हुई.
इस हिंसा में एक की मौत हो गई. इंस्टाग्राम की एक पोस्ट को लेकर अकोला में एक दंगा भड़का और अकोला शहर दो दिनों तक सुलगता रहा. यह सुलगाव महाराष्ट्र की सामाजिक प्रकृति के लिए अनुकूल नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र सुलगता रहे इसका योजनाबद्ध नियोजन पर्दे के पीछे से चल रहा है. अकोला के बाद नगर जिले के शेवगाव में भी हिंसा हुई.
त्र्यंबकेश्वर मंदिर का मुद्दा
कुछ मुस्लिम ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर के उत्तर दरवाजे से अंदर घुसकर चादर चढ़ाने की कोशिश की. बीजेपी ‘दंगा-तनाव-भड़काऊ महामंडल’ ने इस पर तुरंत अपने-अपने भोंपू बजाकर राजनीतिक ‘जनजागृति’ का कार्य हाथ में लिया. हिंदू देवताओं पर चादर चढ़ाने की परंपरा नहीं है. गणेशोत्सव में कई मुसलमान बंधु श्रद्धा के साथ आते रहते हैं. मुस्लिम मोहल्लों से होकर विसर्जन के लिए गुजरनेवाले लालबाग के राजा, गणेश गल्ली के राजा आदि जुलूस पर पुष्प वर्षा, पूजा-अर्चना होती रहती है.
शिंदे-फडणवीस पर निशाना
राज्य में इस समय भड़काए जा रहे दंगे, राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं. ये जानबूझकर कराए जा रहे हैं. कुछ लोग आग में तेल आदि डालने का काम कर रहे हैं. महाराष्ट्र में दंगों की प्रयोगशाला खोलकर बीजेपी और उसके समर्थक सामाजिक समरसता को बिगाड़कर मतों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ मुद्दों को सामंजस्य और सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है, लेकिन शिवसेना को तोड़कर राज किया जा रहा है, उसी तरह समाज को तोड़कर वे चुनाव लड़ना चाहते होंगे.