
हेल्दी और हाइजीनिक फूड की उपलब्धता सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल: उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल
एक महीने का सघन जागरूकता अभियान चलायें, जन प्रतिनिधियों को भी करें शामिल
खाद्य गुणवत्ता और स्वच्छता प्रबंधन की समीक्षा की
रीवा उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा “मन की बात” में देशवासियों को उचित खान-पान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का आह्वान किया है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि संतुलित और स्वच्छ भोजन नागरिकों के स्वास्थ्य का आधार है। उन्होंने निर्देश दिए कि स्ट्रीट फूड विक्रेताओं और खाद्य संस्थानों को सही खाद्य पदार्थों का उपयोग और स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जाए। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने मंत्रालय भोपाल में खाद्य गुणवत्ता और स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु की जा रही कार्यवाहियों और गतिविधियों की वृहद समीक्षा की। प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, आयुक्त फूड सेफ्टी श्री संदीप यादव, नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन श्री दिनेश कुमार मौर्य, संयुक्त नियंत्रक श्रीमती माया अवस्थी सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में एक महीने का विशेष जन जागरूकता अभियान चलाया जाये। जिसमें सभी जिलों में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और स्वच्छता की जांच हो साथ ही अच्छी प्रैक्टिस की जानकारी भी दी जाये। एक माह बाद खाद्य गुणवत्ता में सुधार के प्रभाव की समीक्षा कर आगामी कार्ययोजना का निर्धारण किया जायेगा। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि स्ट्रीट फूड विक्रेताओं और खाद्य कारोबारियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा संबंधी बेहतर तरीकों के बारे में जागरूक किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल करने का प्रयास किया जाए ताकि वे अपने क्षेत्रों में जन-जागरूकता का प्रसार कर सकें। उन्होंने कहा कि हर ज़िले में हेल्दी और हाईजेनिक फ़ूड स्ट्रीट प्रमाणन के प्रयास किए जायें। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि यह अभियान प्रधानमंत्री श्री मोदी के ईट राइट इंडिया अभियान को गति देगा और नागरिकों को सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में प्रदेश को आगे ले जाएगा। उन्होंने कहा कि हेल्दी और हाइजीनिक फूड की उपलब्धता सुनिश्चित करना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।
खाद्य पदार्थों की जाँच में तेज़ी लाने के लिये 3 नई संभागीय खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं का निर्माण इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में किया जा रहा है। इंदौर और जबलपुर में मशीनें स्थापित कर मानव संसाधन उपलब्ध कराकर परीक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। ग्वालियर में 60 प्रतिशत सिविल कार्य पूरा हो चुका है। भोपाल में हाइटेक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला का 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। संयुक्त नियंत्रक श्रीमती माया अवस्थी ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत प्रदेश में 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2024 तक 10,670 लीगल नमूने और 31,387 सर्विलेंस नमूने लिए गए, जिनमें से 30,692 नमूनों का विश्लेषण किया गया। इनमें 1,663 नमूने असुरक्षित, अवमानक या मिथ्याछाप पाए गए। विभाग ने 1,729 प्रकरण दायर किए और 2,015 प्रकरणों का निपटारा किया, जिनमें से 2,000 प्रकरणों में दोषसिद्धि हुई। इस अवधि में 24,485 लाइसेंस और 1,46,258 रजिस्ट्रेशन जारी किए गए। लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन से 12.47 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि 9.02 करोड़ रूपये का अर्थदंड अधिरोपित कर 2.98 करोड़ रूपये की वसूली की गई।
खाद्य पदार्थों में मिलावट के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु 270 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर 13,588 खाद्य कारोबारियों को प्रशिक्षित किया गया है। चलित खाद्य प्रयोगशाला के माध्यम से 563 जनजागरूकता कार्यक्रमों में 15,185 नागरिकों को प्रशिक्षण दिया गया। फोर्टिफाइड राइस कर्नेल निर्माताओं को भारत सरकार के सहयोग से प्रशिक्षित किया गया। ‘ईट राइट’ गतिविधि के तहत 10 ईट राइट कैंपस, 9 ईट राइट स्कूल, 3 क्लीन वेजिटेबल मार्केट, 4 सेफ भोग प्लेस, 188 हाईजीन रेटिंग और 2 ईट राइट स्टेशनों को प्रमाणित किया गया है।
संयुक्त नियंत्रक श्रीमती माया अवस्थी ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। अवमानक खाद्य (सबस्टैंडर्ड) वह होता है जो निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करता, लेकिन इससे मानव स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होता। मिथ्याछाप खाद्य (मिसब्रांड) वह खाद्य पदार्थ है, जिसके संबंध में आवश्यक जानकारी या गुण-दोष लेबल पर सही तरीके से अंकित नहीं किए गए हों। वहीं, असुरक्षित खाद्य (अनसेफ) ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं, जिनकी प्रकृति, गुणवत्ता या सामग्री मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। अधिनियम के तहत दो प्रकार के प्रकरण अभियोजित किए जाते हैं। सिविल प्रकरण (धारा 51 से 58 एवं 61, 63) में अवमानक या मिथ्याछाप से संबंधित अपराध या नियमों का उल्लंघन होने पर मामले न्याय निर्णायक अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं। आपराधिक प्रकरण (धारा 59, 60, 62, 64, 65) में असुरक्षित खाद्य या बिना लाइसेंस व्यापार से जुड़े मामले प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होते हैं, जिनमें अधिकतम आजीवन कारावास तक का प्रावधान है।