पूणे

थ्रीडी लॅप्रोस्कोपी द्वारा एड्रिनल ग्रंथी के सबसे बड़े ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाने की सर्जरी लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में दर्ज 

थ्रीडी लॅप्रोस्कोपी द्वारा एड्रिनल ग्रंथी के सबसे बड़े ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाने की सर्जरी लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में दर्ज 

 

पुणे: एस हॉस्पिटल पुणे की डॉक्टरों की टीम ने ५८ वर्षीय विदेशी महिला की एड्रिनल ग्रंथी से निकाले हुए लगभग 23 सेमी आकार के ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाने की सर्जरी को हाल ही में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है. मार्च 2023 में एस हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट की टीम ने शरीर की एड्रिनल ग्रंथी में सबसे बड़े ट्यूमर को हटाने के लिए थ्रीडी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सफलतापूर्वक की.

 

शरीर में एक लगभग चार से आठ ग्राम वजन की 4×3 सेमी आकार की यह ग्रंथि दोनों किडनी के सिर पर स्थित होती है. यह ग्रंथि शरीर की कार्यप्रणाली में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ऍड्रिनॅलिन और स्टेरॉईड इस ग्रंथि में उत्पादित महत्वपूर्ण हार्मोन हैं.इस एड्रिनल ग्रंथि में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं. इन बीमारियों में सिस्ट या पानी के बुलबुले जैसी गांठ एक दुर्लभ प्रकार की बीमारी है. यदि ट्यूमर सामान्यतः 15 से.मी. से बड़ा है, तो अक्सर ओपन सर्जरी की आवश्यकता होती है.

 

५८ वर्षीय विदेशी महिला पिछले कई वर्षों से लगातार पीठ दर्द और उल्टी की शिकायत लेकर एस हॉस्पिटल आई थी. सीटी स्कॅन जांच में इस मरीज की एड्रिनल ग्रंथि के बायीं ओर 15 सेमी का ट्यूमर पाया गया.स्थानीय डॉक्टरों ने उन्हें जल्द से जल्द सर्जरी करवाने की सलाह दी.लेकिन सर्जरी के डर से उसने आगे का इलाज टाल दिया। जब शिकायतें कम नहीं हुईं, तो उन्होंने अंततः भारत में चिकित्सा उपचार लेने का फैसला किया.इसके लिए उन्हें पुणे के एस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.

 

सीटी स्कॅन की दोबारा जांच के बाद वही ट्यूमर अब 23 सेमी तक बढ़ा हुआ दिखाई दिया. ट्यूमर ने मरीज के पेट के आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया. यह ट्यूमर बाईं ओर था, इसलिए बाईं किडनी, प्लीहा और स्वादुपिंड और बड़ी आंत पर वह चिपक कर बैठा था. ऐसे मामलों में पेट को चीरकर पारंपरिक सर्जरी करना अधिक सुरक्षित होता है,लेकिन मरीज़ खुद किसी भी हालत में ओपन (खुली) सर्जरी नहीं कराना चाहता था,इसलिए उन्होंने अपने देश में इलाज न करवाकर भारत आने का फैसला किया। एस हॉस्पिटल के यूरोलॉजी स्पेशलिस्ट ने मरीज को समझाया कि दूरबीन की मदद से ऑपरेशन का प्रयास किया जा सकता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर ओपन सर्जरी करनी होगी.

 

मरीज को इसके लिए तैयार करने के बाद आधुनिक टेलीस्कोपिक तकनीक थ्रीडी लैप्रोस्कोपी से सर्जरी सफलतापूर्वक की गई.इसमें साढ़े चार घंटे लग गये.बड़ी कुशलता से, आसपास के सभी अवयवों को और एड्रिनल ग्रंथि को कोई आघात पहुंचाए बिना केवल ट्यूमर को हटा दिया गया.अधिकांश समय, ऐसी सर्जरी में एड्रिनल ग्रंथि को भी हटाना पड़ता है. ऑपरेशन के चार दिन बाद मरीज ठीक हो गया.

 

इसमें सर्जरी करने वाले यूरोलॉजिस्ट की टीम में प्रा.डॉ. सुरेश पाटणकर, वरिष्ठ यूरोलॉजी तज्ञ डॉ. गुरुराज पडसलगी, यूरोलॉजिस्ट डॉ. मयूर नारखेडे व डॉ. काशिनाथ ठाकरे शामिल है. इसके साथ एनेस्थेटिस्टों के बीच डॉ.सोनाली वस्ते इनका समावेश था. सहाय्यक परिचारिका सुनिता बांगर, उषा बावधने, सविता कोकरे, मंदा बहिर, बापू कांबळे और राहुल साबळे इनका समावेश था.

 

एस हॉस्पिटल के अध्यक्ष प्रा.डॉ. सुरेश पाटणकर ने कहा की, यह न केवल हमारे अस्पताल के लिए बल्कि पुणे के मेडिकल क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है.एक ओर जहां पुणे एक प्रमुख वैद्यकीय केंद्र के रूप में उभर रहा है, वहीं यह पड़ाव पुणे में कौशल और तंत्रज्ञान पर आधारित सर्जरी में मरीजों के बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाता है.

 

 

 

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