पायलट के गढ़ में सबसे बड़े अस्पताल में पसरा है अव्यवस्थाओं का आलम, चिकित्सा मंत्री के रिश्तेदार के है जिम्मे
राजस्थान की सबसे चर्चित विधानसभा टोंक के एकमात्र सबसे बड़े सरकारी सआदत अस्पताल की बदहाली आज भी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी एल मीणा की लापरवाही और मनमानी के चलते बदस्तूर जारी रही. जी संवाददाता ने डॉक्टर्स के चेम्बर्स का जायजा लिया तो एक भी डॉक्टर अपने ड्रेस कोड में नजर नहीं आया.
Tonk: राजस्थान की सबसे चर्चित विधानसभा टोंक के एकमात्र सबसे बड़े सरकारी सआदत अस्पताल की बदहाली आज भी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी एल मीणा की लापरवाही और मनमानी के चलते बदस्तूर जारी रही. जी संवाददाता ने डॉक्टर्स के चेम्बर्स का जायजा लिया तो एक भी डॉक्टर अपने ड्रेस कोड में नजर नहीं आया. जब डॉक्टर्स से ड्रेस कोड के बारे में बातचीत करनी चाहिए तो डॉक्टर्स ने मरीजों की एक्सरे रिपोर्ट से अपना मुंह छुपा लिया.
इस दौरान डॉक्टर्स के कमरे के बाहर उपचार का इंतजार कर रहे मरीजों ने अस्पताल की अवस्थाओं पर खुलकर अपनी बात रखी. दूरदराज से आए लोगों ने अस्पताल में सुविधाओं पर बताते हुए कहा कि जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन यहां पर सुविधाएं धर्मशाला से भी बदतर है ऐसे में यहां पर उपचार कराने के बजाय लोग सिर्फ इंतजार करते रहते हैं. डॉक्टर्स से बात करते हैं तो वह बदतमीजी पर उतर आते हैं और अधिकतर बाहर की दवा और उपचार लिखकर खरीदने की सिफारिश करते हैं..
आपको बता दें सहादत अस्पताल टोंक जिले का सबसे बड़ा एकमात्र सरकारी अस्पताल है और यहां का उचित और प्रतिदिन करीब 3000 के करीब पहुंच रहा है आज भी जब आउटडोर की जानकारी ली गई तो करीब 3000 से ज्यादा मरीजों का उद्योग अस्पताल में रजिस्ट्रेशन हुआ हैरत की बात तो यह है कि लगातार 8 दिन से जी राजस्थान सहादत अस्पताल की बदहाली की तस्वीरों को उजागर कर रहा है.डॉक्टर बी एल मीणा की लापरवाही और मनमानी से बिगड़ रहे हालातों को सामने रख रहा है, लेकिन अब तक चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने और सचिवालय में बैठे बड़े अधिकारियों ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई.
यह तो तब है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत अभियान में पूरा देश कदम ताल मिलाकर पिछले 7 सालों से दौड़ रहा है और राजस्थान का एकमात्र टोंक जिले का यह अस्पताल आज भी ऑफलाइन दवा पर्ची के भरोसे मरीजों की मुसीबतें बढ़ा रहा है. गांव ढाणी कस्बों से आने वाले मरीज और तीमारदार सुबह से शाम तक सिर्फ इंतजार करते हैं डॉक्टर चेंबर छोड़कर घर चले जाते हैं लेकिन मरीजों की इस पीड़ा का समाधान ना तो प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी एल मीणा कर पाए, ना ही सूबे का चिकित्सा महकमा.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर डॉक्टर बी एल मीणा के राजनीतिक रसूख किसके भरोसे बुलंद हो रहे हैं आखिर क्या उनके द्वारा चिकित्सा मंत्री के रिश्तेदार होना, आड़े आ रहा है. क्या ऐसे ही टोंक जिले की जनता परेशान रहेगी, क्या विधायक सचिन पायलट के द्वारा किए गए आम जनता से चुनावी वादे सिर्फ जुमले साबित होंगे, क्या जनसुनवाई में हजारों लोगों की भीड़ में पायलट द्वारा किए जाने वाले वादे सिर्फ हवा हवाई होंगे, ऐसे में अब इंतजार उस दिन का है जब प्रमुख चिकित्सा अधिकारी अपनी लापरवाही की हद पार कर देंगे और किसी बड़े हादसे में जन हानियों का एक बड़ा अंबार खड़ा हो जाएगा,
फिलहाल तो प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को अस्पताल में नियुक्त 70 डॉक्टर्स की फौज में से यह जानकारी नहीं है कि कौन सा डॉक्टर किस समय अस्पताल की चेंबर में ड्यूटी कर रहा है. प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को तो यह भी जानकारी नहीं है उनके अस्पताल में कितने कंप्यूटर ऑपरेटर हेल्पर और नर्सिंग स्टाफ कार्यरत है.
हालांकि अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला के गोपाल ने कार्यवाहक अतिरिक्त जिला कलेक्टर उपखंड अधिकारी भारत भूषण गोयल के नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की है और इस जांच कमेटी ने अपनी जांच पड़ताल भी शुरू कर दी है, लेकिन अब इंतजार है कि यह जांच रिपोर्ट कब सामने आती है और कब मनमाने लापरवाह प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी एल मीणा के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.