देवेन्द्र सिंह तोमर प्रतिनिधी पुणे
पुणे :सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन संचालित सूर्यदत्त इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ सायन्स (एसआईएचएस) द्वारा हाल ही में बावधान कैम्पस में मुफ्त कैंसर जांच, प्रतिबन्ध और जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया था। सुर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन की २४ वे वर्षगांठ और वर्ल्ड कैंसर दिवस के अवसर पर यह शिविर आयोजित किया गया. परिसर के लोगों से इस शिविर को अच्छा रिस्पांस मिला.
प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. शैलेश पुणतांबेकर के हाथो इस शिविर का उद्घाटन हुआ. इस समय सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, उपाध्यक्षा सुषमा चोरडिया, अधिष्ठाता व संचालक प्रा. सुनील धाडीवाल, प्राचार्य प्रा. डॉ. सिमी रेठरेकर, डॉ. कल्याणी शिवरकर, डॉ. कांचन घोडे, डॉ. नेहा भोसले, डेंटिस्ट डॉ. अर्पिता धोपडे, गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. दीप्ती सालेर, फिजिशियन डॉ. किरण जोगवाडे, उमाकांत उपाध्याय, प्रेमलता राघव, जगजीत सिंग, अक्षय देटके आदी उपस्थित थे.
इस शिविर में मुँह, स्तन, प्रोस्टेट, लंग्ज, ब्लड, सर्वाइकल कैंसर की जांच की गई. साथ ही मॅमोग्राफी, खून में शुगर का प्रमाण और अन्य जांच किये गए. एडवान्स्ड तकनीक के साथ लाई गई मशीनरी और मोबाईल व्हॅन के साथ फिजिशियन, गायनेकोलॉजिस्ट, डेंटिस्ट, फिजिओथेरपीस्ट, एनेस्थिसियोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट की उपस्थिति में यह शिविर हुआ.
इस शिविर में सूर्यदत्त संस्था के सभी कर्मचारी, 14 वर्ष से अधिक आयु के छात्र, पूर्व छात्र, माता-पिता और उनके परिवार के सदस्य, हितधारकों ने भाग लिया। लगभग 120 लोगों को कैंसर का पता चला था। बावधान के साथ मुलशी, हवेली और मावल तालुका के लोगों, सूर्यदत्त संस्था के आसपास के गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया। ललित गांधी व संदीप भंडारी ने मोबाईल व्हॅन प्रदान की। स्वास्थ्य जांच शिविर कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए लगाया गया। स्वास्थ्य जांच शिविर कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए लगाया गया।
डॉ. शैलेश पुणतांबेकर ने कहा, “स्पाइनल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर जल्दी होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए 30 साल की उम्र के बाद सेल्फ एग्जामिनेशन और रेगुलर चेकअप करवाना चाहिए। इस प्रकार के कैंसर का यदि समय पर निदान किया जाए तो समय पर उपचार से ठीक किया जा सकता है। यद्यपि विकसित और विकासशील देशों में कैंसर बहुत आम हो गया है, फिर भी जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने कहा, “कैंसर दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण है, जो लगभग 10 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है। मानसिक पीड़ा और इलाज की भारी लागत कैंसर रोगियों के परिवारों को तबाह कर देती है। अधिकांश रोगियों में रोग एक उन्नत अवस्था में विकसित हो जाता है और उस समय उनके बचने की उम्मीद बहुत कम होती है। एक बहुमूल्य जीवन को बचाने का एकमात्र तरीका रोकथाम और प्रारंभिक पहचान है। हमें जागरूकता फैलाने और इसे मिटाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”
डॉ. सिमी रेठरेकर ने स्वागत प्रास्ताविक किया. प्रा. सुनील धाडीवाल ने आभार ज्ञापित किए.