विचार

गिले शिकवों का कोई अंत नही होता :-सुधा भदौरिया

✍🏻*गिले-शिकवों का भी कोई अंत नहीं साहिब..!*

*पत्थरों को शिकायत ये कि पानी की मार से टूट रहे हैं हम…*
*और पानी का गिला ये है कि पत्थर हमें खुलकर बहने नहीं देते..!*

*कोशिश,,,*
*यह होनी चाहिए*
*कि हम सदैव*
*समाधान का हिस्सा बने,*
*समस्या का नहीं।।*

शरीर सुंदर हो ना हो पर शब्दों को जरुर सुंदर होना
चाहिये..

क्योंकि लोग चेहरे भूल जाते हैं,पर शब्दों को नही भूलते🙏

अगर किसी परिस्थिति के लिए
आपके पास सही शब्द नहीं है

तो सिर्फ मुस्कुरा दीजिये,
शब्द उलझा सकते है पर
मुस्कुराहट हमेशा काम कर जाती है ।

क्योंकि
कर्ण ने महाभारत में कहा था कि
दोस्त दुर्योद्धन

मुझे मृत्यु से डर नहीं लगता पर
भगवान श्रीकृष्ण की निश्चल मुस्कान

मेरे सम्पूर्ण अस्तित्व को
अंदर से हिला देती हैं।

*मुस्कुराते रहिये*
*स्वस्थ रहें मस्त रहें* 🙏🏻

💞💕 : 🍃 ये जीवन है….
उलझेंगे नहीं,
तो सुलझेंगे कैसे…
और बिखरेंगे नहीं,
तो निखरेंगे कैसे….
🍃 “ख़्वाब भले टूटते रहे मगर “हौंसले”
फिर भी ज़िंदा हो

“हौसला ” अपना ऐसा रखो जहाँ
मुश्किलें भी शर्मिंदा हो !!””………

व्यर्थ बोलने की अपेक्षा
मौन रहना यह वाणी की प्रथम विशेषता है
सत्य बोलना यह वाणी की दूसरी विशेषता है
प्रिय बोलना यह वाणी की तीसरी विशेषता है और
धर्मगत बोलना यह वाणी की चौथी विशेषता है
यह चारों ही

क्रमशः एक दूसरे से श्रेष्ठ है🙏🙏😊❤

अपनी
सुधा भदौरिया
लेखिका:विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश

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