राजनीति

दिल्ली-पंजाब के बाद अब हिमाचल में सियासी दरार! AAP नेता बोले- सच हो रही अरविंद केजरीवाल की बात

Lok Sabha Elections 2024: दिल्ली-पंजाब के बाद अब हिमाचल में सियासी दरार! AAP नेता बोले- सच हो रही अरविंद केजरीवाल की बात

:देश की राजनीति में इन दिनों चुनी हुई सरकार और राज्यपाल के बीच तकरार लगातार सुर्खियों में है. दिल्ली और पंजाब के बाद अरुणाचल प्रदेश में भी ऐसा ही तकरार नजर आ रहा है.

Himachal News: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के नेतृत्व वाली सरकार में विधानसभा से पारित दो विधेयक कानून नहीं बन सके हैं. हिमाचल राजभवन ने एक विधेयक को अपने पास रखा है, जबकि दूसरे को दोबारा परीक्षण के लिए वापस भेज दिया है. जानकारी के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक को मंजूरी नहीं दी है. वहीं, सुखाश्रय विधेयक को भी राज्य सरकार के पास कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है.

मामले में कूदी आम आदमी पार्टी

हिमाचल प्रदेश मेल उपज रहे इस सियासी तकरार में आम आदमी पार्टी भी कूद गई है. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली से विधायक नरेश बालियान ने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘पहले ही अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली तो बस शुरुआत है. पूरे देश में ये राज्यपाल के द्वारा सत्ता हथियाना चाहेंगे. अब अजय माखन क्या करोगे? यहां भी मत मदद करना अपने मुख्यमंत्री को, यहां मदद किया तो फिर दिल्ली में क्या जवाब दोगे? आप लोग इसी चक्कर में पांडिचेरी खो चुके हो.’

AAP ने मांगा विपक्षी दलों का साथ

इससे पहले विपक्षी एकता की बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसी बात को लेकर नाराज हो गए थे कि कांग्रेस केंद्र सरकार की ओर से पारित अध्यादेश मामले में आम आदमी पार्टी का साथ नहीं दे रही है. बैठक से पहले केजरीवाल ने कहा था- ‘केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादेश के सहारे एक प्रयोग किया है. अगर वो इसमें सफल हो जाती है, तो फिर एक-एक कर सभी गैर-बीजेपी राज्यों के लिए समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर अध्यादेश जारी कर राज्यों के अधिकार छीन लिए जाएंगे. इसी लिए सभी पार्टियां मिलकर इसे किसी हालत में संसद में पास न होने दें.’

ध्वनिमत से पारित हुआ था विधेयक

बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान लोकतंत्र प्रहरी सम्मान निरसन विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव किया था. भारतीय जनता पार्टी ने विधेयक निरसन को लेकर खूब हंगामा किया और विरोध में वॉकआउट कर दिया. इस बीच सत्तापक्ष ने ध्वनिमत से इस कानून विधेयक को पारित किया. इसके तहत पूर्व भाजपा सरकार ने आपातकाल के वक्त जेल में रहने वाले नेताओं की अलग-अलग दो श्रेणियों में 20 हजार रुपए और 12 हजार रुपए हर महीने सम्मान राशि के तौर पर देने का प्रावधान किया था. सुक्खू सरकार ने इसे राजनीति से जुड़ा हुआ बताते हुए खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया. सत्तापक्ष कांग्रेस के कई विधायकों ने इसे आरएसएस और भाजपा के लोगों को फायदा देने वाला बताया था. सदन में भारी विरोध के बीच सरकार ने लोकतंत्र सम्मान प्रहरी निधि को खत्म करने का फैसला ले लिया. इससे पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन ने इस सम्मान राशि को खत्म करने की मांग उठाई थी.

विवाद में हिमाचल है नई एंट्री?

इसके अलावा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय विधेयक 2023 को भी पारित किया है. इसमें अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट मानते हुए कई कानूनी प्रावधान दिए गए हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि बच्चों अनाथ बच्चों को सरकार उनका अधिकार दे रही है. भाजपा ने इस विधेयक पर तर्क दिया था कि केंद्र सरकार के पहले से चल रहे प्रावधानों में जोड़ने की बात की थी. विपक्ष की ओर से इसमें कई खामियां भी गिनाई गई थी. जानकारी के मुताबिक, अब राज्यपाल ने कुछ बिंदुओं पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है. सरकार ने यह फाइल विधि विभाग के पास भेजी है. वित्त विभाग से राय-मशवरा करने के बाद इसे दोबारा राजभवन भेजा जाना है. हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से किसी भी विवाद से इनकार किया जा रहा है. अगर राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद होता है तो गैर भाजपा शासित राज्य में चल रही इस सियासी लड़ाई में हिमाचल प्रदेश नहीं एंट्री होगी.

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