उत्तर प्रदेश

परिस्थितजन्य लाजमी भी है, किंतु मोदी और शाह व भाजपा तथा आरएसएस को यह भी जान लेना चाहिए कि उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ जैसे नेता को यदि छेड़ा जाता है तो उत्तरप्रदेश में भाजपा के पतन को दावत देने के बराबर होगा

परिस्थितजन्य लाजमी भी है, किंतु मोदी और शाह व भाजपा तथा आरएसएस को यह भी जान लेना चाहिए कि उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ जैसे नेता को यदि छेड़ा जाता है तो उत्तरप्रदेश में भाजपा के पतन को दावत देने के बराबर होगा

चारों शंकराचार्य एवं अवध की जनता को नकारना राम को गंवारा नहीं

क्योंकि अपने 7 वर्ष के मुख्यमंत्रित्व काल में योगी ने अपने को प्रमाणित हिंदुत्व चेहरा के रूप में साबित कर दिखाया है ,उत्तर प्रदेश में, और नारजगी योगी पर दिखाई जा रही हैं यह कदापि न्याय रंगत नहीं है

 

विशाल समाचार संवाददाता यूपी 

 

उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली करारी शिकस्त की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नाराजगी जग जाहिर हो चुकी है, जो परिस्थितजन्य लाजमी भी है, किंतु मोदी और शाह व भाजपा तथा आरएसएस को यह भी जान लेना चाहिए कि उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ जैसे नेता को यदि छेड़ा जाता है तो उत्तरप्रदेश में भाजपा के पतन को दावत देने के बराबर होगा,क्योंकि अपने 7 वर्ष के मुख्यमंत्रित्व काल में योगी ने अपने को प्रमाणित हिंदुत्व चेहरा के रूप में साबित कर दिखाया है, इस स्थिति में उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु समूचे भारत में हिंदूत्ववादी जनता के जेहन में घर कर गए हैं योगी आदित्यनाथ, इसलिए योगी आदित्यनाथ को छेड़ने का अर्थ भाजपा के जनसमर्थन को धक्का देना जो भाजपा के लिए आत्मघाती कदम साबित होगा भविष्य में अतः अर्थता भाजपा के लिए विकल्प के रूप में योगी का विरोध के बजाय उचित मक्च और समर्थन देना सह गया है मात्र, यदि ऐसा नहीं कर पाती है भाजपा तो यूपी में भाजपा का सफाया निश्चित तौर पर तब समझें। गौर तलब है कि अयोध्या की हार हो या बनारस में जीत का यूपी पर आंख तरेरने से अच्छा यूपी में उद्योग स्थापित करें

 

अंतर कम होने का कारण एक हो रहा जो अयोध्या में राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का धार्मिक आयोजन, धार्मिक आयोजन न होकर वीआईपी कल्चर का एक कार्यक्रम बन कर रह गया, वहां अवध की क्षेत्रीय जनता को नकार कर देश विदेश के वीआईपी कल्चर को अतिरिक्त महत्व दिया गया, यही नहीं अयोध्या और बनारस जैसी धार्मिक नगरे के अधिकतम रोजगार पर गुजरातियों को स्थापित किया जाना, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में क्षेत्रीय जनता को ही नहीं अपितु चारों शंकराचार्यों को भी नजरअंदाज कर दिया गया,

