एकल तबला वादन की थाप पर आत्म ‘अनुभूति’
संगीत साधना गुरूकुल आश्रम द्वारा ‘अनुभूति संगीत सभा’ में मंत्रमुग्ध हुए श्रोता
संगीत साधना गुरूकुल आश्रम द्वारा ‘अनुभूति संगीत सभा’ में मंत्रमुग्ध हुए श्रोता
विशाल समाचार संवाददाता पुणे: तबले की दुनिया में उभरते मशहूर ओजस अढिया, फारूखाबाद घराने के वादक अनुव्रत चटर्जी और युवा कलाकार यशवन्त वैष्णव ने कर्नाटका स्कूल के शकुंतला शेट्टी ऑडिटोरियम में शानदार प्रस्तुति देकर दर्शकाेंं को मंत्रमुग्ध कर दिया. उनकी प्रस्तुति इतनी मनमोहक थी कि दर्शक उसमें खो गये.
दो दिवसीय अनुभूति संगीत सभा में एकल तबला वादन का आयोजन प्रसिद्ध तबला वादक अनुप जोशी और प्रज्ञा देव द्वारा स्थापित संगीत साधना गुरूकुल आश्रम द्वारा किया गया था. शास्त्रीय संगीत के इस वादययंत्र को बजाकर इन तबला वादकों ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया. इसमें कई प्रचलित और अप्रचलित बंदिशे सुनाई. उनके साथ उनकी प्रस्तुति का जादू ऐसा था कि अपनी अंगुलियों को थिरकने से रोका नहीं पा रहे थे. उनके साथ हारमोनियम पर मिलिंद कुलकर्णी ने साथ दी.
इनकी अंगुलियां जब तबले पर पडी तो लोग मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे थे. इन सभी तबला वादकों की खासियत यह थी कि तबला वादन करते समय श्रोताओं के साथ रूहानी रिश्ता कायम कर लिया था. तब श्रोताओं के दिल से निकली वाह और तालियों की गडगडाहट ही इनके लिए सबसे बडा पुरस्कार था.
मशहूर तबला वादक ओजस अढिया में तबले के बोल को जीवंत करने की क्षमता है. वे चोटी के तबला वादक होने के साथ उन्होंने यहां पर अन्य घरानों की बंदिशे भी उस घराने की वादन शैली के अनुरूप ही प्रस्तुत किया. शानदार प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
कार्यक्रम के पहले सत्र की शुरूआत अनुप जोशी के शिष्य अनुराग अलुरकर के एकल तबला वादन से हुई. उनके साथ कल्पतरू ठाकरे ने हारमोनियम पर संगत की. प्रस्तुति के साथ तबला वादन की शुरूआत हुई और फिर कायदा, रेला और बंदिश के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
दुसरे दिन रविवार की सुबह फारूखाबाद घराने के वादक अनुव्रत चटर्जी और युवा कलाकार यशवन्त वैष्णव ने सधे हुए हाथों से जब तबले पर थाप मारी तो श्रोता भाव विभोर हुए. कठिन तालें भी बडी सुगमता से बजाया. उनकी तबले की संगीत ने श्रोताओं पर जादू की. उनके ठेके में एक भराव था, दांये और बांये तबले का संवाद ने दर्शकों पर विशिष्ट प्रभाव डाला. इनके वादन में तबले की बारीकियां थी.
इस मौके पर प्रसिद्ध तबला वादक पं.ओंकार गुलवाडी, पं. रामदास पलसुले, पुरात्वविद्या वैज्ञानिक गो. बं. देगलुरकर, गोविंद बेडेकर, सुरेंद्र मोहिते, मनीष गुप्ता ओर टेनएक्स के हरीश भाबड और नेक्सजेन एज्युकेशन के संभाजी चवले की प्रमुख उपस्थिती थी. साथ ही संगीत साधना गुरूकुल आश्रम के कार्यकारी मंडल के सदस्य अनुप जोशीश प्रज्ञा देव, अमित दरेकर, अमोल भट आदि उपस्थित थे. साथ ही पुणे के जाने माने नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे.
कार्यक्रम का संचालन मंगेश वाघमारे ने किया.
दो दिवसीय अनुभूति संगीत सभा में एकल तबला वादन का आयोजन प्रसिद्ध तबला वादक अनुप जोशी और प्रज्ञा देव द्वारा स्थापित संगीत साधना गुरूकुल आश्रम द्वारा किया गया था. शास्त्रीय संगीत के इस वादययंत्र को बजाकर इन तबला वादकों ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया. इसमें कई प्रचलित और अप्रचलित बंदिशे सुनाई. उनके साथ उनकी प्रस्तुति का जादू ऐसा था कि अपनी अंगुलियों को थिरकने से रोका नहीं पा रहे थे. उनके साथ हारमोनियम पर मिलिंद कुलकर्णी ने साथ दी.
इनकी अंगुलियां जब तबले पर पडी तो लोग मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे थे. इन सभी तबला वादकों की खासियत यह थी कि तबला वादन करते समय श्रोताओं के साथ रूहानी रिश्ता कायम कर लिया था. तब श्रोताओं के दिल से निकली वाह और तालियों की गडगडाहट ही इनके लिए सबसे बडा पुरस्कार था.
मशहूर तबला वादक ओजस अढिया में तबले के बोल को जीवंत करने की क्षमता है. वे चोटी के तबला वादक होने के साथ उन्होंने यहां पर अन्य घरानों की बंदिशे भी उस घराने की वादन शैली के अनुरूप ही प्रस्तुत किया. शानदार प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
कार्यक्रम के पहले सत्र की शुरूआत अनुप जोशी के शिष्य अनुराग अलुरकर के एकल तबला वादन से हुई. उनके साथ कल्पतरू ठाकरे ने हारमोनियम पर संगत की. प्रस्तुति के साथ तबला वादन की शुरूआत हुई और फिर कायदा, रेला और बंदिश के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
दुसरे दिन रविवार की सुबह फारूखाबाद घराने के वादक अनुव्रत चटर्जी और युवा कलाकार यशवन्त वैष्णव ने सधे हुए हाथों से जब तबले पर थाप मारी तो श्रोता भाव विभोर हुए. कठिन तालें भी बडी सुगमता से बजाया. उनकी तबले की संगीत ने श्रोताओं पर जादू की. उनके ठेके में एक भराव था, दांये और बांये तबले का संवाद ने दर्शकों पर विशिष्ट प्रभाव डाला. इनके वादन में तबले की बारीकियां थी.
इस मौके पर प्रसिद्ध तबला वादक पं.ओंकार गुलवाडी, पं. रामदास पलसुले, पुरात्वविद्या वैज्ञानिक गो. बं. देगलुरकर, गोविंद बेडेकर, सुरेंद्र मोहिते, मनीष गुप्ता ओर टेनएक्स के हरीश भाबड और नेक्सजेन एज्युकेशन के संभाजी चवले की प्रमुख उपस्थिती थी. साथ ही संगीत साधना गुरूकुल आश्रम के कार्यकारी मंडल के सदस्य अनुप जोशीश प्रज्ञा देव, अमित दरेकर, अमोल भट आदि उपस्थित थे. साथ ही पुणे के जाने माने नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे.
कार्यक्रम का संचालन मंगेश वाघमारे ने किया.