यूपी की पहली FIR, नए कानूनों में किस पर हुआ पहला एक्शन, किसान ने ऐसा क्या कर दिया...
भारत में बढ़ते मॉब लिंचिंग के मामलों को ध्यान में रखते हुए नए कानूनों में इस पर सजा का प्रावधान किया गया है. भारतीय न्याय संहिता (BNS), की धारा 103 के तहत जाति, नस्ल या समुदाय के आधार पर की गई हत्या को एक अलग अपराध के रूप में मान्यता दी गई है.भा
रत में तीन नए अपराध कानून आज 1 जुलाई से लागू हो गए हैं. इनमें भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) शामिल हैं. खास बात ये है कि इन नए कानूनों पर सबसे पहले उत्तर प्रदेश में अमल किया गया है. नए कानून के तहत यूपी में पहली पुलिस रिपोर्ट दर्ज की है.
आज से लागू भारतीय न्याय संहिता के तहत उत्तर प्रदेश का पहला मुकदमा अमरोहा में दर्ज हुआ है. यह मुकदमा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 के तहत दर्ज हुआ है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार राजवीर उर्फ रज्जू और भूप सिंह उर्फ गोलू के खिलाफ दुर्घटना में मौत की धाराओं में यह मामला दर्ज हुआ है. अमरोहा के रेहरा थाने में सुबह 9:51 पर इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
ग्राम ढकिया खादर के संजय सिंह ने अपने पिता जगपाल की मौत के मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है. आरोपियों के खेत में लगे बिजली के तार के करंट से संजय सिंह के पिता की मौत हो गई. 1 जुलाई की सुबह साढे 6 बजे खेत में काम करने के दौरान जगपाल की करंट लगने से मौत हो गई.
ऐसे दर्ज हुई पहली FIR
अमरोहा जिले के थाना रहरा निवासी संजय सिंह ने पुलिस में तहरीर दी कि उसके पिता जगपाल उर्फ मंगला 1 जुलाई की सुबह लगभग 6.30 बजे अपने खेत में धान की रोपाई करने गए थे. उनके खेत के बराबर में राजवीर का ईख का खेत है. राजवीर और उसके लड़के भूप सिंह ने खेत में बिजली के तार लगा रखे हैं, जिसका करंट खेत में फैला रहता है. इन्हीं तारों की वजह से फैले करंट में उनके पिता चपेट में आ गए. पिता को फौरन उपचार के लिए निजी अस्पताल ले गए, वहां डॉक्टरों ने उपचार के दौरान उन्हें मृतक घोषित कर दिया.
बता दें कि ये तीनों कानून दिसंबर 2023 में संसद से पास हुए थे. इन नए कानूनों भारत में आजादी के बाद से ही औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानूनों की जगह ली है. सरकार ने इन नए कानूनों के बारे में कहा था, “यह भारतीयों द्वारा, भारत के लिए बनाए गए कानून हैं…”
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2024 में दर्ज धारा 69 के अनुसार छलपूर्वक यौन संबंध बनाने के मामले में सजा का प्रावधान है. इसमें कहा गया है, “कोई व्यक्ति ‘छलपूर्वक साधन’ या किसी महिला से शादी करने का वादा कर (जिसे पूरा करने का कोई इरादा नहीं है) उससे शारीरिक संबंध बनाता है, उसे 10 साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है…’ ‘छलपूर्वक साधन’ में रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, किसी तरीके का दबाव डालना या असली पहचान छिपाकर शादी करना शामिल है.