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जो प्रबुद्ध वर्ग के अनुसार ठीक सनातन का विरोध हो साबित होकर रह गया क्योंकि भाजपा को केवल उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा धक्का लगा है अन्य राज्य में इतना नहीं परंतु अवश्य लगा कुछ राज्यों को छोड़कर, इस दृष्टि से कि केवल उत्तरप्रदेश में भाजपा को भारी झटका लगना जबकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन हालाकि उत्तरप्रदेश में मंदिर निर्माण कि एक बड़ी उपलब्धि थी भाजपा की झोली में विशेष तौर पर इस वजह से भाजपा को कॉन्फिडेंस भी था फिर भी उत्तरप्रदेश में भाजपा की कमर टूट जाना सथित कला है श्री राम मंदिर निर्माण की बड़ी सफलता के बाद भी हारना, केवल मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में क्षेत्रीय जनता को नकार कर रोजगार में गुजरातियों की स्थापना से प्रदेश की जन्हा खासकर ब्रह्मण समुदाय जिसकी जीवकोपार्जन का जरिया का खत्म होना और बदले में अयोध्या बनारस ही नाहीं समूचे उत्तरप्रदेश के रोजगार पर गुजरातियों की स्थापना से प्रदेशवासियों की बेरोजगारी सुसरा की तरह बढ़ गई जिसमें अधिकतर ब्रह्माणवर्ग पीड़ित रहा जिस पर भाजपा का ध्यान गया ही नहीं न मोदी ने इस विषय पर गौर किया और नहीं अमित शाह ने और नहीं भाजपा अध्यक्ष को दिखाई दिया, अयोध्या चनासा और समूचे उत्तर प्रदेश में प्रदेशवासियों की आय के स्रोत छीनते हुए और गुजरातियों का उत्तर प्रदेश के रोजगार स्रोत पर कब्जा करना मुख्य कारण बन गया हालांकि भाजपा के विश्लेषण में उत्तर प्रदेश की हार का कारण कुछ भी है किंतु बनारस अयोध्या और तराई , इटावा, औरैया, मैनपुरी क्षेत्र में बेरोजगार हुए लोगों ने ब्रह्म पीयूष से अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि हमारे ही रोजगार को छीन कर गुजरातियों को सौंपे गए हैं जिसकी वजह से हम बेरोजगार होकर के घर बैठे हैं 5 किलो राशन 10 दिन चलता है 20 दिन के लिए दिहाड़ी करना पड़ता है कभी मिलती है दिहाड़ी कभी नहीं मिलती है अयोध्या के एक पुजारी ने बताया कि हमारा मंदिर टूट गया जो हमारी आय का एक मात्र साधन था वहां पर अब भव्य होटल बना है जो गुजरातियों का है तो तराई के बहराइच में कई युवा ड्राइवरों ने बताया कि पहले हम जल संगम विभाग में अधिकारियों की गाड़ियां चलाते थे जिससे हमारे परिवार का गुजारा चलता था लेकिन अब गुजराती कंपनियों ने यहां के समस्त कार्यों का ठेका हासिल कर लिया है निजीकरण नीति के तहत जल जीवन मिशन का काम विभाग से करवाने के बजाय गुजराती कंपनियों को ठेका दे कर काम करवाना जहां उच्च स्तर पर समस्त गुजराती लोगों की नियुक्ति उपस्थित और निचले स्तर पर हम सभी ड्राइवर को 8 घंटे का पेमेंट कर 24 घंटे कार्य करवाया जाने लगा जो शोषण की तरह दिखा और हम कर्मचारियों को बात-बात पर धमकियां दी जाती थी उल्टे सीधे लहजे में बात करते थे जिससे तंग आकर हम लोगों ने अपनी गाड़ी या जो ड्राइवर था यह काम छोड़ दिया कुछ लोग अधिक वेवश थे जो नहीं भी छोड़े हैं काम करते भी एक आध लोग लेकिन इस तरह बहुत लोग बेरोजगार हो गए अयोध्या हो या बनारस या बहराइच एक तरफ बेरोजगारी का ग्राफ का बड जाना दूसरी और राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा में शंकराचार्य सहित क्षेत्रीय जनता को नकार देना घातक साबित हुआ भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में, और नारजगी योगी पर दिखाई जा रही हैं यह कदापि न्याय रगत नहीं है मोदी शाह व भाजपा के लिए, उत्तरप्रदेश की जनता योगी का विरोध सहन कतई नहीं करेंगी सनद रहे यूपी के हिंदुत्व नेहा योगी पर आंखें तरेरने से सब बंटाधार हो जाएगा भाजपा का भला नहीं होगा और न ही अकेले गुजरात में समस्त उद्योग स्थाति करने से, क्षेत्रीय प्रदेश वासियों को रोजगार एवं सम्मान से भी दरकिनार करना दुर्गाय बन गया जो शंकराचार्य ने कहा भी था कि अर्ध निर्मित मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा करने से भाजपा की दुर्दशा हो जाएगी जो जग से छुपा नहीं है, इसलिए भाजपा को चाहिए कि गुजरात के बजाय यूपी में भी रोजगार स्थापित करे।

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