नवविकास में अर्थशास्त्र, समता, नैतिकता और पर्यावरण संतुलन आवश्यक : डॉ.रघुनाथ माशेलकर
जागतिक पर्यावरण दिन के अवसर पर पीआयसी द्वारा ‘सस्टेनेबल ॲन्ड क्लायमेट रेझिलियंट डेव्हलपमेंट फॉर इंडिया’ किताब का प्रकाशन संपन्न
पुणे : जागतिक पर्यावरण दिन के अवसर पर पुणे इंटरनॅशनल सेंटर (पीआयसी) द्वारा प्रसिध्द शास्त्रज्ञ, पीआयसी के विश्वस्त व पीआयसी के एनर्जी एनव्हायरमेंट ॲन्ड क्लायमेट चेंज (ईईसीसी) संशोधन विभाग प्रमुख प्रा.अमितव मल्लिक इन्होने संपादित किए ‘सस्टेनेबल ॲन्ड क्लायमेट रेझिलियंट डेव्हलपमेंट फॉर इंडिया’ इस पीआयसी के पहले स्वयंप्रकाशित किताब का प्रकाशन हालही में सुमंत मुळगावकर हॉल में किया गया है.
पीआयसी के अध्यक्ष डॉ.रघुनाथ माशेलकर यह इस कार्यक्रम के अध्यक्ष स्थान पर थे. इस दौरान सन्माननीय अतिथी के रूप में गोखले इन्स्टिट्युट ऑफ पॉलिटिक्स ॲन्ड इकोनॉमिक्स के कुलगुरू डॉ.अजित रानडे, पीआयसीचे संचालक अभय वैद्य उपस्थित थे. इस किताब में नौ लेखक और सस्टेनेबिलिटी विशेषज्ञों का सहभाग है जिसमें डॉ.प्रियदर्शिनी कर्वे,डॉ.गुरूदास नूलकर,डॉ.नितांत मते,मेघा फडके, शाल्वी पवार,आदिती काळे,डॉ.एजाज घनी,अजय शंकर व प्रा.अमितव मल्लिक इनका समावेश है
डॉ.रघुनाथ माशेलकर ने दिल्ली में 50 डिग्री तक तापमान बढ़ने की ओर इशारा करते हुए कहा कि तापमान में वृद्धि, गर्म लहरें, पानी की कमी इसके माध्यम से हम हवामान बदल के प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं. मनुष्यकेंद्रित विकास के लिए लोगों का सहभाग महत्त्वपूर्ण है. नवविकास में अर्थशास्त्र, समता, नैतिकता और पर्यावरण संतुलन आवश्यक है.
डॉ.अजित रानडे ने कहा की,शाश्वत विकास में नैतिकता और अगली पीढ़ी का विचार महत्वपूर्ण है.
दो साल पहले, पीआईसी के ईईसीसी विभाग द्वारा हवामान सुरक्षित भविष्य के लिए युवाओं का घोषणापत्र प्रकाशित किया गया था. इस ओर ध्यान देते हुए प्रा.मल्लिक ने कहा कि,हवामान बदल के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अब ठोस कदम उठाने का समय है और इसके लिए स्वच्छ अक्षय्य ऊर्जा महत्वपूर्ण होगी. अब समय आ गया है कि हम केवल जीडीपी के पीछे भागने के बजाय ग्रीन जीडीपी विकसित करने पर ध्यान दें
किताब के प्रकाशन के बाद लेखकों की सहभागिता से चर्चासत्र का आयोजन किया गया था.
कार्यक्रम का सूत्रसंचालन पीआयसी के संशोधन सहाय्यक सानिका पोतनीस इन्होने किया और अभय वैद्य ने आभार प्रदर्शन किया