धर्म और भावुकता की बातों की जगह सरकार म की दिशा तय करे
प्रो. हरि नरके के विचार ः एमआईटी डब्ल्यूपीयू में सामाजिक नेतृत्व विकास कार्यक्रम का समारोप
पुणे: सरकार को धर्म और भावनाओं को रोकना है और देश को आगे ले जाने के लिए एक नई दिशा तय करनी है. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बिजली और पानी का विकास नहीं जब तक होगा तब तक देश तरक्की नहीं कर सकता. जिस देश में २३ प्रतिशत लोगों के पास घर नहीं है, वहां घर घर तिरंगा एक गलत नारा है. यह विचार राज्य सरकार के महात्मा फुले ग्रंथ प्रतिष्ठान समिति के सदस्य सचिव और लेखक प्रो. हरि नरके ने रखी.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी द्वारा कोथरूड के स्वामी विवेकानंद सभामंडप में आयोजित सामाजिक नेतृत्व विकास कार्यक्रम के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे.
थेरोकेयर के संस्थापक डॉ. ए. वेलूमणि, डिक्की के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री मिलिंद कांबले और आरटीआई कार्यकर्ता विवेक वेलणकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने अध्यक्षता निभाई.
इस समय प्रगतिशील किसान काशीराम दा. कराड, एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, स्कूल ऑफ सस्टेनेबल स्टडीज के निदेशक प्रो. अनामिका बिश्वास उपस्थित थे.
प्रो.हरि नरके ने कहा, कोविड के बाद से सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया है. देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे. एक सर्वे के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ६५ प्रतिशत रोजगार कम होगे. ऐसे समय के लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है. विश्वगुरू की और बढते हुए हमें कृषि संंबधी में ठीक से योजना बनानी होगी. इस देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए एक युवक को पानी लेने के लिए मौत के दरवाजे तक जाना पडता है. यहां प्रत्येक वर्ग के ६० प्रतिशत से अधिक नागरिक गरीबी रेखा से नीचे है. अफसोस की बात है कि यह शिक्षा के अलावा हर क्षेत्र में काफी पीछे है.
डॉ. वेलुमणि ने कहा, युवा ज्ञान, दिशा और ऊर्जा के दम पर ही आगे बढेगा. जीवन में खुशी सबसे महत्वपूर्ण चीज है और काम करते रहों. रोजगार के पीछे भागने की जगह रोजगार सृजन पर जोर दिया जाए. नेतृत्व के गुण बहुत महत्वपूर्ण है और उसी के आधार भारत भविष्य में पूरी दुनिया का नेतृत्व करेगा. किसी भी व्यवसाय को करने में जोखित महत्वपूर्ण है लेकिन उसके पहले अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए. फल की आशा किए बिना कर्म करते रहों.
विवेक वेलणकर ने कहा, युवाओं को देश को स्वराज्य से सुराज्य तक ले जाने के लिए संघर्ष करना होगा. देश का हर व्यक्ति सरकारी खजाने में टैक्स जमा करता है. इसलिए उन्हें यह पूछने का अधिकार है कि यह पैसा कहां जाता है. लेकिन यह अपर्याप्त सुविधाओं और बढती बेरोजगारी पर चिंतन करने का समय है. उसके लिए सरकार और प्रशासन में पारदर्शिता का होना जरूरी है. घर घर में तिरंगा का नारा लगाने के बाद अब समय है स्वराज्य का नारा लगाने का.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा कराड ने कहा, छात्राेंं को अनुशासन और चरित्र पर अधिक जोर देते हुए जीवन से गुजरना चाहिए. माता पिता के प्रति अपने कर्तव्य को कभी न भूले. शिक्षा और अध्यात्म जीवन का आधार है और कैसे जीना है और कैसे नहीं जीना है, इसका ज्ञान प्राप्त होता है. वसुधैव कुटुम्बकम के सिध्दांत के अनुसार भारत २१वीं सदीं में पूरे विश्व को सुख, शांति और संतोष का मार्ग दिखाएगा.
पद्मश्री मिलिंद कांबले ने कहा, देश का आगे बढाने के लिए सामाजिक उद्यमिता मॉडल की जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अवधारणा के अनुसार देश की प्रगति के लिए इसकी आवश्यकता है और यह बडे पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन लाएगा.
इसके बाद वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. रतनलाल सोनग्रा और प्रियांकर उपाध्याय ने अपने विचार प्रस्तुत किए.
डॉ. आर.एम.चिटनीस ने स्वागत पर भाषण दिया. प्रो. डॉ. मिलिंद पांडे ने एमआईटी के माध्यम से किए जा रहे है शैक्षिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यों की जानकारी दी.
प्रो.डॉ. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया डॉ. मृदुला कुलकर्णी ने आभार माना.