पूणे

पुणे में महिलाओं में मोटापा और हृदय रोगों का साइलेंट खतरा  

पुणे में महिलाओं में मोटापा और हृदय रोगों का साइलेंट खतरा

 

 

पुणे :  महाराष्‍ट्र की लैंसेट रिपोर्ट के अनुसार, 15 साल से ज्‍यादा उम्र के 24% लोग मोटापे का शिकार हैं।  ओवरवेट तथा मोटापे की श्रेणी में पुणे वासियों का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। नौजवान महिलाओं में भी मोटापा तेजी से बढ़ रहा है और  मोटापे से ग्रस्त महिलाओं पर एक अन्‍य लेख संकेत देता है कि महिलाएं ओवरवेट की चिंता करती हैं। लेकिन यह चिंता सेहत नहीं, बल्कि वे कैसी दिखती है, इससे जुड़ी होती है। ‘विश्व मोटापा दिवस’ के मौके पर, डॉक्टर्स मोटापा तथा हृदय स्वास्थ्य के बीच संबंध होने की बात कहते हैं। वे मोटापा तथा इससे जुड़ी परेशानियों को लेकर जागरूकता बढ़ाने पर जोर देते हैं। वे इसमें जल्‍दी दखल देने की जरूरत बताते हैंखासकर महिलाओं के लिये।

सह्याद्री अस्पताल से वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ एवं कैथ लैब डायरेक्टर, डॉ. प्रिया पालिमकर, इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहती हैं, “मोटापा तथा दिल का दौरा या दिल की धमनी के रोग के बढ़े हुए खतरे के बीच संबंध स्थापित किया गया है। ज्यादा मोटापा शारीरिक बदलाव लाने के लिए बाध्य करता है जिससे रक्त धमनियों में ज्यादा मात्रा में प्लाक बनने का खतरा बढ़ जाता है। यह प्लाक हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।’’

खासतौर से महिलाओं के लिए यह खतरा ज्यादा चिंताजनक है, जिनके लक्षण बेहद कम और आसानी से अनदेखे किए जाने वाले हो सकते हैं। पुरुषों को जहां छाती में दर्द महसूस होता है, वहीं महिलाओं में ब्लॉकेज की वजह से ऐसा लक्षण कई बार स्पष्ट नजर नहीं आता।

डॉ. प्रिया पालिमकर आगे कहती हैं, “लक्षणों के स्पष्ट नजर नहीं आने से उससे जुड़ी समस्याएं छुप जाती हैं, ऐसे में महिलाओं में खतरे के अन्य लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है, जैसे कि हॉर्मोनल बदलाव।’’ महिलाओं को अपने अन्य लक्षणों को लेकर जागरूक होने और हृदय रोगों की आशंकाओं को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। कई बार सामान्य महसूस होने वाले लक्षण जैसे कि पसीना आना, मितली, चक्कर और असामान्य थकान जैसे लक्षण आम लग सकते हैं, लेकिन महिलाओं में ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते  हैं। आराम करते या सोते वक्‍त यह लक्षण बार-बार उभर सकते हैं। बदकिस्मती से, जब महिलाओं को हार्ट अटैक महसूस होता है तो उसमें अक्सर भ्रम हो जाता है। इसका कारण है कि महिलाओं के लक्षण ज्यादा अस्पष्ट हो सकते हैं। उनके लक्षणों में शामिल है सांस लेने में तकलीफ होना, मितली या उल्टी और जबड़े या पीठ में दर्द। वहीं अन्य महिलाओं को चक्कर आना, सिर में हल्कापन, छाती के निचले हिस्से या पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना और अत्यधिक थकान का अनुभव हो सकता है।

इन समस्याओं के प्रभावी उपचार और नियंत्रण के लिए समय पर बीमारी का पता लगाना बेहद जरूरी है। डॉ. प्रिया, संतुलित आहार, एक्सरसाइज के साथ एक सेहतमंद लाइफस्टाइल चुनने की सलाह देती हैं। साथ ही मोटापा व हृदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए तनाव के प्रबंधन के लिए कहती हैं। शक्कर युक्त पेय कम करना और नींद को महत्व देने जैसे छोटे बदलावों का बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। गंभीर मामलों में, कम चीर-फाड़ वाली प्रक्रियाएं जैसे एंजियोप्लास्टी की भी सलाह दी जाती है जिसकी सफलता दर उच्च है। मोटी महिलाओं में कोरोनरी आर्टरी डिसीज (CAD) के लिये मेटल-लेस (धातु रहित) एंजियोप्‍लास्‍टी की नई तकनीक आई है। इसमें बायोरिजॉर्बेबल स्‍काफोल्‍ड्स (BRS) इसे घुलनशील स्टेंट भी कहा जाता है और ड्रग-कोटेड बलून्‍स (DCB) का इस्‍तेमाल होता है। यह कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्‍वपूर्ण प्रगति है। कोई स्‍थायी इम्‍प्‍लांट छोड़े बिना यह तकनीक धमनी की कार्यप्रणाली को पहले की तरह प्राकृतिक बना देता है और भविष्‍य में उपचार के लिये भी विकल्प खुला रखता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button