पूणे

वैद्य विनीता बेंडाले द्वारा इलाज किए गए मरीज की केस रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित

 

वैद्य विनीता बेंडाले द्वारा इलाज किए गए मरीज की केस रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित

 

पुणे: पुणे की द्युन्मा वूमेन क्लिनिक की वैद्य विनीता बेंडाले द्वारा इलाज किए गए मरीज की केस रिपोर्ट जर्नल ऑफ रिप्रोडक्शन एंड इनफर्टिलिटी इस अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है. द्युम्ना वूमेन्स क्लिनिक में एक 44 वर्षीय पुरुष मरीज स्पर्म डीएनए फ्रॅगमेनटेशन की रिपोर्ट लेकर आया था.आयुर्वेद के अनुसार मरीज का पूरा इतिहास जानने के बाद आयुर्वेद इलाज का निर्णय लिया जाता है.आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार शुक्र धातुओं में विकृती का इलाज करके रासायनिक औषधियों और बस्ती चिकित्सा से उनका उपचार किया गया व चार महीने के इलाज के बाद ही मरीज को सफलता मिल गई. चार महीने के उपचार के बाद उनके एसडीएफ की दोबारा जांच की गई और बताया गया कि शुक्राणु में विखंडन प्रक्रिया दुरूस्त हो गई है.

बांझपन दुनिया भर में एक गंभीर समस्या है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, छह में से एक जोड़े के बच्चे नहीं होते (17.5%). बांझपन के लगभग 20 से 35% कारण पुरुष दोष होते हैं. स्पर्म डीएनए फ्रॅगमेनटेशन (एसडीएफ ) शुक्राणु के डीएनए में विखंडन होना पुरुष बांझपन के कारणों में से एक है. एसडीएफ के कारण नैसर्गिक रूप से गर्भधारणा होने में कठिनाई हो सकती है, बार-बार गर्भपात हो सकता है, एआरटी की सफलता दर कम हो सकती है.वैज्ञानिकों के अनुसार, एसडीएफ के संभावित कारण ऑक्सीडेटिव तनाव, पुरुष प्रजनन प्रणाली की सूजन, वेरिकोसिल या जीवाणु संक्रमण हैं. वर्तमान में उपलब्ध उपचार हैं मौखिक एंटीऑक्सीडेंट गोलियाँ, वेरिकोसिल की सर्जिकल मरम्मत, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग और स्पर्म चयन पर आधारित असिस्टेड रिप्रॉडक्टिव्ह तंत्रज्ञान ( एआरटी ) चिकित्सा है. विभिन्न उपचार अक्सर विफल हो जाते हैं और ऐसे मरीजों को गर्भधारण करने में कठिनाई होती है

 

वैद्य विनिता बेंडाले ने कहा की,बांझपन का इलाज करते समय मरीज की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, आहार और जीवनशैली में उचित बदलाव करने से जल्दी सफलता मिलना आसान होता है.महत्वपूर्ण बात यह है कि हम जिन दवाओं का उपयोग करते हैं उनका परीक्षण किया जा चुका है और संशोधन में उन्हें सुरक्षित साबित किया गया है. हम पिछले 30 वर्षों से इस आयुर्वेदिक रसायन चिकित्सा का उपयोग कर रहे हैं.

इस केस रिपोर्ट में वैद्य श्री लक्ष्मी चागंटी, वैद्य ऋतूजा पांडव, वैद्य दीपाली पवार इनका भी सहभाग था.

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