पूणे

पंढरी के वारकरों की सेवा पांडुरंगा के सेवा समान है

पंढरी के वारकरों की सेवा पांडुरंगा के सेवा समान है
डॉ. श्री. शां. ब. मुजुमदार द्वारा भावना; मोबाइल क्लिनिक पहल का शुभारंभ
‘सिंबायोसिस’ और श्रीमती.शीला राज साळवे मेमोरियल ट्रस्ट के सहयोग से मोबाइल वारकरी क्लिनिक का शुभारंभ
 
पुणे: ज्ञानोबा तुकोबा की पालकी को अपने कंधों पर लेकरतालमृदंग की ध्वनि में पंढरी की ओर जानेवाले लाखों वारकरियों की सेवा करना हमारा सौभाग्य है. पिछले 23 वर्षों से हमें ये पुण्य का काम करने का अवसर मिल रहा है. थके हुए वारकरियों को सेवा देना, यह साक्षात् पांडुरंग की सेवा करने जैसा ही है,” ऐसी भावना ‘सिंबायोसिस’ के संस्थापक डॉशां. ब. मुजुमदार ने व्यक्त की।
सिंबायोसिस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, सिंबायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और श्रीमती सौ. शीला राज साळवे मेमोरियल ट्रस्ट के सहयोग से संतश्रेष्ठ श्री ज्ञानेश्वर महाराज और संतश्रेष्ठ श्री तुकाराम महाराज पालखी समारोह के अवसर पालखी उत्सव के अवसर पर शनिवार को मोबाइल क्लिनिक गतिविधि का शुभारंभ किया गया।
 
सेनापति बापट रोड स्थित ‘सिंबायोसिस’ के परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ नेता उल्हासदादा पवार, पुणे नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त कुणाल खेमनार, ‘सिंबायोसिस’ के ट्रस्टी संजीवनी मुजुमदार, सौ. शीला राज साळवे मेमोरियल ट्रस्ट के संस्थापक ऍड. अविनाश साळवे, ‘सिंबायोसिस’ के प्रबंध निदेशक डॉ. विद्या येरवडेकर, कुलपति डॉ. रजनी गुप्ते, संस्थापक डॉ. राजीव येरवडेकर, नगर स्वास्थ्य प्रमुख भगवान पवार, शांतिलाल भटेवरा, ऍड. प्रताप सिंह परदेशी, अक्षय साळवे, निवेदिता एकबोटे, राधिका धिंग्रा आदि मौजूद रहे।
डॉ. शां. ब. मुजुमदार ने कहा, “पूरे राज्य से वारकरी आलंदी और देहू में आए हैं। पंढरी की ओर चलते हुए उनकी सेवा करने का अवसर पांडुरंग का आशीर्वाद है। यह उन छात्रों के लिए एक समृद्ध अनुभव है जो विदेशों से,अन्य प्रांतों से आते हैं और इस उपक्रम भाग लेते है।”
कुणाल खेमनार ने कहा, “सकारात्मक ऊर्जा देने की यह गतिविधि अंतहीन चल रही है। वारकरी सेवा का यह व्रत दूसरों के लिए एक प्रेरणा है। वारकरियों की पीड़ा को कम करने के लिए, उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्हें चलने में किसी तरह की परेशानी  हो। इसके लिए दवा और स्वास्थ्य सेवा करने की पहल काबिले तारीफ है।
 उल्हासदादा पवार ने कहा, “वारी विचार, विवेक और वैराग्य का संगम है। इस संगम में चलने वाले वारकरियों की सेवा से देवत्व का आभास होता है। यह खुशी की बात है कि पुणे की ये दोनों संस्थाएं यह पिछले 23 वर्षों से एक साथ काम करती आ रही हैं, यह एक सुखद कहानी

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