आरोग्यसीतामढ़ी

जिलाधिकारी ने जेई एवम एईएस (चमकी बुखार)को लेकर जिला टास्क फोर्स किया बैठक….

जिलाधिकारी ने जेई एवम एईएस (चमकी बुखार)को लेकर जिला टास्क फोर्स किया बैठक।
जिलाधिकारी ने कहा चमकी मुक्त सीतामढ़ी बनाने को लेकर चमकी के खिलाफ संपूर्ण जिला एकजुट होकर लेगा संकल्प

सीतामढी बिहार (वि.स.प्रतिनिधी):जिलाधिकारी सुनील कुमार यादव ने जेई एवम एईएस (चमकी बुखार) से निपटने एवम जिला को चमकी मुक्त करने को लेकर समाहरणालय स्थित परिचर्चा भवन में जिला टास्क फोर्स की बैठक में प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियो के साथ-साथ शिक्षा,आईसीडीएस* , *स्वास्थ्य,* *जीविका आदि विभागों के जिलास्तरीय पदाधिकारियो के साथ बैठक कर व्यापक रूप से विभागवार तैयारियो का समीक्षा कर कई निर्देश दिये।* । *उन्होंने कहा कि व्यापक जागरूकता एवम ससमय इलाज के द्वारा हम पूर्ण रूप चमकी को नियंत्रित कर सकते है। विद्यालयो में बच्चों को चेतना सत्र में चमकी को लेकर क्या करें एवम क्या* *नही करे कि नियमित रूप से जानकारी दे। उन्होंने कहा उन्नयन क्लास के माध्यम से भी बच्चों को एईएस* *एवम जेई के संबध में जानकारी देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका/सहायिका,* *आशा एवम जीविका दीदियां अपने-अपने क्षेत्र में व्यापक जागरूकता करे।* *पम्लेट,बैनर,फ्लैक्स आदि के माध्यम से भी जागरूकता का* *निर्देश डीएम द्वारा दिया गया। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रभारी चिकित्सापदाधिकारी प्रतिदिन चमकी बुखार से संबधित विस्तृत प्रतिवेदन जिला मुख्यालय को* *उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करेंगे।समीक्षा के क्रम में यह पाया गया की* *सभी अस्पतालों में चमकी बुखार को लेकर बेड सुरक्षित है।

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से प्रभावित प्रखंडो यथा रुन्नीसैदपुर, डुमरा,सोनवर्षा एवम नानपुरआदि* में *वरीय अधिकारियों को मोनिटरिंग की जबाबदेही दी जाएगी। जिलाधिकारी ने कहा कि एम्बुलेंस के अतिरिक्त मुख्यमंत्री ग्राम* *परिवहन योजना के लगभग 1400 से भी अधिक वाहनों को भी पंचायत स्तर पर टैग करे।,उन्होंने कहा कि सभी टैग किये गए वाहन पर वाहन चालक का मोबाइल नंबर भी लिखा होनी चाहिये।। जिलाधिकारी ने कहा चमकी मुक्त सीतामढ़ी बनाने को लेकर चमकी के खिलाफ संपूर्ण जिला एकजुट होकर चमकी के खिलाफ संकल्प लेगा,जिसकी शीघ्र ही तिथि निर्धारित कर सूचना दी जाएगी। इसके पूर्व मस्तिष्क ज्वर एवम चमकी* *बुखार को लेकर प्रभारी पदाधिकारी डॉ आरके यादव ने पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तृत रूप से जानकारी दी।उन्होंने कहा कि एक गंभीर बीमारी है जो ससमय इलाज से ठीक हो सकता है। अत्यधिक* *गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है। 1 से 15 वर्ष तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी के तहत तीन धमकियों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ ,और* *अस्पताल ले जाओ। उन्होंने कहा कि बच्चों को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाए और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाना चाहिये।*

*मस्तिष्क ज्वर के लक्षण*
सर दर्द, तेज बुखार आना जो पांच 7 दिनों से ज्यादा का ना हो।
पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना।
बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक ना होना।
शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
अर्थ चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना/ भ्रम की स्थिति में होना /बच्चे का बेहोश हो जाना आदि प्रमुख लक्षण है। *उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण है कि मरीज को ससमय चिकित्सा उपलब्ध करवाना। चिकित्सीय परामर्श में विलंब के कारण* *मरीज की* *स्थिति गंभीर हो सकती है*।*

*सामान्य उपचार एवं सावधानियां*
अपने बच्चों को तेज धूप से बचाए, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू,पानी, चीनी का घोल पिलाएं,
रात में बच्चों को भरपेट खाना खिला कर ही सुलाएं,
अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं।

*क्या करें*
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके,
चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट में लिटा कर ले जाए,
बच्चे के शरीर से कपड़े हटा ले एवं गर्दन सीधा रखें,
अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछे, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो,
तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढके,
यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओ आर एस का घोल बनाकर पिलाएं।

*क्या ना करें*
बच्चे को खाली पेट लीची या फल ना खिलाए, अधपके अथवा कच्चे लीची या फल के सेवन से बचें,
बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े में ना लपेटे,
बच्चे की नाक बंद नहीं करें,
बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी ना दे,
बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें,
चुकीं यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है अतः बच्चे के इलाज में ओझा गुनी में समय नष्ट ना करें,
मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग ना करें,
ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर ना हो और शांत वातावरण बनाए रखें.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button