पिंपरी चिंचवडराजनीति

महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा मतदाताओं वाले लोस क्षेत्र का हाल

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मावल लोकसभा सीट पर पहली बार घड़ी के बिना हो रहा चुनाव

पुणे पिंपरी-चिंचवड

देश में हर पांच साल में लोकसभा चुनाव होते हैं। पर, पिछले पांच साल के दौरान राज्य की राजनीति में न कुछ ज्यादा ही बदलाव हो चुका है। – इस लोकसभा चुनाव में कई रिकॉर्ड । बन और बिगड़ रहे हैं। 30 साल से गठबंधन में रही भाजपा व शिवसेना न (उद्धव) अब एक दूसरे के सामने व हैं। पुणे जिले की मावल लोकसभा । क्षेत्र में यह पहला लोकसभा चुनाव होगा, जब यहां से घड़ी चुनाव चिह्न चुनाव मैदान से बाहर है।

दरअसल, यह चुनाव क्षेत्र में साल 2008 में अस्तित्व में आया। इस चुनाव क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद से शिवसेना का भगवा परचम लहरा रहा है। हर बार यहां ‘तीर कमान’ ने राष्ट्रवादी कांग्रेस की घड़ी को भेदा है। पर, यह लोकसभा का पहला ऐसा चुनाव है, जब इस बार राष्ट्रवादी की ‘घड़ी’ की टिकटिक नहीं सुनाई दे रही।

15 साल ले लहरा रहा भगवा परचमः पुणे और रायगड जिलों में 

में बंटा मावल लोकसभा क्षेत्र 2008 में हुए परिसीमन के बाद बना है। इसमें दोनों जिलों के तीन- तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में मावल लोकसभा से पहला सांसद शिवसेना से चुना गया। इसके बाद से यह चुनाव क्षेत्र शिवसेना

(अविभाजित) का गढ़ बना हुआ है। पिछले 15 साल से शिवसेना ने यहां अपना वर्चस्व कायम रखा है। राज्य और केंद्र की सत्ता में कांग्रेस के साथ सरकार में रहने के दौर में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मावल

दोनों गठबंधनों के टूटने, दो पार्टियों में विभाजन से बन रहे नए रिकॉर्ड राकांपा हाईकमान के पुत्र को हराने वालों के लिए प्रचार करने की नौबत

लोकसभा से कभी सफलता नहीं मिली। हर बार राकांपा उम्मीदवार को यहां मुंह की खानी पड़ी है। पिछले दो सालों में प्रदेश में सियासी समीकरण बदलने के बाद मावल में लोकसभा का पहला ऐसा चुनाव हो रहा है, जिसमें राकांपा का प्रत्याशी मैदान में नहीं है।

शिवसेना के दोनों गुट आमने-सामने

गत दो वर्षों में बदले सियासी समीकरणों के बाद शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई हैं। दोनों पार्टियों के एक-एक गुट (एकनाथ शिंदे और अजित पवार) भाजपा की महायुति में शामिल हैं। सीटों के बंटवारे में मावल सीट महायुति में शिंदे और महाविकास आघाडी में उद्धव ठाकरे गुट को मिली है। शिंदे गुट ने मौजूदा सांसद श्रीरंग बारणे को फिर प्रत्याशी घोषित किया है। बारणे इस बार जीत की हैट्रिक बनाने उतरे हैं। वहीं शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने यहां से पिंपरी-चिंचवड़ के भूतपूर्व महापौर संजोग वाघेरे को उम्मीदवार बनाया है। वाघरे राकांपा छोड़ शिवसेना (उद्धव) में शामिल हुए हैं।

 

बेटे को हराने वाले का करना होगा प्रचार

2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से शिवसेना (अविभाजित) उम्मीदवार बारणे का मुकाबला अजित पवार के सुपुत्र पार्थ पवार से था। पार्थ को हार का सामना करना पड़ा था, पर इस बार बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में बारणे महायुति के उम्मीदवार हैं। अब अजित पवार को उनके लिए वोट मांगना पड़ेगा।

 

राकांपा को हर बार मिली करारी मात

परिसीमन के बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में शिवसेना के गजानन बाबर मावल लोकसभा से पहले सांसद चुने गए। तब उन्होंने राकांपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व महापौर आजमभाई पानसरे को 80 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। उन्हें 3 लाख 64 हजार 305 वोट मिले थे और पानसरे को 2 लाख 83 हजार 745 वोट मिले थे। इसके बाद हुए अगले चुनाव यानि 2014 में गजानन बाबर का टिकट कट गया और उनकी जगह कांग्रेस छोडकर शिवसेना में शामिल हुए श्रीरंग बारणे को उम्मीदवारी मिली। तब बारणे का मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बागी विधायक लक्ष्मण जगताप के साथ हुआ था। जिसमें बारणे को जीत मिली थी।

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