टाटा मोटर्स की मदद से विष्णु गोंड ने बंजर जमीन को बनाया हरियाली का खजाना
पुणे, : महाराष्ट्र के किसान विष्णु गोंड की कहानी संघर्ष से सफलता तक का सफर है। 52 वर्षीय विष्णु कभी चार एकड़ जमीन के मालिक होते हुए भी सिर्फ दो एकड़ पर खेती कर पाते थे। उनकी बाकी जमीन बंजर थी, और परिवार का पेट पालने के लिए उन्हें नासिक या ठाणे जाकर मजदूरी करनी पड़ती थी। न उनकी जिंदगी में स्थिरता थी और न ही कोई भविष्य की उम्मीद। लेकिन टाटा मोटर्स के सहयोग और उनके खुद के दृढ़ निश्चय ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया।
विष्णु ने टाटा मोटर्स के वाडी प्रोजेक्ट से जुड़ने का फैसला लिया। इस प्रोग्राम को बीएआईएफ के साथ मिलकर तैयार किया गया है, जिसमें खेती के लिए पेड़ों को केंद्र में रखकर पर्यावरण-अनुकूल पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। प्रोजेक्ट के तहत विष्णु को खेती के नए संसाधन और प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने पूरी लगन से प्रशिक्षण सत्रों में भाग लिया, डेमो प्लॉट्स देखे, और खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाया। आज, विष्णु न केवल अपनी पूरी जमीन पर खेती कर रहे हैं बल्कि उनके खेत में पेड़ों और फसलों का सुंदर संगम है। उनकी मेहनत और टाटा मोटर्स की पहल ने उनकी किस्मत बदल दी, और अब वह एक सफल किसान के रूप में जीवन जी रहे हैं। उनकी कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो मेहनत और सही मार्गदर्शन के साथ अपने हालात बदल सकते हैं।
अपनी मेहनत और नए अवसरों से प्रेरित होकर, विष्णु ने टाटा मोटर्स के इंटीग्रेटेड विलेज डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा बनकर अपनी खेती को और भी बेहतर बनाया। इस प्रोग्राम के तहत उन्होंने खेत तक पानी पहुंचाने के लिए तालाब का निर्माण करवाया और ड्रिप इरिगेशन किट का उपयोग किया, जिससे उनकी जमीन पर सब्जियाँ उगाना संभव हो गया। इतना ही नहीं, उन्होंने रोहू और कतला जैसी लगभग 1000 मछलियों का पालन शुरू किया, जिससे उनकी आय के नए स्रोत बने।
2023-24 में, विष्णु की मेहनत रंग लाई और उनकी सालाना आय 61,400 रुपये तक पहुंच गई। यह आमदनी मिर्च, ककड़ी और काजू की खेती से हुई। अब उनकी बंजर जमीन पर काजू और आम के बाग लहराते हैं, जो उन्हें पूरे साल एक स्थिर आय देते हैं। इस बदलाव ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा है, बल्कि उनके परिवार के लिए बेहतर जीवन और भविष्य के रास्ते भी खोले हैं।
अपनी इस यात्रा पर बात करते हुए विष्णु ने कहा, “शुरुआत में मुझे इन नई विधियों पर यकीन नहीं था, क्योंकि मैं हमेशा बारिश पर निर्भर पारंपरिक खेती करता था। पहले, परिवार को चलाने के लिए मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब, मेरी फसल इतनी होती है कि मैं बाजार में बिक्री भी कर सकता हूँ। इस आमदनी ने मेरे बच्चों को अच्छी शिक्षा और परिवार को बेहतर इलाज दिलाने में मदद की है। अब मुझे मजदूरी के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ती।”
विष्णु की सफलता ने स्थानीय किसानों को भी प्रेरित किया है। अब वे पारंपरिक खेती छोड़कर पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इससे न केवल पलायन कम हुआ है, बल्कि उनके बच्चों को शिक्षा के बेहतर अवसर भी मिल रहे हैं। विष्णु की कहानी इस बात का सबूत है कि सही दिशा और मेहनत से जीवन में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड विनोद कुलकर्णी ने किसानों की ज़िंदगी में आए बदलाव पर बात करते हुए कहा, “विष्णु गोण्ड जैसे किसानों की खुशहाल ज़िंदगी इस बात का सबूत है कि सही समय पर सही मदद और नए तरीके सिखाकर कितना बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। हमने वाडी प्रोजेक्ट और इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसी पहलों के ज़रिए किसानों को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल खेती की तकनीकें सिखाईं। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ी, बल्कि धरती भी सुरक्षित रही। हमारा उद्देश्य यही है कि आने वाली पीढ़ियां एक बेहतर और साफ-सुथरी धरती पर रह सकें।”
23 दिसंबर को भारत किसान दिवस के अवसर पर टाटा मोटर्स ने अपने संकल्प को दोहराया कि वह किसानों की मदद करता रहेगा। कंपनी पर्यावरण के अनुकूल और किसानों की ज़रूरतों के अनुसार उत्पाद और समाधान प्रदान कर रही है, जो विष्णु जैसे लाखों किसानों की ज़िंदगी को बेहतर बना रहे हैं। इन पहलों से न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है, बल्कि उनके परिवारों को भी एक स्थिर और उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ने का अवसर मिल रहा है।