पूणे

डॉ. आंबेडकर ने देश को नई दिशा देने का काम किया:- प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के विचार

डॉ. आंबेडकर ने देश को नई दिशा देने का काम किया:- प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के विचार

एमआईटी डब्ल्यूपीयू में भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांची १३४ वीं जयंती मनाई

 

पुणे,  : भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के कार्यों ने भारत देश को एक नई दिशा दी है. उन्होंने भारतीय संस्कृति, दर्शन और परंपरा की डोर थामकर संपूर्ण मानव जाति का उत्थान किया है. गुणों की पूजा ही ईश्वर पूजा है. यह विचार एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने व्यक्त किए.

प्रबुद्ध महापुरूष भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की १३४वीं जयंती एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा कोथरूड स्थित विश्वविद्यालय परिसर में मनाई गई. इस अवसर पर प्रो.डॉ. कराड ने अपने विचार रखे.

इस अवसर पर एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, रजिस्ट्रार प्रो. गणेश पोकले, नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.एस.एम.पठाण, सलाहकार डॉ. संजय उपाध्ये, डॉ. विश्वजीत नागरगोजे, विश्वविद्यालय के प्रो.डॉ. दत्ता दांडगे, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर संस्थान के प्रमुख प्रो. विनोद जाधव उपस्थित थे.

डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, पूरे विश्व में भारत की पहचान महात्मा गांधी, भगवान गौतम बुद्ध और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के कारण है. इसलिए डॉ. आंबेडकर के पंचशील को जीवन में उतारना चाहिए.

डॉ.एस.एन.पठाण ने कहा, महापुरूष डॉ. आंबेडकर केवल ६५ वर्ष ही जीवित रहें, लेकिन उनका कार्य अद्वितीय है. इनमें से ३५ वर्ष उन्होंने शिक्षा में बिताए. उन्हें काम करने के लिए केवल २५ वर्ष मिले. इस दौरान उन्होंने शिक्षण संस्थाएं स्थापित की, सत्याग्रह किया, पत्रिकाएं निकाली, पार्टी बनाई, खूब लेखन किया और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने २३ ग्रंथों का निर्माण किया. उनका यह संदेश कि मानव जाति के उद्धार के लिए शिक्षा से बेहतरीन कोई भी विकल्प नहीं है.

डॉ. आर.एम.चिटणीस ने कहा, डॉ. आंबेडकर के पास ३२ विषयों में डिग्री थी. ९ भाषाओं के ज्ञाता युगपुरूष डॉ. बाबासाहेब ने निरंतर परिश्रम, समर्पण और निरंतर सीखने के अपने गुणों को कभी नहीं छोडा.

डॉ. संजय उपाध्ये ने कहा, शिक्षा एक हथियार की तरह है. इसका उपयोग कैसे करना है यह व्यक्ति पर निर्भर करता है. यदि कोई प्रगति करना चाहता है, तो पुरानी बातों को भूलना सर्वोच्च बुद्धिमत्ता का प्रतीक है.

डॉ. दत्ता दंडगे ने कहा, डॉ. आंबेडकर ने समानता के लिए आंदोलन चलाया था. उन्होंने पानी के लिए सत्याग्रह भी किया था. १४ झीलों का आंदोलन इतिहास की एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है. उन्होंने समाज में व्याप्त पाखंड को न्याय दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था.

इसके बाद प्रो. गणेश पोकले, डॉ.जोशी और प्रदीप चाफेकर ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के कार्यों पर प्रकाश डाला साथ ही कविता का वाचन हुआ.

प्रो विनोद जाधव ने सूत्रसंचालन और आभार माना.

 

 

 

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