
रेल किराया वृद्धि आम जनता पर अन्यायपूर्ण बोझ – डॉ. हुलगेश चलवादी
गरीबों पर आर्थिक भार न बढ़ाएं – केंद्र सरकार को बहन मायावती जी की दोटूक सलाह
पुणे ब्यूरो डीएस तोमर
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री बहन मायावती जी ने केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार करते हुए हालिया रेल किराया वृद्धि को आम जनता के हितों के विपरीत बताया है।
बसपा के प्रदेश महासचिव एवं पश्चिम महाराष्ट्र ज़ोन के मुख्य प्रभारी डॉ. हुलगेश चलवादी ने गुरुवार को जानकारी देते हुए कहा कि देश इस समय महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। करोड़ों लोग गांवों से पलायन कर शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे समय में रेल यात्रा उनके लिए एकमात्र सुलभ साधन है, लेकिन किराया बढ़ाकर इस विकल्प को भी महंगा और कठिन बना दिया गया है।
डॉ. चलवादी ने कहा कि शोषित, पीड़ित, वंचित और उपेक्षित समाज को मुख्यधारा में लाने का सरकार का कोई इरादा नहीं दिखता। रेल किराया वृद्धि सीधे तौर पर सामान्य नागरिकों पर अन्याय है। ‘राष्ट्र प्रथम’ जैसे नारों के पीछे जीएसटी की तरह रेल सेवा को भी महंगा बनाकर आमजन पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। यह प्रवृत्ति न केवल लोकतंत्र, बल्कि संविधान के कल्याणकारी दृष्टिकोण के भी खिलाफ है।
बसपा की ओर से केंद्र सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि योजनाएं इस तरह बनाई जाएँ, जिससे गरीबों की जीवनशैली में सुधार हो सके। केवल अमीरों और उद्योगपतियों के हित में निर्णय लेना अनुचित है। रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, आमदनी घट रही है, और जनता अब भी ‘अच्छे दिन’ की प्रतीक्षा कर रही है – ऐसे कटाक्ष के साथ सुश्री मायावती जी ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं।
डॉ. चलवादी ने बताया कि वर्तमान में देश में करोड़ों लोग गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के कारण पलायन कर रहे हैं। ऐसे में रेल यात्रा ही उनका सहारा होती है, जिसे अब महंगा कर दिया गया है। बहन मायावती जी ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह गरीबों और मेहनतकशों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण और कल्याणकारी दृष्टिकोण अपनाए।
देश में लगभग 95 करोड़ लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सरकारी योजनाओं पर निर्भर हैं। लेकिन योजनाओं की क्रियान्वयन प्रक्रिया इतनी जटिल है कि आम जनता को उनका लाभ उठाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे असंतोष बढ़ रहा है।
इसके साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर गरीब और मध्यमवर्गीय नागरिकों पर आर्थिक भार डाले जाने पर भी बसपा प्रमुख ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण कम करने के नाम पर सिर्फ एक सीमित वर्ग को लाभ पहुँचाने की कोशिश की जा रही है, जबकि करोड़ों मेहनतकशों पर अन्याय हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।