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विश्वधर्मी मानवतातीर्थ के रूप में रामेश्वर (रुई) का नामकरण

विश्वधर्मी मानवतातीर्थ के रूप में रामेश्वर (रुई) का नामकरण

पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर बोले – “भारत के लिए यह दुर्लभ अवसर”

विश्वशांती की ज्ञानज्योति’ का प्रज्वलन, कोनशिला का अनावरण

 

लातूर,: “भारत में हो रहे आमूलचूल परिवर्तनों के बीच रामेश्वर (रुई) जैसे गांव का नामकरण ‘विश्वधर्मी मानवतातीर्थ’ के रूप में किया जाना एक दुर्लभ अवसर है। इस गांव से प्रेरणा लेकर देश के अन्य गांवों में भी परिवर्तन की लहर आएगी और भारत एक आदर्श राष्ट्र के रूप में उभरेगा,” ऐसे विचार प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं नालंदा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर ने व्यक्त किए।

 

यह आयोजन संत श्री गोपालबुवा महाराज विश्वशांति हरिनाम सप्ताह के अवसर पर विश्वशांति केंद्र (आळंदी), माईर्स एमआईटी, पुणे और रामेश्वर (रुई) ग्रामस्थों के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में ‘विश्वधर्मी मानवतातीर्थ रामेश्वर (रुई)’ नामकरण कोनशिला का अनावरण और ‘विश्वशांती की ज्ञानज्योति’ का दीप प्रज्वलन हुआ।

 

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता माईर्स एमआयटी विश्वशांति विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने की। साथ ही एमआयटी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राहुल वि. कराड, हभप तुळशीराम कराड, डॉ. मंगेश तु. कराड, विधायक रमेश कराड, डॉ. सुचित्रा कराड नागरे और राजेश कराड प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

 

डॉ. भटकर ने कहा, “डॉ. कराड ने आदर्श गांव की कल्पना को साकार कर विश्व को एक संदेश दिया है कि सभी जातियों-धर्मों के लोग एक साथ कैसे रह सकते हैं। यह गांव अब वास्तव में एक मानवतातीर्थ के रूप में उभर रहा है।”

प्रा. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, “देश जाति-धर्म के संकट से गुजर रहा है। ऐसे समय में वारकरी संप्रदाय मानवता का सच्चा संदेश देता है। त्याग और समर्पण की भावना से यह गांव ज्ञानयज्ञभूमि बन गया है।”

 

विधायक रमेश कराड ने इस दिन को गांव के लिए “सुवर्णाक्षरांनी लिहिण्यासारखा” दिन बताया और कहा कि डॉ. कराड के कार्यों ने गांव को वैश्विक पहचान दिलाई है।

 

डॉ. मंगेश तु. कराड ने कहा कि “यह गांव अब विश्वधर्मी और विश्वशांति के लिए काम कर रहा है। डॉ. कराड ने अपने जीवन को विश्वशांति को समर्पित किया है।”

 

डॉ. एस.एन. पठाण ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि रामेश्वर गांव के महत्व को देखते हुए इसकी आधिकारिक मान्यता दी जाए। उन्होंने कहा कि यहां हिंदू-मुस्लिम समुदायों ने एक साथ आकर सभी धर्मों के लिए एक स्थल का निर्माण किया है।

 

डॉ. संजय उपाध्ये ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही आदर्श पीढ़ी तैयार की जा सकती है और डॉ. कराड इसका सजीव उदाहरण हैं।

 

एमआयटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के प्र-कुलगुरु डॉ. मिलिंद पांडे ने माईर्स एमआईटी के विभिन्न सामाजिक व शैक्षणिक कार्यों की जानकारी दी और मानवता के महत्व पर बल दिया।

 

कार्यक्रम का संचालन डॉ. मिलिंद पात्रे ने किया और आभार डॉ. सुचित्रा कराड नागरे ने व्यक्त किया।

 

 

 

 

 

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