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मड़ैया बनाकर रहने को मजबूर, ग़रीब आदिवासियों का आशियाना अधूरा…!

मड़ैया बनाकर रहने को मजबूर, ग़रीब आदिवासियों का आशियाना अधूरा: बिरसिंहपुर मे द्वितीय किस्त के अभाव में अधूरे पड़े हैं पीएम आवास योजना के घर

विशाल समाचार टीम सतना 

सतना एमपी: गैवीनाथ धाम की नगरी ,नगर परिषद बिरसिंहपुर में इन दिनों लंबे समय से हितग्राही पीएम आवास योजना का मकान बनाने के लिए दूसरी किश्त का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनको यह राशि सीएमओ शैलेंद्र ओझा द्वारा नही दी जा रही है। जिसके चलते कई हितग्राहियों के आवास अधूरे पड़े हुए हैं।

 

हितग्राहियों ने बताया कि यदि समय रहते राशि नहीं मिली तो आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ने लगेंगी । वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दिखाकर निर्धन वर्ग को राहत दी थी और बड़े पैमाने पर इसका निर्माण भी शुरु हो चुका है। 2022 तक शत प्रतिशत गरीबों के मकान बनाने का लक्ष्य है, ताकि हर गरीब को छत मिल सके और उसका खुद का घर बन सके, लेकिन नगर में प्रधानमंत्री आवासों का निर्माण धीमी गति से चल रहा है। हालत यह है भ्रष्टाचार की गंदगी और जातीय दल-दल के कारण लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।
नगर परिषद बिरसिंहपुर के अफसरों के चक्कर काट रहे ग़रीब आदिवासी

कभी चिलचिलाती धूप तो कभी बारिश, में घास-फूस की मड़ैया व पन्नी के नीचे गुजारा करने को गरीब मजबूर है । प्रधानमंत्री योजना जब से लागू हुई है तब से लेकर आज तक नगर में प्रधानमंत्री योजना के हितग्राहियों को पूरी किस्त तो नहीं मिली है। किसी को एक किश्त मिली है तो किसी को दो किश्त मिली है जिससे उनके आवास निर्माण नहीं हुए हैं। लगातार वह नगर परिषद के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन नगर परिषद अफसरों द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि डालने के लिए दस या पांच हजार रुपये पहले ही हितग्राहियों से अनुबंध कर लिया जाता हैं। पैसा नही देने पर जिसका परिणाम यह है कि लोग आज अपने आधे अधूरे आवास में पन्नी डालकर घास-फूस की मड़ैया* बनाकर रहने को मजबूर है। कुछ हितग्राही तो बेचारे अपने कच्चे मकानों को तोड़ कर किराए से रहने को मजबूर है । ऐसे में वह अपना परिवार चलाएं य मकान निर्माण की व्यवस्था करें।

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