एक और प्रत्याशी बदला: राजेश की उम्मीदवारी से दो धड़ों में बंट गई थी सपा… अंतिम समय में लागू किया प्लान-बी
शाहजहांपुर लोकसभा सीट से सपा ने अपना उम्मीदवार आखिरी समय में बदला। अब पहले प्रत्याशी राजेश की जगह ज्योत्सना गौंड चुनाव लड़ेंगी। राजेश की उम्मीदवारी से सपा दो धड़ों में बंट गई थी। एक माह के अंदर सपा की अंदरूनी खींचतान की रिपोर्ट मुख्यालय तक पहुंच गई थी।
बड़े उलटफेर में सपा ने शाहजहांपुर सीट से अपना प्रत्याशी अंतिम समय में बदल दिया। दो दिन पहले नामांकन कराने वाली ज्योत्सना गौंड को शुक्रवार को नामांकन पत्रों की जांच के बाद निर्वाचन अधिकारी ने सिंबल के आधार पर सपा का प्रत्याशी घोषित कर दिया।
वहीं उनसे पहले 22 अप्रैल को सपा प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कराने वाले राजेश कश्यप का परचा खारिज कर दिया गया। वह दस प्रस्तावकों की संख्या पूरी न होने के कारण निर्दलीय के रूप में भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे
राजेश कश्यप के सपा प्रत्याशी के रूप में घोषणा के बाद से ही पार्टी दो धड़े में बंट गई थी। एक धड़ा हर हाल में राजेश को ही प्रत्याशी बनाए रखने के पक्ष में था। दूसरा इसे किसी सूरत में मंजूर करने के लिए तैयार नहीं था। अंदरूनी खींचतान के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष तक यह मामला पहुंचा था।
प्रत्याशी बदलने का अंतिम निर्णय आने के बाद विरोधी गुट इसे अपनी जीत के तौर पर देख रहा है। पहले जिला पंचायत और फिर महापौर के चुनाव में सपा के घोषित प्रत्याशी का पाला बदलकर भाजपा के खेमे में जाने के घटनाक्रम से सीख लेते हुए लोकसभा चुनाव के लिए प्लान बी तैयार किया गया था।
इस बार नामांकन खारिज होने और वोट बैंक को प्रत्याशी पसंद नहीं आने की रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय तक पहुंची थी। वहां से राजेश कश्यप के साथ विकल्प के तौर पर ज्योत्सना गौंड का नामांकन दाखिल कराया। शुक्रवार को नामांकन खारिज होने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहीं ज्योत्सना चुनावी मैदान में उतर गईं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राजेश कश्यप इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों व सपा के वोट बैंक को अपने पक्ष में प्रभावित नहीं कर पा रहे थे। राष्ट्रीय नेतृत्व में खुद को अनुसूचित जाति का साबित करते हुए राजेश ने सिंबल प्राप्त कर नामांकन तो करा लिया, लेकिन नेतृत्व को उनका नामांकन खारिज होने की प्रबल संभावना लग रही थी।
इसी वजह से हाईकमान ने बी प्लान बनाते हुए हरदोई के रहने वाले एमएलसी राजपाल कश्यप की सगी भांजी ज्योत्सना गौंड को पार्टी के सिंबल पर नामांकन कराया था। उनके पिता मदन मोहन कानपुर में कारोबारी और मां रेखा बाल विकास विभाग शाहजहांपुर में सुपरवाइजर हैं।
संगठन की रणनीति थी कि यदि राजेश का पर्चा खारिज हुआ तो ज्योत्सना चुनाव मैदान में उतरेंगीं। राजेश कश्यप को अंतिम समय तक यही आश्वासन दिया जाता रहा कि वह ही पार्टी के प्रथम प्रत्याशी हैं।
शुक्रवार को नामांकन पत्रों की जांच के बाद राजेश कश्यप का पर्चा खारिज कर दिया गया। कलक्ट्रेट में निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से मायूसी के साथ निकले राजेश कश्यप ने एमएलसी राजपाल कश्यप पर खेल करने का आरोप भी लगाया।
संगठन ने राजेश और ज्योत्सना दोनों को सिंबल दिया था। प्रशासन ने राजेश का पर्चा खारिज कर दिया। वह भी हमारे भाई हैं। भाजपा के खिलाफ लड़ाई को जीतने के लिए उन्हें भी मनाया जाएगा। राजपाल कश्यप, एमएलसी
सीट सपा के खाते में है। जो भी परिस्थितियां होंगी, गठबंधन के प्रत्याशी के साथ पूरी ताकत के साथ कांग्रेस खड़ी है।
-रजनीश गुप्ता, जिलाध्यक्ष-कांग्रेस
सपा ने ज्योत्सना को सिंबल देकर प्रत्याशी बनाया है। इसलिए पार्टी के सभी नेता उन्हें पूरी तन्मयता से चुनाव लड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। -तनवीर खां, सपा जिलाध्यक्ष
राष्ट्रीय नेतृत्व ने हम पर भरोसा जताया है। इंडी गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा जाएगा। सभी का मान-सम्मान बरकरार रखकर चुनाव को जीतेंगे। -ज्योत्सना गौंड, प्रत्याशी
मेरे साथ खेल किया गया है। मैंने पार्टी सिंबल के लिए एबी फार्म जमा किया था। एमएलसी राजपाल कश्यप ने दो दिन पहले अपनी भांजी का नामांकन कराया और एबी फार्म जमा कराकर मेरा नामांकन रद्द करा दिया। अब क्या करना है, इसको लेकर सोच-विचार कर कदम उठाया जाएगा। राजेश कश्यप
सोशल मीडिया पर विरोध के साथ भेजे गए थे पत्र
राजेश कश्यप के प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने कमजोर मानकर सोशल मीडिया पर विरोध शुरू कर दिया था। पार्टी के कुछ बड़े नेता भी नाराज थे। आरोप था कि कमजोर प्रत्याशी को उतारकर भाजपा की राह आसान कर दी गई है। इसे लेकर समर्थकों ने राष्ट्रीय नेतृत्व से पत्राचार भी किया था। जिले से लगातार फीडबैक भी दिया गया। ऐसे में सपा संगठन ने नामांकन जांच के दौरान ही पत्र जारी कर ज्योत्सना गौंड को अपना अधिकृत प्रत्याशी बताया था।