सिंजेंटा इंडिया ने शुरू की 10 हजार किलोमीटर की ड्रोन यात्रा
पुणे : तकनीक को कृषि का अगला बड़ा वाहक बताते हुए सिंजेंटा इंडिया ने शुक्रवार को एक अनूठे जैव- विविध सेंसर परियोजना की घोषणा की है. सिंजेंटा इंडिया ने इस परियोजना के साथ- साथ विश्व की पहली जैव- विविध निगरानी तकनीक की भी घोषणा की है. यह तकनीक जैव- विविधता से जुड़ी एक विशिष्ट केंद्रीकृत डाटा कोष है जिसे साझा करने के साथ- साथ देखा भी जा सकता है. इस तकनीक का उद्देश्य धरती पर जैव- विविधता से जुड़े नपाई के सटीक आंकड़ा संग्रहण में तेजी लाना है.
सिंजेंटा इंडिया के देशीय प्रमुख और महाप्रबंधक सुशील कुमार और सिंजेंटा समूह के मुख्य सूचना व डिजिटल अधिकारी फिरोज शेख ने वैश्विक कृषि समस्या से निबटने के लिए मेक इन इंडिया के तर्ज पर नयी और अतिमहत्वपूर्ण परियोजनाओं की घोषणा शुक्रवार को की. इस दौरान सिंजेंटा के दोनों वरीय पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से भारत की पहली ड्रोन यात्रा को हरी झंडी दिखाई. लगभग 10 हजार किसानों को ड्रोन छिड़काव पर जागरूक करने के उद्देश्य से यह ड्रोन यात्रा 10 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगी. किसानों को ड्रोन के उपयोग को प्रदर्शित और शिक्षित करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह यात्रा 13 राज्यों से गुजरेग. इसके साथ ही सिंजेंटा भारत की पहली निजी कंपनी बन गयी है जिसे भारत सरकार की केंद्रीय कीटनाशक समिति ने फसलों को फफूंद संक्रमण से बचाने के लिए उसके उत्पाद ‘ अमीस्टार ’ को धान पर छिड़काव के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के लिए अधिकृत किया है.
सुशील कुमार के अनुसार ‘ भारतीय किसानों के फसल की उपज में सुधार, लाभ में वृद्धि और स्थायी रूप से उपजाते रहने की प्रतिबद्धता के साथ कई पहल किये जा रहे हैं और कई अन्य तकनीक आधारित नए प्रयोग भी किये जा रहे हैं. भारत में पिछले 94 साल के अपने अस्तित्व के दौरान हम नए प्रयोगों को लेकर अग्रणी संस्था रहे हैं और भारतीय किसानों को भारत में ही बने गुणवत्तापूर्ण फसल सुरक्षा उत्पाद, बीज और इनसे जुड़े समाधान देकर उनकी सेवा कर रहे हैं ’.
जैव- विविध सेंसर परियोजना के लिए सिंजेंटा इंडिया भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, रोपर और फ्रोंनहोफर संस्थान के सहयोग से कार्य कर रहा है. यह जानकारी सिंजेंटा इंडिया के वरीय अधिकारी फिरोज शेख ने दी. जैव- विविधता के प्रारंभिक चरण में खेत और उसके आसपास कीटों के जीवन की पहचान और मात्रा निर्धारित की जायेगी, जिससे स्वस्थ कृषि जीवमंडल में योगदान करने वाले कीटों की संख्या को बेहतर तरीके से आंका और मांपा जा सके. उन्होंने कहा कि ‘ इस तकनीक को और व्यापक बनाने का प्रयास करेंगे ताकि खेत और उसके अगल- बगल रहने वाले अन्य जीव- जंतुओं की पहचान कर सकें. हमारा मूल काम मार्च, 2022 से ही चल रहा है. इस पूरे साल हम सेंसर के नमूने को परिष्कृत करेंगे और कृत्रिम बुद्धिमता को विकसित करेंगे. हम आशा करते हैं कि अगले साल तक पहले सेंसर नेटवर्क से जुड़ी पायलट परियोजना चुनिंदा देशों में लागू कर दी जायेगी ’कृषि में तकनीक के उपयोग पर उन्होंने कहा कि ‘ कम लागत, सौर ऊर्जा संचालित, आधुनिक मोशन कैप्चरिंग व्यवस्था लागू कर सभी प्रजातियों के लिए कम खर्चे वाला सौर ऊर्जा संचालित, अति आधुनिक मोशन कैप्चरिंग के साथ बड़े पैमाने पर कृत्रिम बुद्धिमता प्रारूप पर आधारित होगा’
इस क्रम में सिंजेंटा ग्लोबल ने भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, रोपर के सहयोग से आईहब- अवध की घोषणा की. इस संबंध में फिरोज शेख ने कहा कि ‘ हम कृषि क्षेत्र में वैश्विक और स्थानीय समस्याओं के निराकरण के लिए कृषि और जल उत्पादों के विकास और व्यवसायीकरण को गति देने के लिए एक सहयोगी की तरह काम करना चाहते हैं ’.
सिंजेंटा की सहयोगी अवध संस्था के प्राध्यापक पुष्पेन्द्र पी. सिंह के अनुसार ‘ किसानों के लिए तकनीकी समाधान तैयार करने में योगदान के लिए सिंजेंटा के साथ साझेदारी करके हमें प्रसन्नता हो रही है ’.
भारत केंद्रित अन्य पहल की चर्चा करते हुए सुशील कुमार ने घोषणा की कि सिंजेंटा इंडिया शीघ्र ही उत्पादक एप लांच करेगा जो कई भाषाओं में कपास, गेहूं, सब्जियों, चावल और मक्का समेत कुल नौ फसलों के लिए डिजिटल कृषि से संबंधित सलाह देगा. यह एक अनूठा एप होगा जो सीमांत किसानों को डिजिटली सशक्त करेगा.