संपादकीय

खत्म हुई उलझन… नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, दो कटऑफ डेट रखना सही

खत्म हुई उलझननागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, दो कटऑफ डेट रखना सही

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून की धारा 6-A की संवैधानिकता पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि असम में अवैध प्रवासियों की समस्या को देखते हुए दो कटऑफ डेट रखना सही है। असम समझौते के राजनीतिक समाधान को भी मान्यता दी। इससे समकालीन बहस को दिशा मिल सकती है।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून की धारा 6-A की संवैधानिकता पर फैसला सुनाया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असम में अवैध प्रवासियों के मुद्दे को नया दिशा मिली

सुप्रीम कोर्ट ने दो कटऑफ डेट रखने को सही बताया

नागरिकता कानून की धारा 6-A की संवैधानिकता पर गुरुवार को सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक पुराने मसले के नए सिरे से उभर आने की आशंकाओं पर तो विराम लगा ही दिया, कई ऐसे पहलुओं पर भी रोशनी डाली, जिससे समकालीन बहस को दिशा मिल सकती है। इस लिहाज से यह फैसला असम में अवैध प्रवासियों के मामले को देखने के असम समझौते में रेखांकित हुए नजरिए की पुष्टि करता है।

दो कटऑफ डेट

अदालत के सामने एक बड़ा सवाल यह था कि नागरिकता के लिए दो कटऑफ डेट रखना सही है या नहीं। कोर्ट ने इसे सही बताते हुए स्पष्ट किया कि असम की खास भौगोलिक स्थिति और अवैध घुसपैठियों की समस्या की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने असम समझौते के रूप में एक राजनीतिक समाधान निकाला। धारा 6-A का जुड़ाव इसी मसले का विधायी समाधान है। कोर्ट के मुताबिक सरकार को इसका पूरा अधिकार है।

 

 

विशिष्ट मामला

जहां तक अन्य राज्यों में ऐसा प्रावधान करने की बात है तो इसका सीधा, सहज जवाब हां में आता है। लेकिन इस बिंदु पर कोर्ट का यह कहना महत्वपूर्ण है कि किसी अन्य राज्य में समस्या ने इतना गंभीर रूप लिया ही नहीं। इस संदर्भ में पश्चिम बंगाल के उदाहरण का फैसले में भी उल्लेख करते हुए कहा गया है कि असम में 40 लाख प्रवासियों की मौजूदगी पश्चिम बंगाल के 57 लाख प्रवासियों के मुकाबले ज्यादा गंभीर इसलिए मानी जाएगी क्योंकि असम में जमीन की उपलब्धता कम है। जाहिर है, अदालत का फैसला बताता है कि इस मसले को सभी तथ्यों, प्रसंगों और संदर्भों के साथ देखकर ही नतीजा निकाला जाना चाहिए।

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