पूणे

शिक्षा के लिए सभी को कडी मेहनत करे डॉ. किरण ठाकूर की अपीलः छठे राष्ट्रभक्ति साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन

शिक्षा के लिए सभी को कडी मेहनत करे

डॉ. किरण ठाकूर की अपीलः छठे राष्ट्रभक्ति साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन
लेखिका चंद्रलेखा बेलसरे को ‘कवयित्री उर्मिलाताई कराड जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित

पुणे: “आतंकवादांचा देशभक्ति इसलिए जरूरी है ताकि कोई भी आतंकवाद का शिकार न बने. २१ वीं सदी महिलांओं की है और भारत की आबादी ही देश का नेतृत्व करेगी और विश्व गुरू बनेगी. इसके लिए सभी को शिक्षा देने पर जोर शोर से काम करना होगा. यह अपील छठे राष्ट्रभक्ति साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. किरण ठाकुर ने की.
वह कर्नाला चैरिटेबल ट्रस्ट, पुणे द्वारा आयोजित छठे राष्ट्रभक्ति साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन मौके पर बोल रहे ि.
इस अवसर पर उद्घाटनकर्ता कॉसमॉस को ऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष प्रवीण गांधी और चैरिटी कमिश्नर सु.मु. बुके उपस्थित थे. साथ ही डॉ. स्वयंप्रभा मोहिते पाटिल, ब्रिगेडियर डॉ. सुनील बोधे और नंदू फडके मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
साथ ही कर्नाला चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं समाजसेवी चंद्रकांत शहासने, कार्यकारी अध्यक्ष ट्रस्टी एड. नंदिनी शहासने और वरिष्ठ समाजसेवी माया प्रभुणे उपस्थित थे.
इस अवसर पर लेखिका चंद्रलेखा बेलसरे को कवयित्री उर्मीलाताई कराड जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार के रूप में सम्मानपत्र, पुणेरी पगडी और शॉल था. साथ ही कर्नाला चैरिटेबल की वेबसाइट का अनावरण किया गया और स्मरणिका का विमोचन गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया.
डॉ.किरण ठाकुर ने कहा, हजारो सैनिकें के बलिदान से देश सुरक्षित है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चीजों को देखा और दिल्ली में २६ हजार ६७८ सैनिकों के नाम अंकित कर उन्हें श्रध्दांजलि दी. उसी के आधार पर अब हमें काम करना चाहिए जो क्रांतिकारियों के जीवन पर उनके स्मारक बनाएं.
अगर भारत के १२ लाख सैनिक और पाकिस्तान के ७ लाख सैनिक एकजुट हो जाएं तो भारत का एक मजबूत और शक्तिशाली देश बन जाएगा. अंग्रेजों को यह मंजूर नहीं था. इसलिए उन्होंने इन दोनों देशों को विभाजित कर दिया. जापान और जर्मनी देश को मजबूत बनाने के साथ निर्माण करने में महिलाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था. इसे देखते हुए २१वीं सदी महिलाओं की होगी.

 

पुरस्कार पर प्रतिक्रिया देते हुए चंद्रलेखा बेलसरे ने कहा, श्रीमती उर्मिला कराड के नाम पर पुरस्कार स्वीकार करना बहुत खुशी की बात हैं. लेकिन जब उनकी ममता याद आती है तो अपने आंसू रोक नहीं पाती हूं. जो तन, मन और धन से देश की सेवा करता है वह सच्चा देशभक्त है. भारत माता… तथा जय भवानी… जैसे शब्द उच्चारते ही अगला वाक्य स्वयं निकलता है यह देशभक्ति है आज के बच्चों में देशभक्ति का संस्कार डालना जरूरी है.

सु.मु. बुके ने कहा, समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे पर देश चल रहा है. जिस दिन हर वर्ग के लोग कानून का पालन करेंगे और ईमानदारी से काम करेंगे वहीं सच्ची देशभक्ति होगी. अगर आप खुद ईमानदारी से प्रगति करेंगे तो वह देशभक्ति होगी. आज का दिन छात्रों को अच्छे संस्कार देकर स्क्रीन एडिक्टस से दूर रखना चाहिए.

 

 

चंद्रकांत शहासने ने कहा, सजाज का कुछ का कुछ दायित्व है. इस भूमिका को स्वीकार करते हुए हम क्रांतिकारियों के जीवन पर अब तक जो कुछ भी किया गया है उसका पूरा साहित्य समाज को समर्पित करते हैं. हम जो बोएंगे, वही उगेगा. इसलिए हमें राष्ट्र की सेवा के लिए काम करते रहना चाहिए.
डॉ. स्वयंप्रभा मोहिते पाटिल ने कहा, जब एक महिला घर से बाहर निकलती है तो वह समाज के लिए कुछ करती है. आज बेलसरे को उनकी उपलब्धियों, परोपकारिता, विचारक और सरस्वती के लिए सम्मानित किया गया. उनकी दृढता के कारण उन्हें जीवन में लगातार सफलता मिलती रही.
नंदू फडके ने कहा, जब भारत मजबूत होगा और प्रगति कर रहा होगा, तो इजराइल को छोडकर सभी देश हमारे खिलाफ होंगे. ऐसे समय में हर देश में तीव्र देशभक्ति जरूरी है.
इस अवसर पर प्रवीण गांधी ने अपने विचार प्रस्तुत किये. एड. नंदिनी शहासने ने प्रस्तावना रखी. श्रीमती जोशी ने सूत्रसंचालन किया.

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