राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं : मनोज मुंतशिर
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में आयोजित भारतीय छात्र संसद के 13वें संस्करण के दूसरे दिन “लोक संस्कृति की शक्ति” विषय पर सत्र
विशाल समाचार नेटवर्क न्यूज पुणे : जिस देश के पीछे सारा संसार चला उसी देश को कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं कि तुम्हारे पास कुछ नहीं है। मानसिक गुलामी ज्ञान के आगे ज्यादा देर टिक नहीं सकती। राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है, ऐसा जाने-माने गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला ने एमआईटी स्कूल ऑफ़ गवर्नमेंट द्वारा आयोजित 13वें भारतीय छात्र संसद के चौथे सत्र में कहा।
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष कुंवर मानवेंद्र सिंग ने चौथे सत्र की अध्यक्षता की। यह सत्र लोक संस्कृति की शक्ति पर केंद्रित था। इस मौके पर आदर्श युवा पुरस्कार बिहार के विधायक सुधांशु शेखर और उत्तराखंड के विधायक सुरेश गारिया को प्रदान किया गया।
मनोज मुंतसिर शुक्ला जब लोग कहते हैं कि दुनिया को भारत ने क्या दिया.. जीरो… हम इसे स्वीकार किया हमने देश को जिरो दिया। जब भारत ने जिरो दिया तो दुनिया को गिनती आई। दुनिया ने तो हमारी नकल की लेकिन क्रेडिब्लिटी नहीं दी, इसका बुरा लगता है। अगर भारत के गणितज्ञ ने दशमलव नहीं दिया होता तो आज नासा वाले पृथ्वी से चांद तक की दूरी भी नहीं तय कर पाते। जिस देश के पीछे सारा संसार चला उसी देश को कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं कि तुम्हारे पास कुछ नहीं है। मानसिक गुलामी ज्ञान के आगे ज्यादा देर टिक नहीं सकती। इंडिया और भारत में बहुत अंतर है इंडिया माउंट बेटन का था और भारत मोहनदास करमचंद्र गांधी का है और हम मोहनदास करमचंद्र गांधी के भारत में रहते हैं। जो प्रकाश की खोज में रत वही हमारा और आपका भारत है। राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। हमेशा स्त्री को पुरुष को आगे रखना हमारी परंपरा है। सति प्रथा हमारा चुनाव नहीं हमारी विवशता थी, सति प्रथा हमारी संस्कृति नहीं थी।
अंशुमन पाटिल (महाराष्ट्र), दिया तोमर (मध्यप्रदेश), ज्ञानेश्वरी विरोले (महाराष्ट्र), श्रद्धा शिरोडकर (गोवा), आर्या बसारे (महाराष्ट्र) ने प्रेरणादायक भाषण दिया। समारोह का संचालन डॉ. गौतम बापट ने किया। मृदुला कुलकर्णी ने अतिथियों का स्वागत किया।