*हर एक को एक ही तराजू से तो तौलता है आईना..!*
*किस में कितनी ऐब है हर एक की खोलता है आईना..!*
*कौन कितने पानी में है यह सब कुछ जानता है..!*
*क्योंकि बंदे कभी भी तो झूठ नहीं बोलता है आईना..!*
*बेवजह के प्रपंज में उलझने वाले जीवन में कब कयाम रखते हैं..!*
*वो अपने साथ गमगीन दिन और बदमिजाज शाम रखते हैं..!*
*जो शराफ़त से गुजारते हैं सदा ही अपनी जिंदगानी को..!*
*वो अपने पास गुनगुनी धूप और सुकूनभरी छांव रखते हैं..!*
*मशविरे गैरों से नहीं अपने दिल से करना कारगर होते है..!*
*जिसने दिल की सुनीं वो जीवन में बेहतरीन मक़ाम रखते हैं..!*
*प्रपंज=छल-कपट से भरा कार्य*
*कयाम=ठहराव*
*मक़ाम=जगह,स्थान*
अपली विश्वासू
लेखिका:सुधा भदौरिया
विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश