उत्तर प्रदेश की गौशालाएं बनी गौ मृत्यु शाला, मुख्यमंत्री संज्ञान लें
रिपोर्ट अरुण विक्रांत/संदीप अवस्थी
उत्तर प्रदेश के गौमित्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो निष्ठावान एवं कर्तव्य निष्ठ व ईमानदार मुख्यमंत्री के रूप में जाने व पहचाने जाते हैं और उनके द्वारा देसी गायों के संरक्षण व प्रबंधन हेतु उत्तर प्रदेश में गौशालाओं पर तमाम धन भी जारी किया जा चुका है परंतु प्रशासनिक हठ धर्मिता कहें या लापरवाही अथवा भ्रष्टाचार के चलते गौशालाओं की दुर्दशा देखते ही बनती है जनपद बहराइच के विकासखंड व तहसील महसी में ग्राम पंचायत चांदपारा की गौशाला जो तहसील महसी की नाक के नीचे संचालित हो रही है परंतु अधिकारियों द्वारा संज्ञान ना लिया जाना दुर्भाग्य का पर्याय है उक्त गौशाला को ग्रामीणों द्वारा बताया गयाकि इसका नाम गौशाला के बजाय गौ मृत्यु द्वार रखा जाना चाहिए मुख्यमंत्री के द्वारा, किंतु शायद मुख्यमंत्री से यह चूक हो और वह गौ मृत्यु द्वारा लिखने के बजाय गौशाला कहने लगे और लिखने लगे जो कदापि अनुचित लगता है ग्राम पंचायत चंदपरा की गौशाला को देखकर।
गौरतलाप है कि जनपद बहराइच विकासखंड महसी ग्राम पंचायत चांदपारा की गौशाला का हाल यह है कि यहां के कर्मचारी से की गई पूछताछ के दौरान पता चला की पूर्व में जितने भी गोवंशों की भारती गौशाला में हुई थी वह सब एक-एक करके एक वर्ष में ही मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं जो पिछली बार भरे गए गोवंशों में से इक्का-दुक्का गोवंश बच्चे हैं उसके पश्चात खाना पूर्ति के लिए क्षेत्र में विचरण कर रहे छुट्टा गौ वंशों को पकड़-पड़कर पुनः भरा गया परंतु इन गोवंशों को अभी तक टैग नहीं लग पाया है इसके अलावा उक्त कर्मचारी ने बताया की 3 किलो चूनी चोकर में 45 गोवंशों को चारा खिलाया जाता है यही वजह है कि भूख से व्याकुल होकर गोवंश मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं और उन गोवंश के अवशेषों को नहर के किनारे फेंक दिया जाता है जिसको हड्डी व्यापारियों द्वारा बेचने हेतु उठा लिया जाता है तो अब प्रश्न यह उठता है की मुख्यमंत्री द्वारा आखिर अथवा गौशालाओं का निर्माण गौ संरक्षण हेतु किया गया था अथवा गौ मृत्यु द्वार के रूप में स्थापित किया गया था जिसका संज्ञान योगी सरकार के उच्च अधिकारियों द्वारा आवश्य लिया जाना चाहिए परंतु यहां तक की उप जिला अधिकारी की नाक के नीचे इस गौशाला का संज्ञान तक नहीं लिया गया जो साबित करता है की गौ संरक्षण पर योगी सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है असलियत में संरक्षण का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद में । और यह गोवंश की भुखमरी से हो रही मृत्यु के रूप में स्पष्ट रूप से दिखाई भी देने लगा है प्रत्येक गौशालाओं में संरक्षण के नाम पर। यही नहीं अपितु हाल ही में जिलाधिकारी बहराइच महोदय द्वारा देव रायपुर ग्राम पंचायत में एक गौशाला का उद्घाटन समारोह बड़े भव्य स्वरूप में किया गया किंतु उक्त गौशाला की सूचनाओं सूत्रों के अनुसार इस तरह की हैं कि कोई भी सप्ताह ऐसा नहीं होता है जिसमें एक आध गोवंश भूख से प्राण न त्याग दे इसी तरह संपूर्ण जिले के हालात देखते हुए आम जनता इस विषय पर विचार करने को विवश हो चली है कि आखिर इन गौशालाओं का नाम मृत्यु द्वार क्यों नहीं रखा जाता है इस विषय पर गौमित्र एवं गऊ पालक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महोदय को गंभीरता से विचार करते हुए इन गौ संरक्षण संस्थाओं को मृत्यु द्वार के नाम से संचालित किया जाना चाहिए अन्यथा की स्थिति में यदि वास्तव में गौ संरक्षण के उद्देश्य से गौशालाएं संचालित की जा रही होती तो कम से कम यह गोवंश जो भूख से तड़पकर दम तोड़ते नजर आ रहे हैं अथवा गौशालाओं में दम तोड़ने के पश्चात इन्हें नहर के किनारे फेंक दिया जाता है कम से कम इन्हें उचित सम्मान देकर मुख्यमंत्री की मनसा अनुसार उपकृत किया जाता परंतु ऐसा नहीं है।