आरोग्यपूणे

यूरोकुल यूरोलॉजी इन्स्टिट्यूट द्वारा 18, 19 मार्च को ‘यूरेथ्रोप्लास्टी’ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय तरराष्ट्रीय वर्कशॉप

यूरोकुल यूरोलॉजी इन्स्टिट्यूट द्वारा 18, 19 मार्च को
‘यूरेथ्रोप्लास्टी’ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय तरराष्ट्रीय वर्कशॉप
दुनिया भर के ५०० से अधिक विशेषज्ञ भाग लेंगे; डॉ. संजय कुलकर्णी की प्रेस वार्ता में जानकारी
पुणे : दुर्घटना में कमर की हड्डी टूट जाने पर मूत्रमार्ग भी टूट जाता है. ऐसे मामलों में, टूटे हुए मूत्रमार्ग को जोड़ने, तथा कुछ मामलों में गाल की अंदरूनी परत का उपयोग कर के प्रभावित मूत्रमार्ग को बड़ा करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। ऐसी करीब १४ से १६ सर्जरी दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप में की जाएगी. यह वर्कशॉप 18 व 19 मार्च 2023 को यूरोकुल यूरोलॉजी इन्स्टिट्यूट, बानेर में होगी, ऐसी जानकारी यूरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. संजय कुलकर्णी ने प्रेस कांफ्रेंस में दी। इस मौके पर लैप्रोस्कोपी सर्जन डॉ. ज्योत्स्ना कुलकर्णी, यूरोलॉजिस्ट डॉ. पंकज जोशी, बानेर-बालेवाड़ी मेडिको एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश देशपांडे आदि मौजूद थे।
यह कार्यशाला बानेर के 105 बेड वाले सर्वसुविधायुक्त और अद्यतन यूरोलॉजी इन्स्टिट्यूट ‘यूरोकूल’ में आयोजित की जाएगी। इस ‘यूरेथ्रोप्लास्टी’ कार्यशाला में डॉ. संजय कुलकर्णी, डॉ. पंकज जोशी, लंदन से प्रो. मंडी, कतार से पीपी साले ये विशेषज्ञ शामिल होंगे। ‘यूरोकूल’ में होने वाली इन विभिन्न सर्जरी का प्रसारण बंटारा हॉल में किया जाएगा। इस कार्यशाला में पांच सौ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ यूरोलॉजिस्ट भाग लेंगे।
डॉ. संजय कुलकर्णी ने कहा, “अतीत में, मूत्रमार्ग को बड़ा करने के लिए एंडोस्कोपिक सर्जरी, मूत्रमार्ग के स्व-कैथीटेराइजेशन जैसे उपाय करने पड़ते थे। लेकिन अब ‘यूरेथ्रोप्लास्टी’ की सर्जरी से मरीजों का जीवन सहनीय हो गया है। ‘यूरेथ्रोप्लास्टी’ से ब्लैडर और इससे जुड़े विकारों के मरीजों को काफी राहत मिली है। कुछ बच्चे लिंग के आधार पर स्थित मूत्रमार्ग के साथ पैदा होते हैं। ऐसे मरीजों के लिए भी अद्ययावत सर्जरी उपलब्ध है। इसके अलावा, जो संभोग करने में असमर्थ है उस रोगी के शरीर में ‘थ्री पीस पेनाइल प्रोस्थेसिस’ इस उपकरण को शल्य चिकित्सा द्वारा प्रत्यारोपित किया जाता है. रोगी तब अंडकोष के पास रखे बटन को दबाकर रोगी की इच्छा के अनुसार संभोग करने में सक्षम हो सकता है।”
कभी-कभी प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी के बाद मांसपेशियों में शिथिलता के कारण पेशाब निकल जाता है। इसे कृत्रिम स्फिंक्टर नामक उपकरण द्वारा रोका जा सकता है। प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी या रेडियोथेरेपी के बाद, कभी-कभी मूत्राशय और मलाशय के बीच एक असामान्य मार्ग बन जाता है। ऐसे रोगियों का मूत्र विसर्जन गुदा मार्ग से होता है। ऐसे रोगियों के लिए यूरेथ्रोप्लास्टी में समाधान हैं, डॉ. संजय कुलकर्णी ने कहा।
‘यूरोकूल की प्रतिबद्धता’
यूरोलॉजी’ और ‘नेफ्रोलॉजी’ को समर्पित यह 105 बेड वाला ‘यूरोकूल’ भारत का तीसरे नंबर का अस्पताल है। मूत्र मार्ग विकारों के लिए अद्यतन और पूरी तरह से सुसज्जित सेवाएं एक ही छत के नीचे यहां 24 घंटे उपलब्ध हैं। मरीजों के लिए सस्ते दामों में सर्जरी, बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं होने के कारण मरीज को वापस नहीं भेजा जाता, ये यहां की एक विशेषता है। इसी सामाजिक प्रतिबद्धता के कारण ‘यूरोकूल’ देश-विदेश के मरीजों के बीच लोकप्रिय हुआ है। दुनिया के करीब 50 देशों में जाकर ‘यूरेथ्रोप्लास्टी’ सर्जरी कर चुके डॉ. संजय कुलकर्णी ‘यूरोकूल’ के प्रमुख हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button