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भाजपा की जीत को लेकर विदेशी मीडिया का क्‍या कहना है? चौंका देगी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट

Lok Sabha Election 2024: भाजपा की जीत को लेकर विदेशी मीडिया का क्‍या कहना है? चौंका देगी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट

Lok Sabha Election 2024 आज सातवें और आखिरी चरण का मतदान शुरू हो गया है। आज शाम को ही एग्जिट पोल आना शुरू हो जाएगा। भारत में हो रहे चुनाव पर विदेशी मीडिया ने भी कड़ी नजर बनाई हुई है। किसी ने पीएम मोदी के नेतृत्व को सराहा तो किसी ने आलोचना भी की। अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट आपको चौंका सकती है। पढ़िए विशेष रिपोर्ट.

 

राम मंदिर, पीएम मोदी और युवा महिलाओं के उत्साह पर टिकी रही वैश्विक मीडिया की नजर।
भारतीय लोकतंत्र में आमजन की भागीदारी पर वैश्विक मीडिया संस्थानों और राजनीतिक विश्लेषकों ने दी अपनी राय।
चुनाव कवरेज के बाद न्यूज एजेंसी एएनआइ को साक्षात्कार देते सेम स्टीवंसन।

 

भारतीय मीडिया तो लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने के पहले से ही चुनावी रंग में रंग चुका था, विश्व भर के मीडिया संस्थानों और हस्तियों ने भी न केवल इसमें रुचि दिखाई, बल्कि बीच-बीच में अपने विचार और विश्लेषण भी प्रस्तुत किए विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के आम चुनाव में दुनिया भर के मीडिया संस्थानों ने क्या देखा, दुनिया के सामने क्या रखा और क्या महसूस किया।

 

विदेश के मीडिया संस्थानों में से कुछ का नकारात्मक भाव रहा, किसी ने संतुलित रुख अपनाया तो किसी ने भारतीय लोकतंत्र के महापर्व को जमकर सराहा। अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि मोदी की ताकत बढ़ती जा रही है और भारत के लोग उन्हें और मजबूत बनाते हुए दिख रहे हैं। अखबार ने भाजपा के इस चुनाव में अपने हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ उतरने और अपनी कल्याणकारी योजनाओं का जोर-शोर से प्रचार करने की बात लिखी है।

क्या मोदी चिंतित हैं?
वहीं, यह भी लिखा है कि भाजपा के समर्थक उससे काफी खुश हैं और लगातार दो बार सत्ता में रहने के बाद भी मोदी लोकप्रिय बने हुए हैं। आखिरी चरण के मतदान के पूर्व अखबार ने मोदी को पार्टी के लिए ऊंचे मानक स्थापित करने वाला बताते हुए उनके रक्षात्मक नजर आने और लंबे समय से निराश विपक्ष को गति मिलने की बात लिखी है और सवाल उठाया है कि, क्या मोदी चिंतित हैं?

विरोधी बकवास का अंत हो
इंग्लैंड के समाचार पत्र डेली एक्सप्रेस के सहायक संपादक सैम स्टीवेंसन ने भारतीय चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग के बाद कहा कि समय आ गया है कि अब भारत विरोधी बकवास का अंत हो। हमें नए भारत की सच्ची, सकारात्मक चीजों को सुनना चाहिए। मैंने बुरका पहनी महिलाओं को मोदी की रैली में जाते देखा है।

 

पहले से बेहतर प्रदर्शन
असहमति रखने वालों को विरोध की अनुमति देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की तस्वीर है, जिसे पश्चिम के कई मीडिया घराने कवर नहीं करते। सैम ने वीडेम इंस्टीट्यूट की लिबरल डेमोक्रेटिक इंडेक्स रिपोर्ट को भी खारिज किया, जिसमें चुनावी निरकुंशता की बात थी। ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा कि नरेंद्र मोदी की भाजपा को भरोसा है कि इन चुनावों में उसका प्रदर्शन पहले से और बेहतर होने जा रहा है।

 

 

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