आशा कार्यकर्ताओं ने सुप्पी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का घेराव कर की जमकर नारेबाजी
सीतामढ़ी संवाददाता पुरुषोत्तम कुमार
सभी अस्पतालों में आशा कार्यकर्ताओं के हड़ताल का असर दिखने लगा है.सुप्पी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं का गुस्सा अचानक फूट पड़ा। सरकारी कर्मचारी घोषित करने, प्रोत्साहन राशि के बदले मानदेय देने, एक हजार रुपए के बदले कम से कम 15000 हजार रुपए देने की मांग को लेकर सीएचसी के मुख्य द्वार पर आशा कार्यकर्ताओं ने घंटों नारेबाजी की। जुलूस का नेतृत्व आशा संघ की प्रखंड अध्यक्ष बबिता देवी कर रही थी। एक हजार में दम नहीं दस हजार से कम नहीं, सरकारी कर्मचारी घोषित करो आदि नारे आशा कार्यकर्ता लगा रहे थे।घटना के बाद काफी देर तक अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। घटना को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी ने गंभीरता से लिया है , प्रभारी मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कल हिन्दुस्तान अखबार में मेरे विरुद्ध में गलत खबर छपी है अभी कोई टिका नहीं आया है, नहीं आपरेशन करना है। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी ने इस पर चिंता व्यक्त की है।आशा कार्यकर्ताओं ने बताया कि वह कड़ी धूप में बिना बरसात और जाड़ा की परवाह किए महज 10 सो रुपए में वर्षों से काम करती आ रही हैं। आशा कार्यकर्ता ने कहा कि कोरोना काल के समय जान की परवाह किए बिना सेवा हमने किया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि आशा कार्यकर्ताओं को कम से कम सरकार 15000 रुपए प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिया जाए।आशा कार्यकर्ताओं का यह मांग है कि जब तक उनकी मांगों को सरकार पूरा नहीं करती है, तब तक वह अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। बताया जा रहा है कि अपना 9 सूत्री मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता पिछले 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी है। आशा कार्यकर्ताओं ने सुप्पी चिकित्सा प्रभारी का घेराव कर की जमकर नारेबाजी की। अस्पताल परिसर में इमरजेंसी छोड़ कर सभी सेवाएं बाधित है।मांगे नहीं माने जाने की स्थिति में आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया।मौके पर संगीता सिंह, सीमा कुमारी, रम्भा कुमारी सिन्हा, राजो देवी,रेनु कुमारी, मंजु कुमारी, ललिता कुमारी, ललिता कुमारी, शकुन्तला देवी,सीमा देवी, उर्मिला देवी, सिन्धु देवी, रानी देवी , बबिता कुमारी, रेखा कुमारी, पूनम देवी, चंन्दकला देवी। प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से डिलीवरी के लिए महिलाओं को हॉस्पिटल लाती हैँं। इसके अलावा बच्चों का वैक्सीनेशन कार्य करती हैं। महिलाओं में खून की कमी का पता लगाने के लिए सर्वे करती हैं। बावजूद इसके उन्हें मात्र एक हजार रुपए का मानदेय दिया जा रहा है। इतने कम मानदेय में बच्चों का भरण-पोषण संभव नहीं है।