रीवा: शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय के समाज कार्य विभाग तथा आइक्यूएसी के तत्वावधान में लैंगिक समानता और मानवाधिकार विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया गया। उद्घाटन सत्र की मुख्य वक्ता डॉ प्रतिभा मिश्रा प्रोफेसर समाज कार्य विभाग गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ रही तथा अध्यक्षता प्राचार्य डॉ अर्पिता अवस्थी ने की। विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ रिचा चौधरी सीनियर फैकल्टी भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय व संयोजक डॉ अखिलेश शुक्ल रहे।
स्वागत भाषण प्राचार्य डॉ अर्पिता अवस्थी ने मुख्यवक्ता, विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस राष्ट्रीय वेबीनार में निश्चित रूप से लैंगिक समानता और मानव अधिकारों पर गहन और सार्थक चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता हमारी मूलभूत संस्कृति रही है। हमारा संविधान जहां समानता का अधिकार प्रदान करता है। संविधान में यह व्यवस्था की गई है कि महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए जाएं। महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और अन्याय के प्रति आवाज उठाने की हिम्मत प्रदान करना ही वास्तव में नारी सशक्तिकरण है।
मुख्य वक्ता डॉ प्रतिभा मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि आधी दुनिया बेटियों और महिलाओं की है। समाज की उन्नति में इनका बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन समाज में हुआ है लेकिन अभी भी हमें एक नई यात्रा की शुरुआत करनी चाहिए भले प्रयास छोटे हों लेकिन शुरुआत तीव्रता के साथ होनी चाहिए। उन्होंने भारत के विभिन्न प्रांतों की स्थिति का विश्लेषण प्रस्तुत किया। महिलाओं के प्रति भेदभाव और उपेक्षा को केवल साक्षरता और जागरूकता पैदा कर ही खत्म किया जा सकता है। लेकिन अभी भी कुछ ऐसे कारक हैं जैसे स्त्री-पुरुषों के बीच भिन्नता रुढि़गत मान्यता एवं परम्पराएँ सामाजिक कुरीतियाँ अशिक्षा एवं जागरूकता का अभाव मनोवैज्ञानिक कारण आदि जो कहीं न कहीं लैंगिक असमानता को पैदा करते हैं। विशिष्ट वक्ता डॉ रिचा चौधरी ने अपने उद्बोधन में लैंगिक समानता और लैंगिक असमानता की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी बात कई वीडियो क्लिप्स दिखा करके कहीं और इस दिशा में समस्या और समाधान का विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं का विकास देश का विकास है। महिलाओं की साक्षरता, उनकी जागरूकता और उनकी उन्नति ना केवल उनकी गृहस्थी के विकास में सहायक साबित होती है बल्कि उनकी जागरूकता एवं साक्षरता देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाती है। इसीलिए सरकार द्वारा आज के युग में महिलाओं की शिक्षा और उनके विकास पर बल दिया जा रहा है, गाँव और शहर में शिक्षा के प्रचार प्रसार के व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं।वेबीनार में डॉ भूपेंद्र सिंह डॉ सरोज अग्रवाल शिवानी मगध विश्वविद्यालय प्रो प्रियंका तिवारी आकांक्षा पटेल प्रज्ञा दुबे पुष्पांजलि तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
राष्ट्रीय वेबीनार के संयोजक प्रोफेसर अखिलेश शुक्ल ने उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि लैंगिक समानता आपसे एक ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करता है जो समानता पूर्ण हो। भारतीय संविधान भी इस बात को पुष्ट करता है कि किसी भी प्रकार से किसी के साथ कोई भेदभाव असमानता नहीं होनी चाहिए। अभी तक सरकार द्वारा महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा को लेकर कई कानूनों का निर्माण किया गया है। लेकिन समाज को इन कानूनों को पूर्ण रूप से आत्मार्पित करना पड़ेगा और अपने आचरण में इन विधानों को अपनाना होगा तब हम जा कर के समाज में संपूर्ण समानता ला सकते हैं। उन्होंने वेबिनार के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि आज समाज के प्रत्येक क्षेत्र में बेटियां एवं महिलाएं अपना परचम लहरा रही है लेकिन अभी भी एक वातावरण बनाने की आवश्यकता है हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारी बेटियां समाज में शत प्रतिशत समानता का दर्जा प्राप्त करें और राष्ट्र की मुख्यधारा में सक्रियता के साथ सम्मिलित हो सके। डॉ. गुंजन सिंह ने कार्यक्रम के अंत में आभार ज्ञापित किया।