पूणे

संत श्री ज्ञानेश्वर माऊली का ७२८ वां संजीवन समाधि समारोह एवं विश्व सहिष्णूता सप्ताह का समापन समारोह संपन्न

संत श्री ज्ञानेश्वर माऊली का ७२८ वां संजीवन समाधि समारोह एवं विश्व सहिष्णूता सप्ताह का समापन समारोह संपन्न

 

पुणे,: विश्व शांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी, पुणे, भारत और श्री क्षेत्र आलंदी देहू विकास समिति के संयुक्त तत्वावज्ञान में संत शिरोमणी दार्शनिक श्री ज्ञानेश्वर माऊली का ७२८ वां संजीवन समाधि समारोह और वैश्विक सहिष्णुता सप्ताह का समापन विश्वरूप दर्शन मंच , श्रीक्षेत्र आलंदी में दोपहर १२ बजे वारकरियों की उपस्थिती में हुआ. इंद्रायणी में वारकरियों ने गुलाल, बुक्का और पुष्प लेकर ज्ञानेश्वर माऊली को भावपूर्ण स्मरण किया गया. साथ ही यहां पर वारकरियों को महाप्रसाद वितरित किया गया.

इसके पहले हभप डॉ. सुदाम महाराज पानेगांवकरने काल्याचा कीर्तन किया. इसके बाद गणमान्य लोगों द्वार दही हांडी फोडी गई. इसके माध्यम से सैकडों वर्षों की परंपरा को संरक्षित किया गया. इंद्रायणी के घाट पर श्रध्दालुओं ने इस समाधि समारोह के काल्या के महाप्रसाद का लाभ उठाया.

इस मौके पर विश्वशांति केंद्र आलंदी, माइर्स एमआईटी विश्वशांति विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, हभप तुलसीराम दा. कराड, उषा विश्वनाथ कराड, माइर्स माइमर मेडिकल कॉलेज की कार्यकारी निदेशक डॉ. सुचित्रा कराड नागरे, प्रो. स्वाति कराड चाटे, आचार्य श्री शिवम, प्रसाद रंगनेकर, नागपूर विद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एन.पठाण, डॉ.मिलिंद पांडे, योगगुरू पाडेकर गुरूजी मौजूद थे.

 

 

इस सप्ताह में सूफी संत एवं इस्लाम विद्वान लतीफ पटेल, भागवताचार्य स्वामी डॉ. तुलसीराम महाराज गुट्टे, संत साहित्य के विद्वान डॉ. रविदास महाराज शिरसाठी, हभप डॉ. तुकाराम महाराज गरूड ठाकुरबुवा दैठणकर और हभप बापूसाहेब मोरे देहुकर जैसे प्रसिद्ध कीर्तनकारों ने कीर्तन सेवाएं दी. इसके अलावा श्रृति पाटिल, मानसी वाजे, डॉ. आशीष रानडे एवं विश्वशांति संगीत कला अकादमी के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा अभंगवाणी एवं भक्ति संगीत कार्यक्रम भी प्रस्तुुत किये गये.

हभप बापूसाहेब मोरे देहुकर ने कहा, सृष्टि पर संत के वचन मनुष्य का कल्याण करते हैं.वे प्रेम स्नेह की मूर्ति है और इसकी महिमा को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है. संत दूसरों के दर्द को दूर करने और उन्हें खुशी और शांति का रास्ता दिखाने के लिए आगे आते है.

 

 

प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, इस सप्ताह के दौरान प्रमुख व्यक्तियों ने उपदेश, कीर्तन, गायन और भजन के माध्यम से माऊली के चरणों मे सेवा में भाग लिया. अगले वर्ष, लोकसेवा और विश्वरूप दर्शन के विभिन्न कार्यक्रम मंच पर आयोजित किए जाएंगे. इससे विज्ञान और अध्यात्म एक साथ आएंगे. सभ्य समाज के निर्माण के लिए जन जागरण के माध्यम से पवित्र तीर्थ क्षेत्रों का सच्चा, ज्ञान, कर्म और भक्ति के माध्यम से त्याग और समर्पण के संदेश को आत्मसात करना हमारा प्रयास है.

हभप शालिकराम खंडारे ने संचालन किया और महेश महाराज नलावडे ने सभी का आभार माना.

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