ध्यान और साधना विश्व को भारत की देन
प्रो.डॉ.विश्वनाथ कराड के विचार : एमआईटी डब्ल्यूपीयू में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया
पुणे: योग, ध्यान और साधना पूरी दुनिया को भारत की देन है. योग मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन इसमें एकता और मानवता का एक छिपा हुआ अर्थ भी है. योग मानव जाति के लिए प्रकृति का सबसे बडा उपहार है. यह विचार एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने व्यक्त किए.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने आयुष मंत्रालय और पतंजलि योगपीठ के सहयोग से ९ वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को चिह्नित करने के लिए एमआईटी डब्ल्यूपीयू कोथरूड परिसर में योग महोत्सव का आयोजन किया. हर दिल ध्यान, हर दिन ध्यान की अवधारणा को इसी साल अपनाया गया है.
इस मौके पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, डॉ. विकास देव, पतंजलि योग समिति के डॉ. जगदीश दिवेकर, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, कुलसचिव गणेश पोकले, योग विद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो. निरंजन खैरे और स्कूल ऑफ पीस स्टडीज के अधिष्ठाता प्रो.डॉ. मिलिंद पात्रे मौजूद थे.
इस मौके पर सैकड़ों शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों को योग प्रशिक्षण व मार्गदर्शन किया गया.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, योग, साधना और ओंकार से मनुष्य शांति प्राप्त कर सकता है. योगाभ्यास के माध्यम से आत्म, स्वधर्म और स्वाभिमान को जाग्रत किया जा सकता है. आज पूरे विश्व को शांति की आवश्यकता है और यह केवल ध्यान से ही आएगी. इसके लिए एमआईटी में स्थापित आध्यात्मिक प्रयोगशाला को पूरी दुनिया के सामने रखा जाना है. साथ ही सभी को समय पर हर काम करने को महत्व को समझना चाहिए.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, जिस तरह से एमआईटी में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. अगले साल हम बडे पैमाने पर इसका रूप बनाने की कोशिश करेंगे और योगासन की अवधि २ घंटे कर देंगे. यह एकमात्र संस्था है जो यहां नियमित रूप से योग की कक्षाएं संचालित करती है.
डॉ. आर.एम.चिटणीस ने प्रस्तावना में राष्ट्रीय संविधान सम्मेलन के बारे में जानकारी दी. प्रो.निरंजन खैरे ने परियोजना के पीछे की भूमिका प्रस्तुत की.
प्रो.शालिनी टोंपे ने सूत्र संचालन किया. प्रो. अभय वायकर ने आभार माना.