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सस्कार से ही व्यक्तित्व का विकास होता डॉ. चंद्रकांत दलवी की राय; स्वर्ण पदक विजेता छात्रों का एमआईटी द्वारा सम्मान

सस्कार से ही व्यक्तित्व का विकास होता डॉ. चंद्रकांत दलवी की राय; स्वर्ण पदक विजेता छात्रों का एमआईटी द्वारा सम्मान

 

पुणे : पढना, सामान्य ज्ञान, संवाद कौशल, सुनने की कला और हमारा दैनिक व्यवहार जीवन में महत्वपूर्ण है और इसके माध्यम से एक संस्कारयुक्त व्यक्तित्व का पता चलता है. ऐसे विचार रयत शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष डॉ. चंद्रकांत दलवी ने रखे.

विश्वशांति केंद्र आलंदी, माइर्स एमआईटी, पुणे की ओर से स्कूली छात्रों के लिए आयोजित वैश्विक मूल्यवान शिक्षा और सफल व्यक्तित्व विकास प्रमाणपत्र परीक्षा-२०२४ में स्वर्ण पदक विजेताओं और सर्वश्रेष्ठ छात्रों को संत ज्ञानेश्वर सभागार में आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया. इस मौके पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.

इस अवसर पर बालभारती के अध्यक्ष कृष्ण कुमार पाटिल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वशांति सेंटर आलंदी, माईर्स एमआईटी पुणे के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई. साथ ही वैश्विक मूल्य शिक्षा एवं व्यक्तित्व विकास प्रमाणपत्र परीक्षा के मुख्य समन्वयक डॉ. एस.एन.पठाण उपस्थित थे.

डॉ. चंद्रकांत दलवी ने कहा, कम उम्र में ही मूल्यों को विकसित करना महत्वपूर्ण है. मूल्य कभी भी व्यक्ति को भ्रमित नहीं होने देते. संस्कार व्यक्ति को आंतरिक रूप से मजबूत बनाता है. अच्छे संस्कार ही अच्छे व्यक्तित्व की पहचान होती है. स्वामी विवेकांनद से प्रेरित होकर डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने एमआईटी द्वारा एक बेहतरीन शिक्षा परोसी है. यदि कोई अपने व्यक्तित्व में सुधार करना चाहता है, तो उसका पहला कर्तव्य अपने शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करना है.

कृष्णकुमार पाटिल ने कहा, मूल्य किताबों से नहीं सीखे जाते बल्कि उन्हें जीना पडता है. बालभारती के माध्यम से हम छात्रों को मूल्यपरक शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. छात्रों को जीवन में खेल और कोई भी शौक अपनाना चाहिए. साथ ही एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में कार्य करना चाहिए. देश की सभी संस्कृतियों का सम्मान करे और भविष्य में मनुष्य को रचनात्मक कार्य करना चाहिए.

प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, हमारा प्रयास है कि चरित्र के पोषण और जीवन का मार्गदर्शन करने के लिए इन सार्वभौमिक मूल्यों और मूल्य आधारित शिक्षा का प्रसार किया जाए. छात्रों को शारीरिक रूप से स्वस्थ, बौद्धिक रूप से कुशाग्र, आध्यात्मिक रूप से उन्नत और नैतिक रूप से चरित्रवान और अनुशासित होना चाहिए. ऐसे युवाओं को दुनिया भर में मान्यता मिलेगी. सफल व्यक्तित्व के रूप में भारतीय संस्कृति, परंपरा और दर्शन को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देकर भावी पीढ़ी को समझाना होगा.

डॉ. एस.एन.पठान ने इस पहल के आयोजन के पीछे की भूमिका के बारे में बताया. साथ ही कहा कि बच्चों के मन में नैतिक मूल्यों का विकास करना जरूरी है. इससे विद्यार्थियों का दृष्टिकोण बदलता है. अच्छा चरित्र ही जीवन का असली धन है.

इस अवसर पर छात्र प्रतिनिधि के रूप में प्रज्ञा कराड, स्वामिनी और श्रद्धा ने अपने विचार प्रस्तुत किये.

देवयानी पालवे ने संचालन एवं आभार माना.

राज्य स्तरीय खिताब के साथ साथ तीनों संभागो, पश्चिम संभाग, मराठवाडा संभाग और विदर्भ संभाग की ओर से प्रथम, द्वितीय, तृतीय और प्रोत्साहन पुरस्कार दिए गए.

राज्य स्तर : संस्कृति राधाकृष्ण कराड (प्रथम), महेक सत्तार शेख (विभागून द्वितीय), प्रज्ञा गोपाल कराड( तृतीय).

पश्चिम संभाग :  प्रज्ञा गोपाल कराड (प्रथम), कृतिका सचिन फत्तेपुरे (द्वितीय), आदर्श मनोहर सातपुते (तृतीय).

मराठवाडा संभाग :  संस्कृति राधाकृष्ण कराड(प्रथम), महेक सत्तार शेख (द्वितीय), उज्वल तात्यासाहेब पवार (तृतीय).

विदर्भ संभाग :  खुशी राजेश महिंगे (प्रथम), जान्हवी नितिन बुरंगे (द्वितीय), पयोष्णी विजय पार्शिवकर (तृतीय).

 

 

 

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