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जारी है आतंकियों का दुस्साहस, जम्मू में लगातार तीसरी रात मिलिट्री स्टेशनों के पास दिखे ड्रोन

काश्मीर :जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन अटैक का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि एक बार फिर से शहर में तीन मिलिट्री लोकेशंस के पास संदिग्ध ड्रोन देखने को मिले हैं। जम्मू जिले के एसएसपी चंदन कोहली ने यह जानकारी दी है। सेना की ओर से पुलिस को जानकारी दी गई है कि मंगलवार को रात 12:30 बजे से सुबह 4:30 बजे के बीच रत्नुचक, कालूचक मिलिट्री स्टेशनों और सुंजवां आर्मी ब्रिगेड के पास ड्रोन देखे गए। एसएसपी चंदन कोहली ने कहा, ‘सेना ने हमें बताया है कि कालूचक, रत्नुचक और सुंजवां में मंगलवार को सुबह ड्रोन देखे गए। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं।’
बता दें कि कालूचक और रत्नुचक में मिलिट्री स्टेशंस हैं। वहीं सुंजवां में भारतीय सेना की ब्रिगेड है। इस तरह तीनों ही स्थान भारतीय सेना के लिहाज से अहम हैं। लगातार तीसरी रात ड्रोन देखे जाने को लेकर भारतीय सेना ने कोई बयान जारी नहीं किया है। इससे पहले रविवार को तड़के एयरफोर्स स्टेशन पर दो ड्रोन्स के जरिए अटैक किया गया था और विस्फोटक गिराए गए थे। इसके चलते दो वायुसेना कर्मी घायल हो गए थे। इस मामले की जांच फिलहाल होम मिनिस्ट्री की ओर से एनआईए को सौंप दी गई है। इसके बाद सोमवार को भी ड्रोन देखे जाने की बात आर्मी की ओर से कही गई थी। सेना का कहना था कि इन ड्रोन्स को निशाना बनाकर फायरिंग की गई, जिसके बाद ये गायब हो गए।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ड्रोन के तौर पर भारत के समक्ष एक नया सुरक्षा खतरा पैदा हुआ है। इसके जरिए सीमा पार बैठे आतंकवादी भारत में महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बना सकते हैं। ऐसा पहली बार है, जब भारत में किसी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। रविवार को जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर विस्फोटक गिराए जाने के बाद भी मिलिट्री स्टेशंस के पास दो ड्रोन देखे गए थे। पहला ड्रोन रात को 11:45 बजे देखा गया था। वहीं दूसरा सुबह 2:40 के वक्त देखा गया था। इस बीच ड्रोन के जरिए आतंकी संगठनों की ओर से टारगेट किए जाने की कोशिशों के मुद्दे को भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया है।
सुरक्षा एवं खुफिया अधिकारियों का मानना है कि इन घटनाओं के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ हो सकता है। इससे पहले 14 मई, 2002 को तीन हथियारबंद आतंकियों ने जम्मू के कालूचक मिलिट्री स्टेशन पर हमला बोला था। ये तीनों आतंकी पाकिस्तान से ही आए थे। इन तीनों ही आतंकियों ने सबसे पहले हिमाचल रोडवेज की बस को टारगेट किया था, जिसमें 7 नागरिकों की मौत हुई थी। इसके बाद मिलिट्री स्टेशन में घुस गए थे। यहां 23 लोगों की आतंकी हमले में मौत हो गई थी। इनमें 10 बच्चे और 5 सैनिक भी शामिल थे।

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