रीवा

पृथ्वी दिवस पर आयोजित की गई जल संरक्षण संबंधी कार्यशाला

पृथ्वी दिवस पर आयोजित की गई जल संरक्षण संबंधी कार्यशाला
जिले में जल संरक्षण के 10 हजार से अधिक छोटे-बड़े कार्य जारी – कलेक्टर

रीवा एमपी: कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में पृथ्वी दिवस पर जल संरक्षण संबंधी एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि जल संरक्षण वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हमने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया तो भावी पीढ़ी के जीवन पर भी संकट होगा। रीवा जिले में जल संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जलाभिषेक अभियान के तहत जिले में 137 तालाबों का निर्माण किया जा रहा है। इन तालाबों की गुणवत्ता की निगरानी के लिए जिला स्तरीय अधिकारी तैनात किए गए हैं। जिले में वर्तमान समय में जल संरक्षण के 10 हजार से अधिक छोटे-बड़े कार्य चल रहे हैं। वर्षाकाल से पहले इन सभी निर्माण कार्यों को पूरा किया जाएगा। जल संरक्षण के कार्यों से बड़ी संख्या में मजदूरों को रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं। साथ ही बड़े तालाबों के निर्माण के लिए आधुनिक मशीनों का भी उपयोग किया जा रहा है। रीवा नगर निगम क्षेत्र में भी रन ऑफ वाटर स्ट्रक्चर बनाए जाएंगे।
कार्यशाला में वन मण्डलाधिकारी चन्द्रशेखर सिंह ने कहा कि वनों और वन्य प्राणियों का जीवन जल पर निर्भर है। जिले के वन क्षेत्रों में वन समितियों के माध्यम से जल संरक्षण के कई कार्य किए गए हैं। रीवा जिले को बांस मिशन में शामिल किया गया है। इस वर्ष जिले में दो हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वर्षाकाल में बांस का रोपण करने का लक्ष्य रखा गया है। कार्यशाला में नगर निगम के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता हरभजन सिंह ने शहरी क्षेत्र में जल संरचनाओं के निर्माण के तकनीकी पक्षों तथा रूफ वाटर हार्वेÏस्टग की जानकारी दी। कार्यशाला में समाजसेवी डॉ. मुकेश येंगल ने पृथ्वी दिवस पर जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि रीवा जिले में 20वीं सदी की शुरूआत में लगभग आठ हजार तालाबों का उल्लेख है। उस समय की चार लाख की आबादी के लिए इन तालाबों में पर्याप्त पानी था। समय के साथ जन संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। वर्तमान में जिले की जनसंख्या 26 लाख से अधिक है और तालाबों की संख्या पहले से एक चौथाई बची है। रीवा शहर के ही कई तालाबों में कालोनियां बन गई हैं। तालाब मानव, वन्यजीव और वनस्पतियों सभी के लिए समान रूप से जीवनदायी हैं। कार्यशाला का संचालन करते हुए जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक प्रवीण पाठक ने जल संरक्षण कार्यों में स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह, विभिन्न विभागों के अधिकारी, सामाजिक संगठनों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button