पूणे

यामाहा ने ग्रेटर नोएडा में 6,000 वर्गमीटर में हरित क्षेत्र बढ़ाने का वादा किया

यामाहा ने ग्रेटर नोएडा में 6,000 वर्गमीटर में हरित क्षेत्र बढ़ाने का वादा किया

 

 

 

पुणे : इंडिया यामाहा मोटर प्रा. लि. ने अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व (सीएसआर) पहल के तहत पर्यावरणीय गतिविधियों में निवेश बढ़ाने की घोषणा की है। इस पहल का लक्ष्‍य समाज एवं पर्यावरण को उनके अनुदानों के बदले में कुछ लौटाना है। इस अभियान के तहत कंपनी एक व्‍यापक नजरिया अपना रही है और अपनी प्रतिबद्धता को ज्‍यादा ठोस करना चाहती है। इसके अंतर्गत वेटलैण्‍ड बफर ज़ोन 2, ग्रेटर नोएडा की 6,000 वर्गमीटर भूमि पर गौतम बुद्ध नगर के वन प्रभाग के साथ मिलकर 21,000 पेड़ लगाये जाएंगे। यह पहलें कार्बन उत्‍सर्जन के अवशोषण द्वारा धीरे-धीरे कार्बन न्‍यूट्रैलिटी हासिल करते हुए पर्यावरण के अनुकूल एक स्‍थायी भविष्‍य बनाने के लिये यामाहा की प्रतिबद्धता के अनुरूप हैं।

 

 

 

यह पहल गौतम बुद्ध नगर के वन प्रभाग के साथ हुए चार साल के एक अनुबंध का हिस्‍सा है। इसमें पहले साल के लिये पौधारोपण और अगले तीन वर्षों के लिये उनका रख-रखाव शामिल है। इससे समाज की ज्‍यादा भलाई होगी।

 

 

 

इस पहल के बारे में यामाहा मोटर इंडिया ग्रुप ऑफ कंपनीज के श्री एशिन चिहाना ने कहा, ‘’यामाहा मोटर ग्रुप के ‘एनवायरनमेंटल प्‍लान 2050’ के तहत हम जलवायु परिवर्तन से निपटने, संसाधनों के पुन:चक्रण को बढ़ावा देने और जैव-विविधता का संरक्षण करने के लिये प्रतिबद्ध हैं। नोएडा में हमारी हालिया मियावाकी फॉरेस्‍ट पहल वेटलैण्‍ड बफर ज़ोन में हुई थी। यह हरियाली को बढ़ाने और प्राकृतिक इकोसिस्‍टम्‍स में योगदान देने पर हमारा फोकस दिखाती है। भारत में हमारी तरक्‍की की रणनीति संवहनीयता पर केन्द्रित है। और यह पहल ज्‍यादा हरित एवं संवहनीय भविष्‍य बनाने के लिये हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।‘’

 

 

 

साल 2022 में यामाहा ने मियावाकी विधि की सहायता से ग्रेटर नोएडा के वेटलैण्‍ड बफर ज़ोन 1 में वृक्षारोपण का प्रयास शुरू किया था। इसमें स्‍थानीय प्रजातियों के इस्‍तेमाल से तेज वृद्धि और ज्‍यादा घनत्‍व वाली हरियाली सुनिश्चित होती है। यह परियोजना तीन साल की थी और इसके तहत 2,000 वर्गमीटर से अधिक भूमि पर 7,000 अंकुर रोपे गये। 2024 में यह अंकुर पूरी तरह से विकसित पेड़ों का रूप ले चुके हैं और दो वर्षों में ही वह क्षेत्र एक घना जंगल बन गया। इस परियोजना की सफलता पौधारोपण का असर दिखाती है और इसमें पर्यावरण की स्थिरता के लिये यामाहा की मजबूत प्रतिबद्धता भी है।

 

 

 

ऐसी पहलें न केवल एक हरित पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिये यामाहा का समर्पण दिखाती हैं, बल्कि इनका मकसद भविष्‍य की पीढि़यों को लंबे समय तक मिलने वाले फायदे देना है। यह पर्यावरण की जिम्‍मेदारी लेने और कार्बन न्‍यूट्रैलिटी को बढ़ावा देने से होता है। यामाहा अपने सभी साझीदारों के साथ बातचीत को बड़ा महत्‍व देती है और व्‍यवसाय में अपनी गतिविधियों से समाज के उस विकास में योगदान देने का प्रयास करती है, जो पारिस्थितिकी के अनुकूल हों। इसकी गतिविधियां सस्‍टेनेबिलिटी के लिये इसके कॉर्पोरेट दर्शन की बुनियाद पर निर्मित हैं।

 

 

 

 

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