हनुमान की पूजा और व्यायाम से पहलवान बनते है
डॉ. योगेंद्र मिश्रा के विचारः हनुमान जयंती के अवसर पर एमआईटी में कुश्ती का आयोजन
देवेन्द्र सिंह तोमर प्रतिनिधि पुणे
पुणे: वायपुत्र हनुमान की नित्य पूजा, कसरत और पौष्टिक आहार से पहलवान बनते है. जिसकी जीभ स्वाद की अभ्यस्त है वह कभी भी पहलवान नहीं बन सकता. उसके लिए शरीर और मन मजबूत बनाना पडता है. एमआईटी द्वार लाल मिट्टी में शुरू की कुश्ती स्पर्धा से निकलने वाले पहलवान हिंद केसरी, भारत केसरी, रुस्तम ए हिंद, महाराष्ट्र केसरी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करेंगे. यह विचार काशी बनारस के वरिष्ठ दार्शनिक एवं विचारक डॉ. योगेंद्र मिश्रा ने व्यक्त किए.
श्री हनुमान जयंती के अवसर पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी अखाड़े में विश्वशांति केंद्र आलंदी, माइर्स एमआईटी द्वारा पहलवानों के लिए कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया . उस समय वे बोल रहे थे.
इस प्रतियोगिता में ९० पहलवानों ने भाग लिया. विजेता पहलवानों को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. ७० किलो वर्ग में उद्घाटन मैच अनुदान चव्हाण और प्रणव गरूडकर के बची था. जिसमें एमआईटी के अनुदान चव्हाण जीते.
विश्वधर्मी डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने एमआईटी डब्ल्यूपीयू के परिसर में श्री हनुमान मंदिर में महापूजा की. इसके बाद कुश्ती प्रतियोगिता का शुभारंभ किया गया. इस मौके पर नागपूर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एन.पठाण, आलंदी देवस्थान ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी रामचंद्र गुहाड, सरकार निंबालकर, डॉ. टी.एन.मोरे, अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच ओर रेफरी प्रो. विलास कथूरे, डॉ. पी.जी. धनवे, राहुल बिराजदार, बालासाहेब सनस, अशोक नाइक और रोहित बागवाडे मौजूद थे.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, कुश्ती से ताकत और रणनीति विकसित होती है. विद्यार्थियों को अभ्यास के साथ पढ़ाई भी करनी चाहिए. हर पहलवान का चरित्र निर्माण किया जाना चाहिए. कुश्ती के खेल में बुद्धि और बल से सफलता प्राप्त की जा सकती है.
पहलवान निखिल वनवे, निलेश सातपुते और विनायक इंगूलकर रेफरी थे.