दूसरा भारतीय संत साहित्य उच्च शिक्षा सम्मेलन १९ से एमआईटी डब्ल्यूपीयू तथा श्री क्षेत्र आलंदी देहू परिसर विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन
पुणे: एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे और श्री क्षेत्र आलंदी देहू परिसर विकास समिति, आलंदी (देवाची), के संयुक्त तत्वावधान में चार दिवसीय दूसरा भारतीय संत साहित्य उच्च शिक्षा सम्मेलन का आयोजन १९ से २१ जुलाई तक कोथरूड स्थित एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संत श्री ज्ञानेश्वर सभामंडप में होने जा रहा है.
उद्घाटन समारोह १९ जुलाई को दोपहर २ बजे होगा. इसके लिए रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, केरल के सचिव स्वामी नरसिंहनानंद मुख्य अतिथि और उद्घाटक होंगे. अध्यक्ष के रूप में श्रीपीठम के संस्थापक हभप स्वामी परिपूर्णानंद सरस्वति उपस्थित रहेंगे. साथ ही मोक्षयंत इंटरनेशनल योगाश्रम के संस्थापक पद्मश्री स्वामी भारत भूषण विशेष अतिथि के रूप में होंगे.
सम्मेलन का समापन २१ जुलाई को शाम साढे चार बजे होगा. समारोह में अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ साहित्य समीक्षक डॉ. श्रीपाल सबनीस मौजूद रहेंगे. साथ ही मुंबई के भक्तिवेदांत विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रो. और इस्कॉन मुंबई के उपाध्यक्ष डॉ. मुंकुंद माधव दास मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे.
यहां पर नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय भटकर मुख्य भाषण देंगे. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड मानद अध्यक्ष के रूप में मौजूद रहेंगे.
तीन दिवसीय सम्मेलन में उद्घाटन और समापन सत्र को छोडकर चार सत्र होंगे. इन सत्रों में
सत्र १: उच्च शिक्षा में संत साहित्य को शामिल करना-आवश्यकताएँ और उपयोग (राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० दिशानिर्देशों के अनुसार)
वक्ताः डॉ. दत्तात्रेय तापकीर, प्रो.डॉ. मीना अहेर, प्रो.डॉ. संजय कुमार कोली
सत्र २: भगवद गीता और मानव जीवन
वक्ताः डॉ. सदानंद मोरे, कवि उर्मिला विश्वनाथ कराड, रमनलाल शाह और चारूदत्त आफले
सत्र ३: धर्मग्रंथ और छात्रों का सर्वांगीण विकास
वक्ता ः डॉ. क्षितिज पटुकले, डॉ.एस.एन.पठान, डॉ. प्रमोद शिंदे, डॉ. पल्लवी वर्तक
सत्र ४: संत साहित्य के माध्यम से सतत विकास- कल, आज और कल
वक्ताः डॉ. रामचंद्र देखने, सचिन परब, संजय भोसले,
साथ ही कई प्रसिद्ध शिक्षा विशेषज्ञ, वारकरी संप्रदाय के कीर्तनकार, प्रवचनकार, दार्शनिक, संत साहित्य के विद्वान सम्मेलन में अपने विचार प्रस्तुत रखेंगे.
इस सम्मेलन की अवधारणा एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. राहुल विश्वनाथ कराड की है. साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के मार्गदर्शन में संपन्न होगा.
हाल ही में केंद्र सरकार ने एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी घोषणा की है. जिसके अनुसार प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली पर जोर दिया जाना है. इस सम्मेलन के पीछे की अवधारणा यह है संत साहित्य से प्राप्त पवित्र साहित्य को शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए.
साथ ही मुख्य उद्देश्य यह है कि वर्तमान में विद्यालय, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा में संत साहित्य का समावेश कम है. सम्मेलन के माध्यम से कुछ प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजे जाएंगे, ताकि सरकार शिक्षा नीति तय करते समय इस पर विचार करे.
इस सम्मेलन में जींन कीर्तनकार, प्रवचनकार, विणेकरी को भाग लेना है, वे अपना नाम शालिकराम महाराज खंडारे से मो. ९८५००७४२०३, महेश महाराज नलवडे मो. ९८२२५४७७२७, रामचंद्र महाराज इंगोले मो. ९०२८२७८४३०, ह.भ.प. सुदाम महाराज पानेगांवकर मो. ९९२२२९९२५० तथा विक्रम शिंदे मो. ९३७३६९६८५२ पर संपर्क साध सकते है.
यह जानकारी भारतीय संत साहित्य उच्च शिक्षा परिषद के समन्वय समिति के अध्यक्ष हभप बापूसाहेब मोरे, समन्वय समिति के कार्यकारी अध्यक्ष हभप रविदास महाराज शिरसाठ, समन्वयक डॉ. संजय उपाध्ये, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, डॉ महेश थोरवे और डॉ. अर्चना चौधरी ने दी.